Vijaykant Verma

Abstract

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Vijaykant Verma

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डियर डायरी 1/4/2020

डियर डायरी 1/4/2020

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आज की सुबह विशेष है। क्योंकि आज मूर्ख दिवस है। आज के दिन लखनऊ में हसगुल्लों की महफिल जमती है। लेकिन कोरोना ने हास्यव्यंग की इस महफ़िल को भी लॉक डाउन कर दिया। लेकिन लखनऊ के लोग इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं। इसकी शुरुआत मैंने की अपनी पड़ोसन को यह सूचना देकर, कि आज अपने लखनऊ में कोरोना का एक भी केस नहीं आया, और पहले के जितने केस कोरोना के थे, वो सभी ठीक हो गए हैं। किंतु डॉक्टर ने इन सभी को 10 दिन तक और क्वारंटाइन में रहने की हिदायत दी है। और उन सभी को हास्यव्यंग्य की कविताएं कहानियां पढ़ने को कहा है, जिससे उनका इम्यून सिस्टम इतना मजबूत हो जाए कि, कोरोना दोबारा अटैक की हिम्मत न करें। आगे मैंने उनसे यह भी कहा, कि इस खुशी में आज शाम को मेरे यहां छोले भटूरे की दावत है। साथ में चाय समोसे की भी व्यवस्था है। समय शाम छह बजे। आप लोग प्लीज़ जरूर आइएगा हमारे यहां..! फिर मैंने "अप्रैल फूल" शीर्षक से एक कविता लिखी~ अप्रैल फूल ````````````` अप्रैल फूल बनाया लॉक डाउन हटाया अपने पूरे लखनऊ को करोना मुक्त बनाया। पड़ोसन सीधी-सादी थी समोसे खाने की आदी थी शाम समोसा दावत का पैगाम उसे भिजवाया । छोला भटूरा देखकर जीभ उसकी लपलपाती थी तो छोले भटूरे का भी इंतजाम मैंने करवाया । शाम होने से पहले कई बार उसका फोन आया मैंने अपनी बातों से भूख उसकी और बढ़ाया ठीक छह बजे उसने घर से निकलने की बात जब की तब जानबूझकर मैंने फोन नहीं उठाया तब दो-दो मिनट पर कई बार उसने मेरे को फोन लगाया लेकिन एक बार भी मैंने उसका फोन नहीं उठाया तब व्हाट्सएप पर उसने मेरे को मैसेज करने का सोचा लेकिन तभी मेरे इस मैसेज को पढ़कर हैरान रह गई । आपने होली में मेरे को लंगूर जैसा बनाया इसीलिये आज मैंने आपको अप्रैल फूल बनाया अब घर में जो रुखा सुखा है, वही खा कर गुजारा कर लो या अपना हाजमा ठीक करने के लिए आज उपवास रख लो।


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