Deepika Kumari

Abstract Others

4.6  

Deepika Kumari

Abstract Others

दांपत्य जीवन

दांपत्य जीवन

6 mins
23.9K


"मम्मी, मैं पार्लर जा रही हूं।" प्रिया ने घर से निकलते हुए मां से कहा।

"क्यों?" मां ने प्रिया की और अचरज भरी दृष्टि से देखते हुए पूछा।

"ओहो, मम्मी तुम्हारी भूलने की बीमारी कब जाएगी। मैंने बताया था ना मेरी फ्रेंड मीनाक्षी की शादी है।" ....प्रिया।

प्रिया की मां, " अच्छा तो आज है क्या उसकी शादी याद आया और साथ में यह भी कि वह तेरी ऐसी आखरी कुंवारी सहेली है जिसकी शादी होने जा रही है। इसके बाद सिर्फ तू ही बचेगी बिना शादी किए बाकी सब की गृहस्थी बस गई है।"

"ओहो, मम्मी तुम अब फिर से शुरू मत हो जाना प्लीज। मेरा मूड खराब मत करो। मुझे पहले ही देर हो रही है।" ये कहते हुए प्रिया पार्लर के लिए निकल जाती है।

अगली सुबह प्रिया रोते हुए घर वापस आती है और अपनी मां के गले लग कर रोने लगती है।

प्रिया को रोता हुआ देखकर उसकी मां कहती है,"क्या हुआ, तू रो क्यों रही है? किसी ने कुछ गलत कह दिया क्या तुझे?"

"नहीं मम्मी मेरी तो यह एक बात समझ नहीं आती कि आखिर लोग शादी करते ही क्यों हैं । जिस रिश्ते की शुरुआत ही आंसुओं से होती है, ऐसा रिश्ता जो एक बेटी को उसके अपनों से दूर कर दे, लोग ऐसा रिश्ता बनाते ही क्यों है? मैं इसीलिए तो शादी करना ही नहीं चाहती और मैं कभी शादी करूंगी भी नहीं।"

मां प्रिया को समझाते हुए कहती है, "नहीं बेटा, ऐसा नहीं है। शादी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है । इसके बिना हमारा जीवन अधूरा है । अब तुम ही बताओ तुम्हारे पिता रिटायर हो चुके हैं । मैं भी शरीर से बूढ़ी हो चली हूं। 10-15 सालों से ज्यादा तो हम जी नहीं पाएंगे और उससे पहले भी भगवान बुला ले तो किसको पता। फिर तू क्या करेगी? भाई-भाभी को भी कुछ दिन बाद तू बोझ लगने लगेगी और अकेले जिंदगी नरक बन जाएगी ।अकेली लड़की को समाज असहाय व असुरक्षित समझकर हमेशा उसका फायदा उठाने की कोशिश करता है और कुंवारी लड़की की समाज में वह इज्जत नहीं होती जो एक शादीशुदा औरत की होती है । उसे समाज सदा ही हीन दृष्टि से देखता है।"

प्रिया, "तो क्या हमें अपना जीवन समाज के अनुसार ही जीना पड़ेगा। क्या हमारी कोई इच्छा नहीं है ? क्या हमारे कोई सपने नहीं है? क्या हम अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीने के अधिकारी नहीं है?"

मां प्रिया से पूछती है, "लेकिन तू बिना शादी के करेगी क्या? किसके लिए जिएगी? ना पति होगा ना बच्चे होंगे ना परिवार होगा। किसके साथ जिएगी ? कब तक अकेला जीवन व्यतीत करेगी? इनके बिना जीवन बिल्कुल अधूरा है यही मनुष्य की सभी खुशियों का आधार है। इसीलिए सब शादी करते हैं । देख तेरी सभी सहेलियों ने भी तो शादी कर ली है और सभी अपनी गृहस्थी में खुश हैं।"

प्रिया, "किसने कहा आपसे कि सभी शादी करके खुश हैं। वह गीता, आपको पता है वह अपने मां बाप से भी बात नहीं कर सकती । उसके ससुराल वालों ने उसे फोन पर बात करने से भी मना कर रखा है । एक दिन मैंने उसे फोन किया था तब वह बहुत ही धीमी आवाज में बोल रही थी कि अभी मैं बात नहीं कर सकती अभी मैं ससुराल में हूं । मैं स्कूल जाकर बात करूंगी। वह कमाती है लेकिन उसकी सारी कमाई उसके ससुराल वाले खाते हैं । घर का सारा काम करने के बाद वह ऑफिस जाती है ,वापस आने के बाद फिर घर का काम करती है और उसके बाद उसकी कमाई में से उसे खर्च करने के लिए कुछ रुपए ही दिए जाते हैं। वह अपनी इच्छाओं को भी पूरा नहीं कर सकती । उसके बाद भी उस पर इतनी पाबंदियां लगाई हुई हैं। वह अपनी मर्जी से कहीं आ जा नहीं सकती, अपनी मर्जी से किसी से बात नहीं कर सकती । क्या फायदा ऐसे जीवन का यह तो एक तरह से कैद ही हो गई ना।

