दादाजी की गलती हम लोगो पर पड़ी
दादाजी की गलती हम लोगो पर पड़ी
मित्रों मेरा नाम मुकेश है। और मैं केरला का रहने वाला हूं। आज मैं आप सभी को अपने परिवार के साथ घटी हुई सच्ची घटना (true bhoot ki kahaniya)के बारे में बताने जा रहा हूं। मेरे दादाजी की मौत करीब 30 साल पहले हो चुकी थी। मरने के पहले मेरे दादाजी ने एक लड़की का गला दबाकर उसे फांसी पर लटका दिया था। क्योंकि वह मेरे दादाजी के बारे में पहले ही बहुत सारी बातें जानती थी।
जो सबको बताना चाहती थी। इसीलिए मेरे दादाजी ने उसे मार दिया था। उस समय मैं बहुत छोटा था। मुझे कुछ याद नहीं था। जब मैं 16 साल का हो गया। तो मेरे गांव वालों ने मेरे दादाजी के किए हुए कारनामों के बारे में बताया। लेकिन मुझे विश्वास ना हुआ। एक बार की बात है। मेरे दादाजी की बरसी थी। उस दिन पूरे गांव वालों और बाहर वालो को खाने पर बुलाया था।
जब सब लोग खाना खाकर अपने-अपने घर चले गए। तो हम लोगों ने सबसे पीछे खाना खाया और कामकाज करने के बाद छत पर सोने चले गए। आधी रात बीतने के बाद मेरे चाचाजी अजीबो गरीब हरकतें और तरह-तरह की आवाज निकालने लगे। कभी हंसते और कभी जोर- जोर से रोने लगते । तब मैं बहुत डर गया था। तभी मेरे पिताजी ने बोला कि तुम सभी नीचे जाओ और मेरे पिताजी चाचाजी के सामने हाथ जोड़ कर बैठ गए।
उन्होंने बोला आप कौन हो?और मेरे भाई को क्यों परेशान कर रहे हो। तब चाचा जी के अंदर से लड़की की आवाज निकलने लग गई। जिसको मेरे दादाजी ने मारा था। उस लड़की ने मेरे चाचाजी के जरिए अपनी सारी कहानी (kahani) मेरे पिताजी को बता दी और कहा कि मुझे मुक्ति नहीं मिली है। इसीलिए मैं आप सभी को परेशान कर रही हूं। कुछ भी करके मुझे मुक्ति दिला दो। तब मेरे पिताजी बहुत परेशान हो गए मानव उनके होश उड़ गए।
लेकिन क्या करते परेशानी से बचना है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा । इसीलिए मेरे पिताजी किसी विद्वान पंडित को यह बातें मिल कर बता दी और पंडित ने कहा मैं उस लड़की की आत्मा को मुक्ति दिलाने में तुम्हारी मदद करूंगा और पंडित जी घर पर आए फूल,माला,लाल कपड़ा,नींबू इतना सब सामान मंगवा कर पूजा करना चालू कर दिया।
चार-पांच दिन पूजा हवन करने के बाद उस लड़की को मुक्ति मिल गई और वह तब से आज तक हमारे परिवार में से ना तो किसी को परेशान किया ना ही किसी को दिखी। हम समझ गए कि शायद उसे मुक्ति मिल गई हो लेकिन जो हमारे दादाजी ने किया वह दिल को दहला देने वाला था।

