डे 40: कचोरी फीवर
डे 40: कचोरी फीवर


डिअर डायरी,
तुम जानती हो कि मैं किचन में जाती ही नहीं। लेकिन ये ज़ुबान २ दिन से कचौरी को याद कर रही थी। इस वक्त लिख रही हूँ, तब याद तो चॉकलेट्स भी आ रही हैं, लेकिन फ़िलहाल कचोरी की बात ही करती हूँ।
कचोरी का स्वाद याद आ रहा था। अब तो चाहिये ही, वाली फ़ीलिंग थी।तो सहारा लिया इंटरनेट का।अच्छा एक और बात बता दूँ , कि ये जो कचोरी खाने की इच्छा थी, ये इतनी तीव्र थी कि मैं सुबह ०५.३० बजे उठ गयी थी। फिर इंटरनेट में ढूंढा कि कचोरी कैसे बनानी है।
सब ठीक हुआ, लेकिन कचोरी के मसाले में मिर्च कम थी और कैचोरी तेल में जाकर फट रही थी। लेकिन कुछ भी हो, कचोरी तो बन रही थी।और सुबह ०५.३० बजे से इसकी ही ख्वाहिश थी।
पता नहीं बाकी सब की परफेक्ट कैसे बनती है ?