आनंदमय चाय (थैंक्स पापा)
आनंदमय चाय (थैंक्स पापा)
अक्षय और उसके पिता आपस में ज्यादा बात नहीं करते थे, कारण ये नहीं था कि उन के बीच कोई मन मुटाव था, बल्कि कारण था कि जब भी बात होती, दोनों के विचार ना मिलने के कारण दोनों का झगड़ा हो जाता, वैसे तो झगड़ा कहना भी उचित नहीं होगा, इसे बहस या नोक-झोंक कहना ज्यादा सही है, झगड़ा तो दुश्मनों में होता है, अपनों में तो नोक-झोंक होती है |
दोनों की मीठी नोक-झोंक में फंस जाती बेचारी मम्मी, हाँ मम्मी, जो ना अपने बेटे को कुछ बोल सकती, ना अपने पति को, इसलिए मम्मी चुप चाप तमाशा देखती रहती |
वैसे तो आए दिन मीठी सी नोक झोक चलती रहती थी, पर उस नोक झोक की खास बात ये होती कि वो थोड़ी ही देर में भूल भी जाते कि कुछ हुआ था |
कुछ बातें थी जो पिता पुत्र दोनों को ही काफी पसंद थी, उन में मुख्य थे, चाय और सिनेमा, सिनेमा ... ऐसे कम ही पुरुष है, जिनको सिनेमा नहीं पसन्द, और चाय, उसकी तो आधी दुनिया दीवानी है...|
एक दिन अक्षय और उसके पापा बाज़ार कुछ काम से गए, सारा काम होने के बाद अक्षय ने पूछा "पापा... चाय पीने चले ?"
इस पर बचत करने वाले पापा बोले "घर चल बेटा, अपने हाथो से चाय बनाऊंगा"
अक्षय : "अरे पापा, कभी कभी बाहर की चाय भी पी लिया करो, इतनी भी बुरी नहीं होती"
पापा बोले, "ठीक है, पर पास ही चलना "
पापा के मना करने पर भी अक्षय घर से 4 किलोमीटर दूर एक कैफ़े पर ले गया, और बोला "पापा यहाँ चॉकलेट फ्लेवर्ड चाय अच्छी मिलती है"
पापा : "महंगा होगा बेटा"
"आपको क्या करना पापा, मैं पैसे दूंगा" अक्षय ने कहा
पापा बोले "पैसे पैसे होते है, तू दे या मैं, जाना तो है ही, यहाँ से अच्छी चाय टपरी पर मिल जाएगी, और उससे अच्छी चाय मैं ही बना दूंगा"
अक्षय : "हाँ पापा पता है, पर कुछ नया ट्राय करो ना"
थोड़ी बहस के बाद आखिर पापा कैफ़े में चले ही गये , कैफ़े में अक्षय ने वेटर को चॉकलेट चाय का आर्डर दिया | उसने वेटर को बोला कि "कुछ नमकीन दे दे और बोल देना कि कॉम्प्लीमेंट्री है" |
वेटर ने ऐसा ही किया...
दोनों ने चाय पी, पहला घूंट पीते ही पापा खुशी से बोले "बेटा, चाय तो काफ़ी अच्छी है, और ये बिस्किट भी ....वाह"
अक्षय :"देखा पापा, कहा था था, कुछ नया ट्राय करो"
अक्षय ने पेमेंट किया, पापा ने देखा और बोले "बेटा बिस्किट बिल में नहीं जोड़ा "
अक्षय : "कहा था ना कॉम्प्लीमेंट्री है"
पापा को हँसी आ गई, बोले "बेटे... बाप हूं तेरा, सब जानता हूं कितना कॉम्प्लीमेंट्री है"
दोनों साथ में हँस पड़े... |
कैफ़े में जैमिंग चल रही थी (जैमिंग, जिसमें कुछ लोग समूह बनाकर एक साथ गिटार बजाते है और गाना गाते हैं), उसमें अक्षय के दोस्त भी थे, उन्होंने किशोर कुमार का “मेरे सामने वाली खिड़की में” गाना शुरू किया, वो बीच में अंतरा भूल गए, तब पापा ने गाना शुरू किया, और पूरा गाना गया, उसके बाद “गुलाबी आँखे, एक लड़की भीगी भागी, प्यार दीवाना होता है” जैसे कई सारे गाने गाए, पापा ने रंग जमा दिया, अक्षय चौक कर देखने लगा और खुश हो कर बोला “पापा आप तो छुपे रुस्तम निकले |
पापा हँस कर बोले “अरे तू अपने बाप को जैसा बोरिंग समझता है, वैसा हूँ नहीं…”
अक्षय : हाँ पापा, मेरे दोस्त तो फैन बन गए आप के, दोनों खुशी खुशी , हँसते हुए घर आ गए, घर आते ही अक्षय की माँ को आश्चर्य हुआ कि ये कैसे हो गया कि दोनों लड़ते हुए नहीं बल्कि हँसते हुए आए, दोनों ने कैफे वाला किस्सा बताया, माँ भी हँस दी ।
अक्षय : “माँ, आपको पता है ? पापा इतना अच्छा गाते है”
माँ ने हाँ में सर हिलाया, फ़िर पापा बोल पड़े, “बेटा, इसी आवाज़ पर तो फ़िदा हुई थी तेरी माँ”
अक्षय अभी भी आश्चर्य से देख रहा था, वो तो अपने पापा को बोरिंग ही समझता था ।
माँ : “क्या आप भी, बच्चे के सामने…”
पापा : “बच्चा...?, अरे 19 का हो गया है... |
तीनो हंसने लगे,
खाना खा कर अक्षय फिल्म उसके दोस्तों के साथ फिल्म देखने गया, सुबह पापा ने पूछा “कैसी थी फिल्म?”
