लिखना अभिरुचि मात्र है। अचानक मन में आए भावों को मेरी लेखनी शब्दों का जामा पहना स्थूल रूप से देती है, जिसे निहार मैं मुग्ध हो जाती हूं।
Share with friendsकोविड ने डंडा घुमाकर कहा हार गई न मुझसे। छोड़ दिया न माँ को.. कल तुम्हारी बारी है..।
Submitted on 05 Sep, 2020 at 17:57 PM
आपकी लेखनी तो बहुत बोलती है पर आप क्यों मूक बन जाती हैं..
Submitted on 30 Apr, 2020 at 10:02 AM
आजकल मैं अपने पुराने नियम का पालन करने लगी हूँ
Submitted on 09 Apr, 2020 at 17:06 PM
आँखों में चाँद की चांदनी बसा मैं अब निद्रा देवी के घर चली।
Submitted on 08 Apr, 2020 at 18:39 PM
सच इस कोरोना ने सामाजिक दूरियाँ बुरी तरह फैला दी है। एकाएक हम सभी असामाजिक हो गए हैं।
Submitted on 30 Mar, 2020 at 17:52 PM
कोई चमत्कार करो कि रातो रात ये कोरोना दुनिया से चला जाए।
Submitted on 28 Mar, 2020 at 16:38 PM
क्षमा नहीं उसको करना है, देना सख्त उसे दंड है, क्योंकि बाहर सब बंद है।
Submitted on 28 Mar, 2020 at 16:12 PM
मैं आज कुछ गरम कपड़ों की सफाई कर उसे बंद करने में व्यस्त रही। पति का भी सहयोग मिला।
Submitted on 26 Mar, 2020 at 16:59 PM
अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कोरोना को हराना है न कि उसके नाम के डर से मर जाना है।
Submitted on 25 Mar, 2020 at 09:41 AM
आज हर दिन को एक अनोखा नाम देकर हम उसे अनोखा बना मजे करते हैं।
Submitted on 04 Mar, 2020 at 13:40 PM
आज नए जमाने मे भी ससुराल में नई बहू पर अनेक तरह की बंदिशे लगाई जाती है। वो क्यों?
Submitted on 26 Feb, 2020 at 14:16 PM
सबको पूर्ण विश्वास था मंत्री जी आज एक एक आदमी की बात सुनेंगे और सबके समस्या का निराकरण
Submitted on 25 Feb, 2020 at 17:17 PM
कहानी खत्म कर मैंने पति को धन्यवाद दिया। वो तो समझ नहीं पाए ऐसा क्या हुआ। वो आश्चर्य से
Submitted on 04 Jan, 2020 at 09:48 AM
धुंधली चीज अकसर समझ में नहीं आती। अतः आगे का सफर फिर कभी…...
Submitted on 01 Dec, 2019 at 16:57 PM
सात दिन पहले यह वृद्धा इसी पोटली पर सर रख अस्पताल के काउंटर के खुलने के इंतजार में वहीं
Submitted on 30 Nov, 2019 at 08:13 AM
इसी दुनिया में अच्छे और बुरे दोनों तरह के इंसान रहते है। जाने राह में कब किससे भेट हो जाए।
Submitted on 29 Nov, 2019 at 15:09 PM
बच्चों की छोटी खयशी में भी सदा साथ निभाए और उनको सदा प्रोत्साहित कीजिए।
Submitted on 28 Nov, 2019 at 18:10 PM
जो दूसरे के जीवन में ताक-झाँक करते हैं और दूसरे को बेवजह सलाह देते रहते हैं वैसे लोगों को कोई भी पसंद नहीं करता।
Submitted on 27 Nov, 2019 at 17:48 PM
लड़को की भी बात सुननी चाहिए। नहीं तो उन्हें अपना दर्द छुपाने की आफत हो जाती है जो कभी कभी भयावह भी हो सकती है।
Submitted on 26 Nov, 2019 at 15:31 PM
"तत्क्षण जले दिल से आवाज आई और इसकी माँ को कोई सजा नहीं ?"
Submitted on 25 Nov, 2019 at 15:54 PM
आज भी हमारा ग्राम्य समाज अठारहवीं सदी में जी रहा है। श्राद्ध के नाम पर खून भी चूस लेते हैं लोग। ये लोग और कोई नहीं परिवा...
