लिखना अभिरुचि मात्र है। अचानक मन में आए भावों को मेरी लेखनी शब्दों का जामा पहना स्थूल रूप से देती है, जिसे निहार मैं मुग्ध हो जाती हूं।
पैसे का अभाव या कुछ सोची समझी चाल ..? पैसे का अभाव या कुछ सोची समझी चाल ..?
आश्वस्त हो भीड़ दो भागों में बट गई मगर काना-फूसी जारी थी। आश्वस्त हो भीड़ दो भागों में बट गई मगर काना-फूसी जारी थी।
सभी एक दूसरे की हिफ़ाजत को सोच अपनी कमजोरी छुपा रहे थे। सभी एक दूसरे की हिफ़ाजत को सोच अपनी कमजोरी छुपा रहे थे।
कोविड ने डंडा घुमाकर कहा हार गई न मुझसे। छोड़ दिया न माँ को.. कल तुम्हारी बारी है..। कोविड ने डंडा घुमाकर कहा हार गई न मुझसे। छोड़ दिया न माँ को.. कल तुम्हारी बारी है...
आपकी लेखनी तो बहुत बोलती है पर आप क्यों मूक बन जाती हैं.. आपकी लेखनी तो बहुत बोलती है पर आप क्यों मूक बन जाती हैं..
मुझे ऑफ़िस नहीं जाना इस लिए मैं ऐसा सोच रही मुझे ऑफ़िस नहीं जाना इस लिए मैं ऐसा सोच रही
बस अब सारी निदानें कल पर छोड़ आज लेखनी बंद। बस अब सारी निदानें कल पर छोड़ आज लेखनी बंद।
मैं आजकल अपने ऐसे ही कार्यों को पूर्ण कर रही हूँ। मैं आजकल अपने ऐसे ही कार्यों को पूर्ण कर रही हूँ।
इन जमातियों की हरकत देख तो यही लगता है। इन जमातियों की हरकत देख तो यही लगता है।
फिर थोड़ा ठंडा कर के छान कर उसका सेवन करती। फिर थोड़ा ठंडा कर के छान कर उसका सेवन करती।