औरत और आत्मा की कहानी
औरत और आत्मा की कहानी
एक बार मेरी बुआ और उनकी बहू दोनों भुजा बाजार गई थी। घर से बाजार काफी दूर था.सामान खरीदते- खरीदते समय कब निकल गया पता ही ना चला. और घर आते आते रात हो गई. बजार और घर के बीच में एक श्मशान पढ़ता था। जहां पर एक औरत दो दिन पहले ही जलाई गई थी। उसने आत्महत्या की थी।
मेरी बुआ और उनकी बहू दोनों बात करते-करते उसी रास्ते पर आ गई। तभी वहां बहू को लगा कि कोई उसे पीछे से कोई बुला रहा है। और वह मुड़ कर पीछे की ओर देखी और रुक गई। इतने में एक औरत सफेद साड़ी पहनकर और बाल खोलकर उसके पास आई और जोर-जोर से रोने लगी मुझे बचा लो मुझे बचा लो मुझे अपने साथ घर ले चलो।
मैंने बोला कि मैं घर पर जा ही रही हूं। आप भी मेरे साथ चलो और वह पीछे-पीछे थोड़ी दूर आने के बाद फिर से रोने लगी मैंने पूछा अब क्या हुआ। उसने बोला मैं तो आपके साथ वहां से चली आई और मेरा बेटा सो रहा था। वह वहीं पर छूट गया. तुम मेरे साथ चलो तो मैं उसे भी लेकर आऊँ. मैंने बोला तुम रो रही हो तो मैं तुम्हारे साथ चलती हूं.
चलो बेटे को ले आओ मेरी बुआ थोड़ा आगे निकल आई उसने पीछे मुड़कर देखा तो मैं काफी दूर थी.और बात करते-करते पीछे जा रही थी. तभी मेरी मां गायत्री मंत्र पढ़ते हुए जोर-जोर से आवाज देने लगी बहु रुक जाओ आगे खतरा है।
उत्तेजित होकर बहु बोली कि मैं अपनी सहेली के साथ उसके बेटे को लेने जा रही हूं. तब तो बुआ के होश उड़ गए. और वो बोली कि( महामृत्युंजय का जाप करती हुई) बहु मेरे साथ घर चलो बहु ने बोला आज में बहुत खुश हूं क्योंकि मेरे साथ मेरी सहेली और उसका बच्चा भी है।
बुआ ने देखा तो उसे कुछ ना दिखा।अपने घर की तरफ दौड़ी और घर पे जाकर सबको बुलाकर ले आई। और बहु को बोला बहु घर चलो बहु की आंखें लाल-लाल और जुबान पर मानो आग जल रही जल रही है।क्योंकि उनके अंदर आत्मा घुस चुकी थी। जो बाद में पुजारीजी को दिखाने के बाद लड्डू पेड़ा चढ़ाने के बाद और नींबू काटने के बाद किसी तरह घर से चली गई।