अक्षय ने मुह बनाते हुए कहा “समय और पैसे की बर्बादी, कॉमेडी फिल्म में कॉमेडी ही नहीं थी”
पापा : (हँसते हुए) 300 रूपये दे कर भी मज़ा नहीं आया, हम 3 रूपये मे पैसा वसूल फिल्म देखते थे |
चल तुझे अपने ज़माने की फिल्म दिखाता हूँ, हंसी भी आएगी, आंसू भी...
अक्षय ने कहा “चलो देख लेते है, वैसे भी आज रविवार की छुट्टी है”
पापा ने टीवी पर आनंद फिल्म लगाई, शुरुआत में अक्षय को बोरिंग लगी, बोला : क्या पापा, इतनी बोरिंग फिल्म, इससे अच्छी तो मेरी कल वाली फिल्म थी, पापा हँस कर, बोले “अभी तो शुरुआत है बेटा, देखता जा, अगर अच्छी नहीं लगे तो तेरी पसंद बेकार है”
फिल्म चलती गई, शुरुआत में अक्षय फ़ोन में लगा हुआ था धीरे धीरे जब आनंद के पात्र की एंट्री हुई तब अक्षय देखने लगा हल्की फुल्की कॉमेडी से उसे मज़ा आने लगा, आनंद जब कहता है "ज़िन्दगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए" उस संवाद पर अक्षय की वाह निकल गई, अक्षय ने हँसकर कहा : "ये मेरे जैसा है" पापा ने डांट दिया और बोले "चुप कर, मैं नहीं चाहता कि तू ऐसा बने..." पापा के चेहरे पर भावुकता झलक रही थी,
आधी फिल्म के बाद पापा ने कहा “रुक थोड़ी देर, मैं तुझे अपने हाथ की चाय पिलाता हूँ”
पापा ने चाय बनाई, चाय पीते हुए फिर से फिल्म शुरू कर दी, फिल्म में एक दृश्य में आनंद का पात्र कहता है "बहन, मैं तो ये भी नहीं कह सकता कि, मेरी उम्र तुझे लग जाये" वहां अक्षय की आँखे भीग गई फ़िर "कहीं दूर जब दिन ढल जाए" गाना जब आया उस के बाद आनंद कहता है "क्या हर हंसी के पीछे खुशी रहती है?" तब दोनों भावुक हो गए, पापा अक्षय से बोले "जैसे कि तेरी हंसी, दिखती है, तेरी हंसी के पीछे की चिंताए" अक्षय : "अरे पापा, ऐसा कुछ नहीं..."