और वह सुमन आपको पता है उसका पति ड्रिंक करता है और उसके साथ मारपीट भी करता है। क्या यह सब झेलने के लिए ही मैं शादी करूं।

और वह कृष्णा आपको पता है वह स्कूल में टीचर है और उनका स्टाफ बाहर टूर पर जा रहा था लेकिन उसके पति ने उससे उनके साथ जाने की परमिशन तक नहीं दी जो रिश्ता हमसे हमारी आजादी छीन ले उस रिश्ते का क्या फायदा । ऐसे जीवन से तो अच्छा है मर ही जाएं।"

मां प्रिया को फिर समझाने की कोशिश करती है, "देख बेटा मैं मानती हूं कि सबकी किस्मत अच्छी नहीं होती लेकिन जरूरी नहीं कि सबकी किस्मत बुरी ही हो । मुझे देख अगर मैं तेरे पिता से शादी नहीं करती तो तुम सब कैसे आते , हमारा यह परिवार कैसे बनता? जरूरी नहीं कि शादी के बाद सब का जीवन बुरा ही हो । बहुत लोगों का जीवन खुशियों से भी भरा है उनकी तरफ तो देख और शादी के बाद यदि जीवन में दुख आते भी हैं तो वह हमेशा के लिए तो नहीं रह जाते । अगर हम कोशिश करें तो आपसी समझ के साथ हम इन सब को दूर भी कर सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल भी बना सकते हैं। बिना लड़े ही हम हिम्मत नहीं हार सकते जीवन तो नाम ही संघर्ष का है। अगर हम संघर्ष नहीं करेंगे तो जीवन खुशहाल कैसे बनेगा।"

अभी प्रिया और उसकी मां के बीच शादी के इस मुद्दे पर चर्चा हो ही रही थी कि अचानक प्रिया की एक सहेली करुणा का फोन आता है । प्रिया उससे आधे घंटे तक बात करती है जब वह फोन रख देती है तब उसकी मां पूछती है क्या कह रही थी करुणा।

प्रिया, "मम्मी करुणा को बेटा हुआ है और कल उसके बेटे का कुआं पूजन है। उसी में आने के लिए उसने मुझे फोन पर इनविटेशन भेजा है। वह बता रही थी कि वह अपनी शादीशुदा जिंदगी में बहुत खुश है उसका पति उसे बहुत ही प्यार करता है और उसके ससुराल के सभी सदस्य उसे बहुत चाहते हैं। "

प्रिया की मां कुछ राहत महसूस करते हुए प्रिया से कहती है , "ठीक है बेटा , तो कल तुम करुणा के घर उसके बेटे के कुआं पूजन पर जाना। कहां है उसका ससुराल।"

प्रिया, "पर मां, वह तो बहुत दूर है। मैं इतनी दूर कैसे जाऊंगी ? नहीं, वहां जाना ठीक नहीं होगा आते आते बहुत रात भी हो जाएगी।"

मां, "तेरे साथ तेरे पिता भी जाएंगे ।पर तू करुणा से मिलने जरूर जाना और अपनी गोद में उसके बेटे को भी लेना और उस से ढेर सारी बातें करना। फिर कल वापस मुझे आ कर बताना कि तेरा अनुभव कैसा रहा।"

प्रिया करुणा के बेटे के कुआं पूजन समारोह से वापस अपने घर आती है और अपनी मां के गले लग जाती है। और कहती है, "मम्मी शायद आप ठीक ही कहती हो की शादी करना भी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कल मैंने उसके बेटे को जब गोद में लिया तो पाया कि वह कितना मासूम है और कितना प्यारा। ऐसा लग रहा था कि मैं उसे अपनी गोद से करूणा को वापस ही ना दूं। उसे ढेर सारा प्यार करती रहूं। मम्मी छोटे बच्चे कितने प्यारे होते हैं ना। कल मैं उसके पति से भी मिली वह बहुत ही समझदार और सुलझा हुआ लग रहा था। उसकी बातों से लग रहा था कि वह प्रिया का बहुत ख्याल रखता होगा। दोनों ही बहुत खुश थे और करुणा कह रही थी कि अब हमारी फैमिली एक कंपलीट फैमिली हो गई है। अब मैं समझी आप की बातों का अर्थ कि वास्तव में दांपत्य जीवन मनुष्य जीवन की खुशहाली का आधार है। इसके बिना जीवन सचमुच बिल्कुल अधूरा है।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract