Sadhana Mishra samishra

Inspirational Thriller

2.9  

Sadhana Mishra samishra

Inspirational Thriller

चमत्कार....

चमत्कार....

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फाइटर प्लेन रनवे के चक्कर लगा रहा है, लैंडिग के लिए एकदम तैयार। पर प्लेन लैंड कर पाता, ऐन उसके पहले ही जाने क्या तकनीकी खराबी आ गई कि प्लेन लैंड़ नहीं कर पा रहा था। जबरदस्ती लैंडिंग की जाती तो पूर्णतः आशंका थी कि प्लेन क्रैश कर जाता। नतीजा होता, प्लेन के साथ ही एक सीनियर पाइलट और साथ ही चार ट्रेनिंग ले रहे युवा पायलटों की जान भी जोखिम में पड़ जाती।

बड़ी अफरा तफरी मची हुई थी कंट्रोल रूम में। सबसे अनुभवी पायलट से फौरन संपर्क किया गया। उसने तुरंत फाइटर प्लेन के पायलट को दिशा निर्देशन देना प्रारंभ किया। नीचे रनवे पर भी युद्ध स्तर पर काम चल रहा था।

सारी फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ लगाई जा रही थी। रनवे पर ट्रकों से रेत बिछाया जा रहा था, ताकि प्लेन के रफ्तार पर यथाशीघ्र काबू पाया जा सके। एंबुलेंस, डाक्टर नर्स को मौके की जगह पर एलर्ट किया जा रहा था, सबके होश हवाश उड़े हुए थे, अगले पल क्या घटने वाला था, किसी को भी नहीं मालूम ?

सीनियर पायलट कंट्रोल रूम से मिल रही हर निर्देश का पालन कर रहा था पर कोई भी युक्ति काम नहीं कर रही थी ! सबके माथे पर पसीना टपक रहा था। अगले कुछ पलों में पाँच जिंदगियों का द एंड होने की संभावना से सभी का मन घबराया हुआ था। प्लेन में सवार सभी आने वाली मौत के बारे में सोच रहे थे। अपने परिवार के जिंदगी के बारे में सोच रहे थे, क्या होगा उनका, जब उनके बीच वे नहीं रहेंगे।

एक महिला पायलट स्वाति भी साथ थी। उसका साल भर का गोल मटोल बच्चा था। उसकी आँखों के आँसू रुक ही नहीं रहे थे, हाय अब अपने बच्चे को कभी नहीं देख पाऊँगी। मन मसोस रहा था, चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। मन में तमाम तरह की शंकायें साँप के फन की तरह दंश दे रही थी। मेरे बाद कौन मेरे बच्चे को पूछेगा। कौन उसकी देखभाल करेगा। पुरूष जात का क्या भरोसा। सामने हूँ तो स्वाति-स्वाति करते घूमते हैं। आँख ओट तो पहाड़ ओट। मेरे पति निःसंदेह मेरे जाने के बाद दूसरी शादी कर लेंगे। अभी ही कैसे खूबसूरत लड़कियों को ताड़ते रहते हैं। वह तो मेरे रहते उनका वश नहीं चलता वरना कितनी लड़कियों के तो अभी भी हीरो बन सकते हैं। कितने हैंड़सम हैं भी तो निखिल। हुँह....जब मैं रहूँगी ही नहीं तो कुछ भी करते रहें पर हाय...कही दूसरी शादी कर ली तो मेरे गोलू को सौतेली माँ कितना सताएगी।

हाय मेरे बच्चे, मै क्या करूँ। अब न तो किसी की बेटी थी, न किसी की पत्नी, सामने खड़ी मौत को देखकर वह सिर्फ एक माँ थी। माँ के दिमाग में सिर्फ अपना साल भर का बच्चा था, उसका मासूम चेहरा था, बाकी सारी दुनिया वह भूल चुकी थी। आँखों से टप टप आँसू बहे जा रहे थे, छाती में मरोड़ उठा जा रहा था। सारी दुनिया में सिर्फ बच्चा ही शाश्वत था, बाकी दुनिया तो स्वाति के लिए अर्थहीन हो चुकी थी। टप-टप गिर रहे थे आँसू, मन बेसुध हुआ जा रहा। मेरे बाद मेरा बच्चा रहेगा कैसे, सोच यही खा रहा था। मौत का खौफ नहीं था, बस अपनों की चिंता थी। मेरे बाद सबका क्या होगा, मन में यही व्याकुलता थी।

