इश्क @ इन्स्टाग्राम
इश्क @ इन्स्टाग्राम
सोशल मीडिया, हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा। सोते बैठते, उठते, घूमते हर जगह कोई हो ना हो, सोशल मीडिया ज़रूर होता है। कई लोग मिलते है,कई दोस्त बनते है, कोई बस यूंही दिख जाते हैं, कई बार इश्क़ भी हो जाता है। ये कहानी,उसी सोशल मीडिया वाले इश्क़ के नाम।
दिसंबर का महीना था, ठंड लग रही थी,कुछ लोग ठंड में गरम कपड़े पहन चाय की चुस्कियां लेने जा रहे थे,कुछ लोग अलाव जलाकर ताप रहे थे,कुछ लोग बैडमिंटन खेल रहे थे,सड़क पर काफी चहल पहल थी।
अट्ठाइस साल का श्रवण अपने कमरे में बैठा,कंबल के अंदर वेब सीरीज़ देख रहा था,तभी उसका दोस्त पंकज बोला "यार क्या तू ये फोन पर लगा रहता है? चल पास में शादी है,वहां चलते है,खाना भी खा लेंगे और वहां लड़कियां देखेंगे।"
"कुछ लोगों को लड़कियों के आगे पीछे घूमना पसन्द नहीं होता,श्रवण का भी ऐसा ही स्वभाव था कि उसे लड़कियों के आगे पीछे घूमना पसन्द नहीं था,उस को बात करना था,यूँ ही देखने में उसको कोई दिलचस्पी नहीं थी" ।
उसने पंकज से कहा "यार तुझे पता है ना,मुझे नहीं पसन्द ऐसी हरकते,तू ही जा,ठरकी कहीं का"
पंकज ने कहा "मैं ठरकी,और तू सारा दिन इंस्टा पर लगा रहता है लड़कियों के साथ... उसका क्या"
श्रवण गुस्से में बोला "दोस्त है मेरी,तू क्या समझे दोस्ती को, हर लड़की को हवस की नज़रों से देखने वाला,और वैसे भी...इंस्टा पर कम से कम बात तो होती है ना ...
इस बात पर दोनों का ही झगड़ा हो गया
श्रवण एक दिन यूं ही इंस्टाग्राम देख रहा था, सजेशन्स में उसे एक नाम दिखा, शिवांगी शर्मा, ये नाम देखते ही उसे काफ़ी कुछ याद आया, स्कूल वाली क्रश, जिससे जाने कितने समय से श्रवण बात करना चाह रहा था, मिली भी तो ऐसे इंस्टाग्राम पर,हालांकि थोड़ी अलग दिख रही थी, पर उसने सोचा, इतने सालों में बदल गई होगी श्रवण ने बिना देरी के शिवांगी को रिक्वेस्ट भेज दी ।
उसके बाद श्रवण अक्सर शिवांगी शर्मा को सर्च कर के देखा करता ,हमेशा रिक्वेस्टेड लिखा रहता, ऐसे इंतज़ार करते हुए कई दिन गुज़रे ,एक बार सुबह इन्टरनेट कनेक्ट होते ही श्रवण के पास नोटिफिकेशन आया "शिवांगी शर्मा एक्सेप्टेड योर रिक्वेस्ट।
देखते ही श्रवण खुशी से जाग गया और मैसेज किया
जय श्री कृष्ण
शिवांगी ऐक्टिव नहीं थी, श्रवण प्रतीक्षा में था, बार बार अपना फोन देखता, फिर इंटेरनेट बंद कर के रोज़ दिनचर्या के काम करने लगा ।
ऑफिस की छुट्टी होने के कारण श्रवण अपने बिस्तर पर ही लेटा हुआ था श्रवण, उसने सबसे पहले चाय बनाई, फिर नहाया, नहा कर निकला फिर फोन चेक किया उस में मैसेज था शिवांगी का "जय श्री कृष्ण "
श्रवण ने पूछा "तू तो काफ़ी बदल गई"
शिवांगी का रीप्लाई आया "कोई तमीज है या नहीं, जान ना पहचान, सीधे तू पर आ गए, और बदल गई से क्या मतलब ?"
