डायरी के पन्ने लॉक डाउन में
डायरी के पन्ने लॉक डाउन में


19/ 4 /2020
अब तो दिन और तारीख भी याद नहीं रहता। यदि सुबह नींद न खुले तो नींद में ही सारे काम चलते रहते हैं। कई दिन तो अलार्म बजता है और हँसी आती है किसको उठा रहा है और क्यों।
मुझे ऑफ़िस नहीं जाना इस लिए मैं ऐसा सोच रही पर जिसे ऑफ़िस जाने है उनकी स्थिति भी इससे कोई बहुत ज्यादा बेहतर नहीं।
अब तो न्यूज़ सुनना भी बेइमनी लगती है। कल रात के न्यूज में था पटना में कई दिनों से कोई नया केस नहीं आया और आज दोपहर में मालूम हुआ राजा बाजार, खाजपुरा एरिया में एक कोरोना की मरीज पाई गई। वो कितने लोगों से मिली, उसे किसके संपर्क में आने से हुआ पता नहीं चला है अभी तक इसलिए पूरे एरिया को सील कर दिया गया। आज मेरे जीवन की एक सुखद बात, आज मेरी एक दीदी (अरुणा दीदी) मेरे डायरी के पन्ने की बहुत तारीफ की और इसे लगातार लिखते रहने को कहा।
बड़ाई किसे अच्छी नहीं लगती। मैं भी खुश हो गई और कितने दिनों के बाद आज पुनः डायरी लिखने बैठी परन्तु आज तो बहुत रात हो चुकी है अब सारी बातें कल के पन्ने के लिए सहेज कर रख लेती हूं।