Vijaykant Verma

Abstract

3  

Vijaykant Verma

Abstract

डिअर डायरी 01/04/2020

डिअर डायरी 01/04/2020

3 mins
12.3K


Dear Diary 01/04/2020


विश्व में एक दिन में पांच हज़ार से ज्यादा कोरोना के मरीजों की मौत..! इस खबर ने विचलित कर दिया..! एक और दुखभरी खबर यह है, कि जमातियों के कारण हिंदुस्तान में कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। इस संदर्भ में हमारी सभी से विनती है, कि कृपया घर में रहें। कोरोना को फैलने से रोके। खुद की भी जान बचाएं और दूसरों की भी जान बचाएं, क्योंकि किसी की जान बचाने से बढ़कर दुनिया में और कोई धर्म नहीं, कोई शबाब का काम नहीं..! एक महत्वपूर्ण खबर यह भी आज पढ़ने को मिली बैंक में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की दर में भारी कटौती कर दी गई। यह गणित हैरान करने वाली है, कि आज से 10 साल पहले बैंकों में 12% ब्याज मिलता था। मतलब दस हज़ार की एफडी पर सौ रूपये महीने के लगभग मिल जाते थे इस प्रकार बुजुर्ग लोगों की रोटी दाल आसानी से चल जाती थी। लेकिन आज स्थिति यह है, कि बुजुर्गों का जमा दस हज़ार पर सिर्फ पचास रुपया महीना ब्याज मिल रहा है, जबकि महंगाई तीन गुनी से चार गुनी तक बढ़ गई है। इस बात को आप कुछ इस तरह समझ से भी सकते हैं कि 10 साल पहले दस हज़ार की जमा रकम पर ब्याज के रूप में आपको हर महीने अगर 20 किलो अनाज मिलता था, तो अब सिर्फ 4 किलो मिलेगा..! मतलब यह कि बैंकों में जमा धन की वैल्यू लगातार कम होती जा रही है। सरकार को इस विषय में बहुत ही गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए क्योंकि नियम तो यह कहता है, कि महंगाई के साथ-साथ आमदनी भी बढ़े, लेकिन बैंकों की नीति इतनी डरावनी है, कि महंगाई के बढ़ने पर आपके पैसों की वैल्यूएशन बढ़ने की बजाय कम हो जा रही है। इस गणित को निम्न प्रकार से समझना होगा। दस साल पहले बैंकों में जमा एक लाख पर ₹1000 महीना मिलता था और पूरे महीने आराम से खर्चा चल जाता था। अब इस उम्र में आमदनी तो बढ़ी नहीं, जबकि महंगाई बढ़ गई। और बैंक में जमा धन की वैल्यू भी बढ़ने की बजाय घट गई। मतलब दस साल पहले बैंक से जो ₹1000महीना ब्याज की रकम मिलती थी, अब घटकर ₹500 महीना हो गई। तो इस महंगाई में अब ₹500 में महीने का खर्चा कैसे चले.? क्या करें कोई और किस तरह अपनी आमदनी को बढ़ाएं, यह बड़ी चिंता की बात है। और ईश्वर का नाम भी कोई जपे तो किस तरह जपे क्योंकि इस सच्चाई से तो आप सभी वाकिफ हैं, कि~ भूखे भजन न होय गोपाला..! मुश्किल में है अपना हाला..!! अन्न का दाना पेट में न हो कैसे कोई भजन करें रोगी मनुवा रोगी काया भूख का कैसे दमन करें जिधर मैं देखूं उधर घोटाला भूखे भजन न होय गोपाला..! मुश्किल में है अपना हाला!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract