Vijaykant Verma

Abstract

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Vijaykant Verma

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डिअर डायरी

डिअर डायरी

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मतलब महीने की आखिरी तारीख। 

कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा। कुछ विचलित सा मन हो गया है आज। भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ कर अड़तीस हो गई है..!

सबसे ज्यादा दुखदाई खबर यह है, कि दिल्ली में लॉकडाउन होने के बावजूद आयोजित तब्लीगी मरकज के कारण हजारों लोगों की जान मुसीबत में पड़ गई है। इस मरकज में करीब डेढ़ हज़ार लोग शामिल हुए थे। और इनमें से सौ से भी ज़्यादा लोग चीन, यमन, बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, सऊदी अरब और इंग्लैंड आदि देशों से आये थे। इनमें 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जब कि छह लोगों की मौत भी हो गई। आश्चर्य है, कि दिल्ली में लॉक डाउन होने के बावजूद मरकज का आयोजन कैसे हुआ..?

जबकि पूरे देश में धार्मिक जनसभाओं पर रोक है। मंदिरों तक के किवाड़ ही बंद कर दिए गए हैं, जिससे लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन किया जा सके..! मरकज के आयोजकों को इस प्रश्न का उत्तर देना होगा, कि क्या धर्मगुरु देश के संविधान से ऊपर है..?? देश के ऊपर धर्म नहीं होता इस सच को स्वीकारना होगा।        

पहले देश है, फिर धर्म है, इस सच को भी मानना होगा जब लॉकडाउन का आदेश है इस आदेश को तोड़ना गुनाह है        

जो देश के कानून को न माने, कौन कहता है, कि वो बेगुनाह हैं..! हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, कि वो अपने बन्दों की हिफाज़त करे और उन्हें सही राह दिखाए, जिससे इस विपदा से हम सभी मुक्त हों और नेकी की राह पर चलते हुए और कानून का पालन करते हुए सच्चे दिल से हम उसकी इबादत कर सकें। हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी भी धर्म से हो, परंतु मानवीयता का गुण हमारे अंदर ज़रूर होना चाहिए।

क्योंकि जब तक हमारे अंदर मानवीयता नहीं होगी, हमारे अंदर दूसरों के प्रति संवेदना नहीं होगी, हमारे विचार अच्छे नहीं होंगे, तब तक गॉड हमारी भक्ति, हमारी इबादत को स्वीकार नहीं करेगा। इस सच को हम सभी को, पूरे देश को और पूरे विश्व को और सभी धर्म के लोगों को समझना और मानना बहुत जरूरी है।


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