पापा : चुप कर, बाप हूं तेरा
फ़िल्म आगे बढ़ी, आनंद की मृत्यु का दृश्य, वो दृश्य में दोनों पिता पुत्र रोने लगे, अक्षय ने रोते हुए कहा "पापा, मैं कभी कभी सोचता हूं..." और चुप हो गया
पापा : "अरे इतना मत सोच, जो तू सोच रहा है, वो जीवन का सत्य है" और पापा की भी आँखों में आंसू आ गए, दोनों पिता पुत्र एक दूसरे के गले लग कर रोने लगे, तभी मम्मी आ गई, ये देख कर उन्हें अच्छा भी लगा, उनकी भी आँखे भीग गई ।
अक्षय ने कहा "थैंक्स पापा"
पापा : (मुस्कुराते हुए)"बाप को थैंक्स बोलता है,... अब मत बोलना ।
अगले दिन से वो ही मीठी सी नोक झोंक फिर शुरू हो गई ।
अक्षय और उसके पिता आपस में ज्यादा बात नहीं करते थे, कारण ये नहीं था कि उन के बीच कोई मन मुटाव था, बल्कि कारण था कि जब भी बात होती, दोनों के विचार ना मिलने के कारण दोनों का झगड़ा हो जाता, वैसे तो झगड़ा कहना भी उचित नहीं होगा, इसे बहस या नोक-झोंक कहना ज्यादा सही है, झगड़ा तो दुश्मनों में होता है, अपनों में तो नोक-झोंक होती है |
दोनों की मीठी नोक-झोंक में फंस जाती बेचारी मम्मी, हाँ मम्मी, जो ना अपने बेटे को कुछ बोल सकती, ना अपने पति को, इसलिए मम्मी चुप चाप तमाशा देखती रहती |
वैसे तो आए दिन मीठी सी नोक झोक चलती रहती थी, पर उस नोक झोक की खास बात ये होती कि वो थोड़ी ही देर में भूल भी जाते कि कुछ हुआ था |
कुछ बातें थी जो पिता पुत्र दोनों को ही काफी पसंद थी, उन में मुख्य थे, चाय और सिनेमा, सिनेमा ... ऐसे कम ही पुरुष है, जिनको सिनेमा नहीं पसन्द, और चाय, उसकी तो आधी दुनिया दीवानी है...|
एक दिन अक्षय और उसके पापा बाज़ार कुछ काम से गए, सारा काम होने के बाद अक्षय ने पूछा "पापा... चाय पीने चले ?"
इस पर बचत करने वाले पापा बोले "घर चल बेटा, अपने हाथो से चाय बनाऊंगा"
अक्षय : "अरे पापा, कभी कभी बाहर की चाय भी पी लिया करो, इतनी भी बुरी नहीं होती"
पापा बोले, "ठीक है, पर पास ही चलना "
पापा के मना करने पर भी अक्षय घर से 4 किलोमीटर दूर एक कैफ़े पर ले गया, और बोला "पापा यहाँ चॉकलेट फ्लेवर्ड चाय अच्छी मिलती है"
पापा : "महंगा होगा बेटा"
"आपको क्या करना पापा, मैं पैसे दूंगा" अक्षय ने कहा
पापा बोले "पैसे पैसे होते है, तू दे या मैं, जाना तो है ही, यहाँ से अच्छी चाय टपरी पर मिल जाएगी, और उससे अच्छी चाय मैं ही बना दूंगा"
अक्षय : "हाँ पापा पता है, पर कुछ नया ट्राय करो ना"
थोड़ी बहस के बाद आखिर पापा कैफ़े में चले ही गये , कैफ़े में अक्षय ने वेटर को चॉकलेट चाय का आर्डर दिया | उसने वेटर को बोला कि "कुछ नमकीन दे दे और बोल देना कि कॉम्प्लीमेंट्री है" |
वेटर ने ऐसा ही किया...
दोनों ने चाय पी, पहला घूंट पीते ही पापा खुशी से बोले "बेटा, चाय तो काफ़ी अच्छी है, और ये बिस्किट भी ....वाह"
अक्षय :"देखा पापा, कहा था था, कुछ नया ट्राय करो"
अक्षय ने पेमेंट किया, पापा ने देखा और बोले "बेटा बिस्किट बिल में नहीं जोड़ा "
अक्षय : "कहा था ना कॉम्प्लीमेंट्री है"
पापा को हँसी आ गई, बोले "बेटे... बाप हूं तेरा, सब जानता हूं कितना कॉम्प्लीमेंट्री है"
दोनों साथ में हँस पड़े... |
कैफ़े में जैमिंग चल रही थी (जैमिंग, जिसमें कुछ लोग समूह बनाकर एक साथ गिटार बजाते है और गाना गाते हैं), उसमें अक्षय के दोस्त भी थे, उन्होंने किशोर कुमार का “मेरे सामने वाली खिड़की में” गाना शुरू किया, वो बीच में अंतरा भूल गए, तब पापा ने गाना शुरू किया, और पूरा गाना गया, उसके बाद “गुलाबी आँखे, एक लड़की भीगी भागी, प्यार दीवाना होता है” जैसे कई सारे गाने गाए, पापा ने रंग जमा दिया, अक्षय चौक कर देखने लगा और खुश हो कर बोला “पापा आप तो छुपे रुस्तम निकले |
पापा हँस कर बोले “अरे तू अपने बाप को जैसा बोरिंग समझता है, वैसा हूँ नहीं…”
अक्षय : हाँ पापा, मेरे दोस्त तो फैन बन गए आप के, दोनों खुशी खुशी , हँसते हुए घर आ गए, घर आते ही अक्षय की माँ को आश्चर्य हुआ कि ये कैसे हो गया कि दोनों लड़ते हुए नहीं बल्कि हँसते हुए आए, दोनों ने कैफे वाला किस्सा बताया, माँ भी हँस दी ।
अक्षय : “माँ, आपको पता है ? पापा इतना अच्छा गाते है”
माँ ने हाँ में सर हिलाया, फ़िर पापा बोल पड़े, “बेटा, इसी आवाज़ पर तो फ़िदा हुई थी तेरी माँ”
अक्षय अभी भी आश्चर्य से देख रहा था, वो तो अपने पापा को बोरिंग ही समझता था ।
माँ : “क्या आप भी, बच्चे के सामने…”
पापा : “बच्चा...?, अरे 19 का हो गया है... |
तीनो हंसने लगे,
खाना खा कर अक्षय फिल्म उसके दोस्तों के साथ फिल्म देखने गया, सुबह पापा ने पूछा “कैसी थी फिल्म?”
