मानवता
मानवता
राहुल के पापा की हालत गंभीर थी, संपन्न लोग थे तो इलाज हो रहा था.... काला बाज़ारी करने वालों से दवाइयां, आक्सीजन आदि का प्रबंध हो रहा था 1 हज़ार का इन्जेक्शन बीस से पच्चीस हज़ार में ले रहा था मन में चल रहा था कि कितनी लालची दुनिया है, इंसानियत जैसे ख़त्म हो गई ये सोच ही रहा था कि उसके पापा को इन्जेक्शन की ज़रूरत पड़ी लेकिन ये क्या, मूंह मांगी कीमत देने के बाद भी इन्जेक्शन नहीं मिल रहा था क्या करे? नए शहर में किसी को जानता भी नहीं था तभी उसने सोशल मीडिया पर अपनी सारी ज़रूरतो के बारे में लिख दिया.... जैसे ही उसने पोस्ट किया, 1 घंटे तक कोई जवाब नहीं आया, कुछ नंबर मिले लेकिन वो या तो बंद थे , या उनके पास कहीं से उपलब्ध नहीं थे.....
राहुल निराश हो गया उसने सोचा शायद हार मानना पड़ेगा के तभी उसके नंबर पर किसी प्रशांत नाम के युवक का कॉल आया उसने स्थिति के बारे में जानकारी ली और उसे कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध करवा दी, राहुल ने खुशी से उसे कुछ पैसे देना चाहे लेकिन उसने मना कर दिया, बोला कि मैं पैसे लेने लगा तो मुझमे और उन चोरों में क्या फर्क, इन्सानियत के नाते इतना कर ही सकता हूँ, और फिर उसने पूछा... "भाई खाने का क्या करते हो??"
राहुल : "घर से लाया था, वो खत्म हो गया अब देखता हूं। " इस पर प्रशांत ने किसी को कॉल किया, राहुल के बारे में बताया.... शाम को राहुल को अच्छा खाना भी मिला ऐसे 10-12 दिन बीते उसके पापा स्वस्थ हो गए उसने सभी का धन्यवाद किया जिन्होंने उसकी मदद की और वो देने वालों को राहुल के पापा ने 10000 रुपये दान किए, उन लोगों ने मना किया तो वो बोले कि " आप इतने लोगों को खिलाते है, थोड़ा पुण्य हम भी कमा ले" बड़े आग्रह के बाद उन लोगों ने पैसे लिए। प्रशांत का भी कॉल आया उसने राहुल के पापा से हाल पूछा जब उसने जाना कि स्वस्थ है तो बोला "भगवान का धन्यवाद, और आगे तुम भी लोगों की मदद ज़रूर करना"
राहुल : "हां ज़रूर करूंगा "
उसके पापा ने बोला :."देख बेटा, दुनिया में इंसानियत अभी भी ज़िन्दा है, कुछ 10-20% लोग ही ऐसे बेइमान है, बाकी सारे 80-90% इमानदार है जिनकी नज़रो में मानवता ही धर्म है।" और वो हंसी खुशी घर चले गए।
ये कहानी सत्य घटनाओ से प्रेरित है, लोग सारा दिन सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं कई लोग बिना स्वार्थ के बस मदद ढूंढने लगते हैं जबकि वो जानते भी नहीं कि पीड़ित कौन है, जो लोग सारा दिन वेब सीरीज़, मूवीज़ देखते थे, अब उनको समय ही नहीं है क्योंकि उनको सोशल मीडिया पर अंजान लोगों की मदद करना है केवल मानवता के नाते, ना इसमें उनका कोई फायदा है, ना स्वार्थ बस सेवा कर रहे हैं मानवता अभी भी ज़िन्दा है सिर्फ़ कुछ ही ऐसे है जिनकी आत्मा धिक्कारती नहीं।