Submitted on 24 Nov, 2019 at 17:56 PM
प्रायः लोगों की आदत होती है अपनी राय दूसरे पर थोपना । और जब वे नहीं मानते तो उन्हें बाध्य करना। इस मकड़जाल से उबरने पर श...
Submitted on 23 Nov, 2019 at 17:56 PM
फिर भी जाने क्यों पराये शब्द से नवाजी जाती है और वो भी पुरानी बहू अर्थात सास के द्वारा।
Submitted on 22 Nov, 2019 at 17:06 PM
बच्चों की अच्छी परवरिश की गवाही उनकी योग्यता और उनके अच्छे व्यवहार बताते हैं
Submitted on 18 Nov, 2019 at 16:31 PM
पढ़ाई की महत्ता समझ बाई की बेटी को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करना।
Submitted on 17 Nov, 2019 at 17:26 PM
लाल बत्ती एक रुतवा है इसे नशा भी कह सकते हैं। कभी रोकती है तो कभी आगे बढाती है।
Submitted on 16 Nov, 2019 at 17:11 PM
तुम सब हत्यारे हो हत्यारे हो बोलते-बोलते वो एकाएक चुप हो गई और अब तो महीनों हो गए वो चुप गुमशुम है।
Submitted on 15 Nov, 2019 at 17:23 PM
डॉ गोपी बल्लभ सहाय फादर ऑफ मेडिकल जुरिस्प्रूडेंट ऑफ बिहार ,इनका हर काम अनोखा था। दरभंगा
Submitted on 13 Nov, 2019 at 17:20 PM
आज पहली बार नयन जल छलके और पति, पुत्र और परिवार के अन्य राज, मुझे बता मन हल्का किया।
Submitted on 11 Nov, 2019 at 17:11 PM
नंदिता उसे हाथ से इशारा कर सौम्या के बात ख़त्म करने का इंतज़ार करने लगी।
Submitted on 09 Nov, 2019 at 15:58 PM
कृपया मेरे निवेदन पर ध्यान दे कर मेरे और अपने, दोनों के अस्तित्व को बचा ले। इति गंगा
Submitted on 08 Nov, 2019 at 17:17 PM
मकई के खेत की तरफ बढ़ी ही थी कि शर्माजी चिल्लाते हुए अपने सर के बाल नोचने लगे।
Submitted on 07 Nov, 2019 at 18:25 PM
शिक्षा दान सबसे बड़ा दान है। किसी गरीब को शिक्षित करने से अच्छा कुछ और नहीं।
Submitted on 06 Nov, 2019 at 17:46 PM
कभी कभी मंद बुद्धि कहलाने वाले ही कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि विद्वान देखते रह जाते।
Submitted on 05 Nov, 2019 at 18:25 PM
उसने तो इसका फ़ोटो कॉपी कर के रख भी लिया है। तुम्हें भी भेजूँ ? तुम फिर से ऐसे ही पत्र
Submitted on 04 Nov, 2019 at 18:12 PM
बचपन मे फूल तोड़ने पर डांट मिली तो बड़ा होकर नर्सरी ही खोल लिया।
Submitted on 03 Nov, 2019 at 16:50 PM
वह लपक कर लाली का हाथ थाम उसकी माँ से कही - “ आज से ये मेरा काम करेगी, सिर्फ मेरा काम "
Submitted on 23 Oct, 2019 at 17:45 PM
नकी बातों के साथ मैं पुराने दिनों में खो गई - जब भी छोटी ननद आती। ...
Submitted on 09 Oct, 2019 at 18:13 PM
औरतों की ज्यादा से ज्यादा खरीददारी की इच्छा को व्यंगात्मक रूप में दिखाती कथा
Submitted on 28 Jun, 2019 at 09:49 AM
सभी के मुँह खुले रह गए और रितु का मुस्कुराता चेहरा दिव्य, मानों उसने बुद्धत्व को प्राप्त कर लिया।
Submitted on 09 Jan, 2019 at 15:05 PM
“ इसलिए तो आजकल मैं आत्मचिंतन ज्यादा करती हूँ।” और वो मुस्कुरा दी।
Submitted on 09 Jan, 2019 at 14:59 PM
आज के जमाने के बच्चों की परवरिश के तरीके पर व्यंग्य करती रचना.....
Submitted on 25 Dec, 2018 at 08:26 AM