डे 36 : मौत शाश्वत है
डे 36 : मौत शाश्वत है


डिअर डायरी,
डे 36 : मौत शाश्वत है :29.04.2020
फिल्म एक्टर इमरान खान के निधन के साथ आज दिन की शुरुआत हुई। वो अपनी ज़िन्दगी के लिए बहुत समय से लड़ रहे थे। फिर भी ज़िंदादिल थे , सफल थे। मालूम भी नहीं होता किस दिन मौत अचानक से छू कर आपको साथ ले जाएगी।
आपने अपने आने का दिन तो निश्चित कर लिया है, क्यूंकि जीवनदात्री स्त्री है, लेकिन कभी भी मौत का वक्त और समय निश्चित नहीं कर पाए हम। कभी कभी मन उस दिव्य - शक्ति को नतमस्तक हो जाता है जिसने ये दुनिया बनायीं होगी। यदि जाने का सीन ही नहीं होता तो हम सभी "क्रूरसिंह " बन जाते थे। वैज्ञानिक कहते हैं कि आपके अंग 80 वर्ष से ज़्यादा कार्य नहीं करते हैं औसतन तौर पर, तब फिर आप एक्सीडेंट्स को कैसे जस्टिफाई करोगे ? बीमारियों को तो कर भी सकते हैं।
ऐसा होना चाहिए था कि एक्सीडेंट होता और बंदा उठकर खड़ा हो जाता जैसे कुछ हुआ ही न हो।...लेकिन ऐसा होता नहीं है। बहरहाल, मौत तो निश्चित ही है, जो आया है उसको जाना ही है। लेकिन कुछ ऐसा होना था न, कि बन्दे हमारे घरों में ही रहते और कहते रहते," डोंट वरी , मैं हूँ तो यहाँ।.."लेकिन ये भी नहीं है नसीब में।
मृत्यु शाश्वत है, आएगी ही। तो अब कोरोना के रूप में किसके पापों को तोलने बैठे हो भगवान ?
कहने की ज़रूरत नहीं है कि विराम लगे नहीं हैं अभी ,और इस महामारी के जाने के बाद बहुत से नए समीकरण बनेंगे। नौकरियां जा चुकी हैं बहुत से लोगों की, अब मालूम नहीं आगे क्या होगा ? सब कुछ अनिश्चित सा है, धुँधला सा आसमान है, लेकिन उस धुंधलके के छंटने की ज़िद्द है हमारी , ऑंखें वहीँ जाकर ठहर गयी हैं अब।