Sawan Sharma

Abstract

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Sawan Sharma

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डेयर वाली डेट

डेयर वाली डेट

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पहली डेट काफ़ी खूबसूरत डेट थी, ना उसमें कोई प्यार था, ना इन्तजार, ना दिल टूटना, कुछ नहीं था सिर्फ़ एक शर्त के अलावा।

बात चार साल पहले हमारे ऑफिस में ट्रेनिंग के समय की है।

ट्रेनिंग में एक लड़की दिखी, मैं कॉल सेंटर में काम करता था जिसमें एक ही बिल्डिंग में कई कंपनियो का काम होता था, वो लड़की दूसरी कंपनी से थी। वह ऐसी थी जो नज़रें उसे देखले वह उसी पर टिक जाए। पूरे फ्लोर पर कम ही लड़कियां थी जो श्रृंगार नहीं करती थी।

वो उसमें से थी जिसकी सादगी की महक निखार बढ़ाती थी। जाने कितने दीवाने थे उसके पर वो किसी पर ध्यान भी नहीं देती थी।

उस दिन हम सब ब्रेक पर थे, तब सभी में शर्त लगी कि जो भी उससे बात करेगा, उसको कॉफी ऑफर रहेगा। उसके पूरे हफ्ते का कैन्टीन बिल दूसरे लोग देंगे। एक दिन वो लड़की भी ब्रेक पर थी। दफ़्तर में उसका जन्मोत्सव मना रहे थे।

कुछ देर बाद मैं बड़ा डर के उसके पास गया, जाने मुझे उस लड़की ने खींचा या एक हफ्ते के कैन्टीन बिल ने जो भी हुआ। मैंने हिम्मत कर उसको बधाई दी।

मैं: जन्मदिन की शुभकामनाएं

वह: तुम्हें कैसे पता??

मैं: 6th सेंस

यह सुन वह हँसने लगी। (हाय उसकी हंसी, उस वक़्त ऐसा लग रहा था कि बस... )तुमने जन्मदिन मनाते देखा होगा?? उसने कहा।

मैं: हाँ...

फ़िर मैंने कहा: सुनो, तुमसे पूछना था… कॉफी डेट करोगी??

वह: मैं तुमको जानती नहीं, हिम्मत कैसे हुई??

मैं: जान लेते है ना...

वो: सॉरी, नॉट इंट्रेस्टेड

इतना बोल कर जा रही थी कि मैंने बोला प्लीज़... एक कप कॉफी... शर्त लगी है कि फ्लोर की सबसे खूबसूरत लड़की के साथ आँखों में आँखे डाल एक कॉफी डेट की।

तब वो बोली: अच्छा बेटा, छेड़ रहे हो।

मैं: जो भी समझ लो, पर शर्त लगी है।

मैंने 2 कोल्ड कॉफी और सैंडविच ऑर्डर किए।

वो: मैंने अभी हाँ नहीं किया।

मैं: अरे यार, फ्री में मिल रहा, खा लो ना।

कुछ सोचने के बाद...

वो: अच्छा ठीक है पर सिर्फ खाने के लिए. इसके बाद तुम तुम्हारे रास्ते, मैं मेरे

मैं: अच्छा ठीक है सुनो, नाम तो बताओ

वो : रहने दो, नाम बताऊंगी फिर इंस्टा सर्च करोगे, मेसेज करोगे इससे अच्छा है हम अनजान ही रहे

हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे मेरे दोस्त हमें देख रहे थे हमारा मील खत्म हुआ और ब्रेक भी खत्म हुआ। हमने हाथ मिलाकर अलविदा किया। जाते-जाते मैंने कहा: ये आखिरी अलविदा ना हो।

वो (हंसते हुए): वो ही है और चली गई।

उसके बाद एक बार फिर हम मिले, स्माइल किया पर बात नहीं की लेकिन वो 15 मिनट अब भी मेरी ज़िंदगी के यादगार 15 मिनट में शामिल हो गए लेकिन नाम आज भी गुमनाम थे।


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