श्रवण थोड़ा घबराया, फ़िर रीप्लाई किया "हे, माफ़ करना, तुम शिवांगी मेरी क्लासमेट नहीं हो"
शिवांगी ने तुरंत रीप्लाई किया "मुझे तो नहीं लगता, तुम कहां से हो"
श्रवण ने बताया "इंदौर"
शिवांगी ने बताया "फ़िर तो पक्का हम नहीं जानते एक दूसरे को"
श्रवण ने पूछा "तुम कहां से,?"
शिवांगी ने रीप्लाई किया "अंबाला"
श्रवण : "हरियाणा से, सम्भल कर रहना पड़ेगा.
शिवांगी ने रीप्लाई किया "ये खौफ़ अच्छा लगा"
धीरे धीरे दोनों की बातें शुरू हो गई, दोनों ऐसे हो गए जैसे बहुत समय से जानते हो एक दूसरे को, नंबर भी एक दूसरे को दे दिए, दोनों सुबह उठने से सोने तक सारे दिन भर की बातें शेयर करते, रोज़ाना घंटों कॉल पर बात होती, दोनों में बचपना, दोनों कार्टून्स देखते, किताबें पढ़ना, काफ़ी कुछ मिलता था विचार, पसंद सब कुछ... नहीं मिलता था, तो शहर ।
एक दिन दोनों कॉल पर बात कर रहे थे, प्यार की बात चली, श्रवण ने पहले पूछा : एक बात बता, तू सिंगल है ?
शिवांगी ने कहा : "हाँ, हैप्पी सिंगल, और तू"
श्रवण ने भी कहा : "हाँ, मैं भी सिंगल हूं, किसी की आस है"
शिवांगी ने कहा: "मुझे भी, अपने सात साल पुराने रिश्ते के वापस ठीक होने की..."
श्रवण: "भूल जा यार"
अपन ही हमेशा के लिए साथ हो जाते हैं
(ये बात श्रवण ने इसलिए कही,क्योंकि श्रवण जिसको पसंद करता था, वो लड़की उसके लिए वैसा महसूस नहीं करती थी, तो वो सोचता था कि कोई और प्यार मिल जाए, तो शायद वो उस लड़की से केवल दोस्ती रख पाएगा, पर शिवांगी सोचती थी कि चाहिए तो वो ही, रिश्ता सुधर जाएगा)
शिवांगी ने कहा : "क्या तू भूल सकता है?"
कुछ क्षण के लिए दोनों चुप हो गए, फिर साथ में बोले, चल अब सो जाते हैं, रात के ग्यारह बज गए ।
दोनों अपने अपने बिस्तर पर लेटे हुए थे, हालांकि दोनों को नींद नहीं आ रही थी, पर दोनों ने मैसेज नहीं किया, थोड़ी झिझक हो रही थी, दोनों एक दूसरे से आकर्षित होने लगे थे, ना चाहते हुए भी आकर्षण बढ़ रहा था, तो दोनों ने साथ में मैसेज किया, हमें थोड़ा कम बात करना चाहिए ।
तो कुछ दिन दोनों ने एक दूसरे से बात नहीं की, दोनों याद कर रहे थे पर दिमाग कह रहा था कि बात नहीं करना ।
शिवांगी रोहन से प्यार करती थी, दोनों बचपन के दोस्त, सात साल से दोनों रिश्ते में थे, घरवालों को भी पता था, सब खुश थे, अचानक शिवांगी को रोहन ने बोल दिया कि वो रिश्ता नहीं रखना चाहता, कारण नहीं पता, बस नहीं रखना ।
इधर श्रवण भी अपनी कॉलेज की दोस्त अनुष्का से प्यार करता था, कारण उसको भी नहीं पता था, बस शायद इसलिए कि दोनों के विचार, पसंद मिलते थे ।
एक दिन शिवांगी का कॉल श्रवण आया, वो रो रही थी, बोली कि रोहन की शादी का कार्ड आया, समझ नहीं आ रहा क्या करे, श्रवण ने कहा "मत रो, तेरी किस्मत में कोई और होगा, बेस्ट लिखा होगा, प्लीज़ मत रो, उस दिन कई महीनों बाद दोनों ने कॉल पर बात की दोनों काफ़ी खुश थे ।
दोनों फिर से घंटों बात करने लगे, शिवांगी से बात करके श्रवण को वैसा लगने लगा, जैसा अनुष्का के साथ कभी नहीं लगा, दोनों को साथ की ज़रूरत थी, पर श्रवण फिर से वो ही बात कर के फिर से दोस्ती खराब नहीं करना चाहता था, इसलिए उसने दोस्त बन कर ही बात जारी रखी, कहने लगा "कितना अच्छा होता ना अगर हम एक ही शहर में होते"
"काश ऐसा कुछ हो जाए कि तू यहां या मैं वहां आ जाऊँ "
भगवान ने तथास्तु बोल दिया, शिवांगी के पापा पुलिस में थे ,उन का ट्रांसफर हो गया इंदौर, शिवांगी ने खुशी से ये बात श्रवण को बताई ।
1 महीने में शिवांगी इंदौर आ गई, दोनों ने मिलने का तय किया, तय हुआ कैफे में मिलने का, वहां पर दोनों ने पाव भाजी खाई, चाय पी, घंटों साथ बीते।
शिवांगी बड़ी सुंदर थी, कुर्ता और जीन्स पहनी, खुले लम्बे बाल, कान में लम्बे झुमके हाय इतनी प्यारी और श्रृंगार की ज़रूरत नहीं, ऐसे ही इतनी सुंदर...
