Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Richa Baijal

Abstract

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Richa Baijal

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जीवन : एक संघर्ष

जीवन : एक संघर्ष

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लॉक डाउन ने परिवार की अहमियत को बता दिया । हमारा सारा वक्त घर के बाहर निकल जाता है और हम अपने अपनों को बहुत कम समय दे पाते हैं।लेकिन , घर के असल होम मेकर तो वही होते हैं , जो उस मकान को घर बनाते हैं । मैंने लॉक डाउन में "माँ " को समझा । वो थकती ही नहीं हैं , और बहुत प्रेम से घर के सभी कार्य करती हैं । 


जब घर का झाड़ू पोंछा स्वयं किया तो समझ में कि काम क्या होता है । उसके बाद समय ही नहीं होता था इस ऑनलाइन दुनिया से मिलने का । इत्मीनान, सुकून और एक गहरी नींद जिसका ६ बजे खुलना तय होता था । 


फिर स्टोरीमिर्रोर का प्लेटफार्म मिला और वहां हर दिन कुछ न कुछ लिखना होता था । वहां हर दिन लिखने से खुदको अभिव्यक्त करना सीखा । कुछ दोस्त मिले और यूट्यूब पे वीडियो बनाना भी सीखा ।


धूप में सोशल डिस्टन्सिंग में १।३० घंटे लम्बी लाइन में खड़े रहकर सामान लेने की वो कवायद , वो झुंझलाहट जो धीरे धीरे संयम में बदलती गयी , और उस इंतज़ार की आदत हो गयी ।


लोगो को सुनने और समझने की कोशिश करने लगी मैं ; साथ काम करने वाले मेरे इस व्यवहार पर हँसते , लेकिन मैं अब लोगों को समझती थी । और इसी क्रम में मैंने ये भी समझा कि ढीठ व्यक्ति ढीठ ही रहता है ; वो ५०० रुपये लेने वालों की लाइन जिन्हें लॉक डाउन से कोई फर्क ही नहीं पड़ा और वो अभिमानी पैसे वाले लोग जिनके लिए लॉक डाउन नियम तोड़ने की एक प्रक्रिया हो गयी ।


इंसानी व्यवहार को समझा ; वो लालच के पीछे एक एक पैसे को बचाने वाला अमीर और अपने ख़ज़ाने खाली करने वाला भी वही अमीर ; कितना फर्क है उसके वर्तन में और कितनी कैलकुलेशन की होगी उसने उन दुआओं को पाने के लिए और उसी खर्च हुए पैसे को चार गुना करने के लिए । सच कहूं , तो सच्चा तो वो गरीब ही है जो १० रुपये किसी को कम कर देने के बाद ये नहीं सोचता कि अब इस १० रुपए के नुकसान को मैं कहाँ से पूरा करूँ ; वो संतुष्ट हो जाता है । सफल भी वही ; और खुश भी वही ।


विविध स्वरुप , विविध हैं वर्तन ,

हे मनुष्य ! ये कैसा नर्तन ?

मृत्यु शाश्वत हैं और जीवन अविचल ,

चलता चल , बस चलता चल ।



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