डायरी के पन्ने डे 18&19
डायरी के पन्ने डे 18&19


आज की सुबह हर दिन से बलकुल अलग हुई। कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब प्रातः शांत मन से न उठी होऊँ। पर आज तो उठते ही कोरोना सर पर सवार था। आज उठते ही न्यूज़ का ध्यान आया। न्यूज़ कोई नया नहीं। अलग-अलग राज्य इस लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने की सिफारिस कर रहे हैं।
पर रात तक प्रधानमंत्री का कोई मंतव्य नहीं आया। उम्मीद सभी को है कि ये अवधि अवश्य बढ़ेगी पर सबकी सोच और प्रधानमंत्री की सोच में बहुत फर्क है। अब सभी सोच रहे हैं कि प्रधानमंत्री किस तरह से क्या नए नियम के साथ इसे बढ़ाऐंगे ये देखना है।
आज तक मैं अपनी डायरी में कोई आरोपित बातें नहीं लिखना चाहती पर आज लगता है लेखनी नहीं मानेगी। जमाती लोगों पर आक्रोश यदि लेखनी कुछ ज्यादा प्रदर्शित कर दे तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। किसी ने सही कहा है 'विनाशकाले विपरीत बुद्धि।' इन जमातियों की हरकत देख तो यही लगता है।