श्रवण अकेला ही रहता था, एक आईटी कंपनी में काम करता था, उसने भी अपना रूम छोड़कर शिवांगी के पास ही रूम ले लिया, ज्यादा पास भी नहीं, दो किलोमीटर की दूरी पर ।
शिवांगी के घर का माहौल फ्रैंक था, इसलिए वो श्रवण को घर ले गई, वहां अपने घरवालों से उसको मिलाया, श्रवण शिवांगी और उसके घरवालों की हर मुमकिन मदद करता, इसलिए नहीं कि उसको किसी तरह का कोई लालच था, बस इसलिए कि वो शहर में नए थे ।
एक बार श्रवण ने शिवांगी से कहा "तुझे भरोसा है ना मुझ पर"
शिवांगी ने कहा "हां, पर क्यों"
श्रवण बोला : "चल ना, मेरे रूम में, साथ में मूवी देखेंगे"
शिवांगी श्रवण को पसंद करने लगी थी, क्योंकि उसी ने रोहन के ग़म से उसे निकाला था, तो शिवांगी ने हां कर दी रूम पर जाने तू या जाने ना देख रहे थे, अचानक से बीच में मूवी रोक कर श्रवण ने कहा : "तेरा भी उधर सब बंद है, मेरा भी कुछ नहीं होगा, उससे ज्यादा मुझे तू खुशी देती है, तेरे साथ ऐसा लगता है कि मैं दुनिया का सबसे खुश इंसान हूं, अगर तुझे ठीक लगे तो क्या हम सारी ज़िंदगी साथ रहे ?, पति पत्नी बन कर ।
शिवांगी हां करना चाह रही थी पर उसने थोड़ा सोचने की ऐक्टिंग की और फिर बोली "हमेशा मेरे साथ रहोगे ? मान लो वो आ गई तो ?"
श्रवण ने कहा "कदर साथ देने वाले की होती है, छोड़ने वाले की नहीं"
शिवांगी ने कहा "ठीक है फ़िर, चलो मूवी फिर चालू करे"
श्रवण बोला "रुक, ठीक से प्रपोज़ तो करने दे"
शिवांगी हँस दी, और बोली, हाय...
श्रवण ने कहा "हे शिवी, कभी सोचा नहीं था कि ऐसा कुछ होगा, हमको भगवान ने मिलाया, सोशल मीडिया पर दोस्ती, वो भी इतनी गहरी और फिर अब प्यार हो गया,तुम्हारा साथ अलग ही खुशी देता है, मैं चाहता हूं कि हमेशा ये खुशी देती रहे, आई लव यू यार, मेरी बनेगी, हमेशा के लिए ?"
शिवांगी ने कहा "खुशी तो तू ने भी दी है, कैसे मना कर सकती हूं, लव यू टू "
दोनों ने एक दूसरे को कस कर गले लगा लिया, श्रवण ने शिवांगी के माथे को चूम लिया, दोनों की धड़कने बढ़ गई, दिल मिल गए थे, कमरे में कोई नहीं था, तो दोनों के धीरे से होंठ भी मिल गए, तीन मिनट तक होंठ मिले रहे, और घंटों दोनों खोए रहे एक दूजे में ।

