Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

Abstract

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Priyanka Shrivastava "शुभ्र"

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डायरी के पन्ने डे थ्री

डायरी के पन्ने डे थ्री

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सुबह नींद खुल जाए और आप उठने का मन भी बना लिए हों उस समय भी यदि कोई आपको समय बात उठने को आवाज दे दे तो उठने का मजा किड़किरा हो जाता है या आप अपरोध बोध से भर जाते हो। आज ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मैं अपनी नींद पूरी कर उठी। पति अभी तक सो रहे थे। बड़ा सुकून भरी सुबह थी।

जब से बंद का आलम प्रारम्भ हुआ है उठने से पहले ही, ये कह सकते हैं नींद में ही झाड़ू के दर्शन होने लगते हैं। झट-पट नित्यक्रिया से निवृत हो झाड़ू उठा पहले किचेन की सफाई करती हूँ।

मोदी जी की कृपा से पतिदेव नींबू पानी खुद के साथ-साथ मेरे लिए भी बनाते हैं और तब-तक मैं एक कमरे में झाड़ू लगाने के बाद लगे हाथ पोछा भी कर लेती हूँ। नींबू पानी के बाद मैं अन्य कमरों की सफाई में लग जाती और ये योग और प्राणायाम प्रारम्भ करते हैं    अन्य कमरों की सफाई के बाद प्रायः मैं चाय पीने के बाद ही कुछ करती हूँ। आज भी वैसा ही हुआ। चाय के साथ न्यूज़ भी सुन रही थी। आजकल पुलिस के सहयतापूर्ण काम रोज देखने को मिलती है पर आज बरेली के DCP के कार्य से उनके प्रति श्रद्धा से मन भर गया। बरेली की एक महिला जिनका फुलटर्म प्रैग्नेंसी थी और पति नोयडा में फंस गए थे, सहायता के लिए पुलिस को फोन की तो DCP रणविजय सिंह आकर मौके पर उसे अस्पताल पहुंचाए। उस महिला ने एक स्वस्थ्य पुत्र को जन्म दिया।

DCP रणवीर सिंह के सद्भावना पूर्वक व्यवहार से मुग्ध हो उसने अपने पुत्र का नाम उनके नाम पर रखने का निर्णय लिया।   काश हमारे यहाँ सभी के कर्म इतने प्रभावशाली होते।

इतनी अच्छी सुबह थी तो आज का दिन तो सुखद बीतने वाला ही था। हमारे साहित्यिक ग्रुप ने एकाएक ऑन लाइन कवि गोष्ठी का आयोजन करने का मन बनाया और झट-पट यह कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया। सभी ने एक से बढ़कर एक अच्छी भावना प्रधान कविताओं का पाठ किया। एक घंटे का यह कार्यक्रम बहुत ही आनन्ददायक रहा।सुबह अच्छी हो तो शाम कैसे हो जाती है पता ही नहीं चलता। बंद के कारण कहीं जाना नहीं है अतः शाम थोड़ी उबाऊ हो जाती है। टी वी देखने बैठो तो न्यूज़ देख कर मन परेशान हो जाता है। मैं न्यूज़ बन्द कर भजन और फिर कुछ गाना सुनने के बाद खाना और सो जाना ही श्रेयस्कर समझती हूँ। अच्छी सुबह की आस में रात गुजर जाती है।


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