अक्षय ने मुह बनाते हुए कहा “समय और पैसे की बर्बादी, कॉमेडी फिल्म में कॉमेडी ही नहीं थी”
पापा : (हँसते हुए) 300 रूपये दे कर भी मज़ा नहीं आया, हम 3 रूपये मे पैसा वसूल फिल्म देखते थे |
चल तुझे अपने ज़माने की फिल्म दिखाता हूँ, हंसी भी आएगी, आंसू भी...
अक्षय ने कहा “चलो देख लेते है, वैसे भी आज रविवार की छुट्टी है”
पापा ने टीवी पर आनंद फिल्म लगाई, शुरुआत में अक्षय को बोरिंग लगी, बोला : क्या पापा, इतनी बोरिंग फिल्म, इससे अच्छी तो मेरी कल वाली फिल्म थी, पापा हँस कर, बोले “अभी तो शुरुआत है बेटा, देखता जा, अगर अच्छी नहीं लगे तो तेरी पसंद बेकार है”
फिल्म चलती गई, शुरुआत में अक्षय फ़ोन में लगा हुआ था धीरे धीरे जब आनंद के पात्र की एंट्री हुई तब अक्षय देखने लगा हल्की फुल्की कॉमेडी से उसे मज़ा आने लगा, आनंद जब कहता है "ज़िन्दगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए" उस संवाद पर अक्षय की वाह निकल गई, अक्षय ने हँसकर कहा : "ये मेरे जैसा है" पापा ने डांट दिया और बोले "चुप कर, मैं नहीं चाहता कि तू ऐसा बने..." पापा के चेहरे पर भावुकता झलक रही थी,
आधी फिल्म के बाद पापा ने कहा “रुक थोड़ी देर, मैं तुझे अपने हाथ की चाय पिलाता हूँ”
पापा ने चाय बनाई, चाय पीते हुए फिर से फिल्म शुरू कर दी, फिल्म में एक दृश्य में आनंद का पात्र कहता है "बहन, मैं तो ये भी नहीं कह सकता कि, मेरी उम्र तुझे लग जाये" वहां अक्षय की आँखे भीग गई फ़िर "कहीं दूर जब दिन ढल जाए" गाना जब आया उस के बाद आनंद कहता है "क्या हर हंसी के पीछे खुशी रहती है?" तब दोनों भावुक हो गए, पापा अक्षय से बोले "जैसे कि तेरी हंसी, दिखती है, तेरी हंसी के पीछे की चिंताए" अक्षय : "अरे पापा, ऐसा कुछ नहीं..."
पापा : चुप कर, बाप हूं तेरा
फ़िल्म आगे बढ़ी, आनंद की मृत्यु का दृश्य, वो दृश्य में दोनों पिता पुत्र रोने लगे, अक्षय ने रोते हुए कहा "पापा, मैं कभी कभी सोचता हूं..." और चुप हो गया
पापा : "अरे इतना मत सोच, जो तू सोच रहा है, वो जीवन का सत्य है" और पापा की भी आँखों में आंसू आ गए, दोनों पिता पुत्र एक दूसरे के गले लग कर रोने लगे, तभी मम्मी आ गई, ये देख कर उन्हें अच्छा भी लगा, उनकी भी आँखे भीग गई ।
अक्षय ने कहा "थैंक्स पापा"
पापा : (मुस्कुराते हुए)"बाप को थैंक्स बोलता है,... अब मत बोलना ।
अगले दिन से वो ही मीठी सी नोक झोंक फिर शुरू हो गई ।
