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Ayush Ranjan

Horror

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Ayush Ranjan

Horror

आत्मा को बुलाना भारी पड़ा

आत्मा को बुलाना भारी पड़ा

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‌आज से 10 साल पहले की बात है। आज मैं आपको अपने चचेरे भाई का डरावना अनुभव बताने जा रहा हूं। उसका नाम रितेश शर्मा है। और यह घटना तब की है। जब वह कॉलेज में पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे।

उस समय वह हॉस्टल में रहते थे। और परीक्षा से पहले उसके कुछ दोस्तों ने लाइब्रेरी में पढ़ाई करने के लिए गए। पढ़ाई करते हुए रात के 1:00 बज चुके थे। उस समय लाइब्रेरी में केवल तीन ही लड़के थे। लाइब्रेरी में सन्नाटा छाया हुआ था। और सारा होस्टल शांत था।

तभी उनमें से एक लड़के ने कहा कि बस यार पढ़ पढ़ कर बोर हो गए क्यों ना कोई खेल खेला जाए। जिससे जिससे दिमाग फ्रेश हो जाए। और नींद भी नहीं आएगी उनमें से एक लड़के का नाम दुर्गेश था। उसने बोला कि चलो हम सब किसी आत्मा से बात करते हैं। यह कहकर वह अपने कमरे में गया। वही वह एक बोर्ड बोर्ड लेकर आया आया।

जिस पर ए टू जेड जेड लिखा हुआ था। 0 से 9 तक तक नंबर था।और किनारों पर यस या नो लिखा हुआ था बोर्ड के चारों तरफ उसने मोमबत्ती जलाई। सारी लाइटें बंद कर दी उसने सिक्का बोर्ड के बीच में रख दिया। उनमें से एक लड़का डर के मारे अपने कमरे में चला गया।

और वहाँ दो लड़के उस पासे पर एक एक उंगली रख दी उंगली रख दी एक उंगली रख दी उंगली रख दी फिर दुर्गेश ने कहा कोई डरना मत। यहां से भागना मत। वरना आत्मा परेशान करेगी।

दुर्गेश बोलने लगा यहां पर कोई आत्मा अगर रहती हो तो बाहर आकर हमसे बात करो। वहां पर अजीब सा सन्नाटा और अंधेरा छाया हुआ था। अचानक वहां पर जोर जोर से आवाज से आवाज आने लगी उसने सोचा शायद कोई किताब गिर गई होगी। उसी समय सिक्का भी हिल रहा था। उसी समय रितेश को लगा वहां पर कोई आत्मा है।

वहां पर बंद पंखा जोर-जोर से चलने लगा। लेकिन दुर्गेश ने कहा यहां से भागना मत वरना तुम सब परेशान हो जाओगे। आत्मा उसे नुकसान पहुंचाएगी। उसके बाद दुर्गेश ने कहा अगर आप मेरे सामने खड़े हो तो मेरे प्रश्नों का जवाब दो मोमबत्ती बुझ गए और दुर्गेश डर के मारे भाग गया।

लेकिन वहां पर रितेश फस गया और दरवाजा बंद हो गया। उसको लगा कि उसे कोई पीछे की तरफ खींच रहा है। और रितेश जोर जोर से चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ उसकी आवाज सुनकर हॉस्टल के सभी लड़के उठकर लाइब्रेरी की तरफ दौड़े।

सब लोगों ने मिलकर दरवाजे को धक्का दिया और दरवाजा खुल गया। रितेश शर्मा इस घटना के बाद आज भी लाइब्रेरी में जाने से बहुत डरते है। आज भी वह भूत प्रेत नाम से बहुत डरने है। यहां तक कि वह भूत की कहानी भी नहीं सुनते। हमें यह सीख मिलती है कि आत्माओं को मस्ती में कभी नही बुलाना नहीं चाहिए।


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