धीरे-धीरे पास आती मौत देख, गहन सन्नाटा पसरा हुआ था। एयर कंडीशनर चलने के बावजूद सबका चेहरा पसीने से तर-बतर था। सभी की चुप्पी में दिमाग की खलबली मची हुई थी। तभी एक नये पायलट ने सीनियर पायलट से कहा कि सर, क्यों न तब तक चक्कर लगाया जाये जब तक प्लेन का पूरा फ्यूल खत्म न हो जाए, अगर लैंडिंग में आग लगती है तो फ्यूल न रहने से आग तेजी से तो नहीं फैलेगी। सब कुछ तुरंत ध्वस्त होने में शायद थोड़ी मोहलत मिल जाए। चूँकि बात बहुत वाजिब थी, तुरंत सीनियर पायलट ने इस बारे में कंट्रोल रूम में बात किया।

दैट्स ए ब्रिलियंट आइडिया, वहाँ से जवाब मिला, बिल्कुल ऐसा ही करो, जब तक सारा फ्यूल खत्म न हो जाए, चक्कर लगाते रहो। देखो कितने समय तक का फ्यूल बचा है ?

सर, 20 मिनट का।

ओके, 19 मिनट तक चक्कर लगाते रहो,आखिरी एक मिनट में लैंड करना। चिंता बिलकुल मत करना,सारे सिक्यॅरिटी के इंतजाम हो चुके हैं, हम सभी आपके साथ हैं, कुछ नहीं होगा।

सर, क्या इनके घरवालों तक खबर पहुँचा दिया जाय ? एक सुरक्षा गार्ड ने कंट्रोल रूम में बैठे कर्नल से पूछा ?

डोंट, सभी घबरा जायेंगे, जरूरी नहीं कि कुछ बुरा ही हो, जब तक आस है, प्रयास करो। हम फौजी हैं, डटकर मुकाबला करो। हारने से पहले हार मानना हमारी फितरत में नहीं है।

ओके सर !

चिंता मत करना.....हुंह, मेन पायलट ने मन में दोहराया। मौत एकदम सामने खड़ी है,अब चिंता करने से क्या होगा। पहले से मालूम होता तो दोनों बच्चों की शादी कर देता, सरला क्या क्या करेगी। बीमा की रकम, मेरी मौत से मिले मुवावजे और एफ डी की रकम से सारे काम निपटा तो लेगी। कितनी पेंशन मिलेगी, कभी कैलकुलेट भी नहीं किया। इतनी तो बन जाए कि कभी उसे तकलीफ न हो।

कितनी बार कहा था......सीख लो बैंकिंग के सारे काम, पर नहीं ! हर बार टाल जाती थी, आपके रहते मुझे क्या जरूरत, अब जरूरत तो आन पड़ी है न..हे भगवान, सारे पेपर वर्क कैसे करेगी, हे भगवान .. काश, एक फोन करने की गुंजाइश कर देते, तो सभी कुछ समझा देता। अब कैसे करूँ ?

इन्हीं पांच मे निहायत खूबसूरत नौजवान था, 25 वर्षीय मनोरंजन चक्रवर्ती। मात्र एक सप्ताह बाद ही शादी की तारीख पड़ चुकी थी। लव कम अरेंज मैरिज थी। बहुत मुश्किल से मम्मी पापा को राजी कर पाया था। बहुत प्यार करता था वह काजल को, अब नहीं देख पायेगा, कितने सतरंगी सपने सजाए थे। हनीमून पर जाने के लिए कुल्लू मनाली का हनीमून पैकेज ले लिया था। शादी के बाद के क्या क्या सपने थे, काजल के साथ जिंदगी, क्या-क्या न सोच रखा था। अब एक भी पूरे नहीं होंगे....

अच्छा ....जब काजल को मेरे मरने की खबर होगी तो कैसे अपनी प्रतिक्रिया देगी काजल.... जाने काजल कभी याद भी करेगी या नहीं। एकाध साल में जरूर किसी और से शादी कर लेगी।

मम्मी पापा कितना रोयेंगे, शालू( छोटी बहन) के लिए, मम्मी पापा के लिए कुछ भी नहीं कर पाया, न अब कर पाऊंगा ? काजल से शादी करने की जिद में कितना दुख पहुँचया मैंने मम्मी- पापा को, किसी तरह नहीं मान रहे थे, घर छोड़ने की धमकी के आगे हार गए। मेरी खुशियों पर हर हमेशा अपनी खुशियों की बलि चढ़ाते आए थे, अब भी चढ़ा ही दिए।कैसे बुझे-बुझे से हो गए थे मम्मी- पापा। कैसा नालायक बेटा था मैं, सिर्फ अपने बारे में ही सोचता रहा। अब सामने खड़ी मौत देख कलेजे में एक हूक उठ रही थी। आँखों से आँसू रुक ही नहीं रहे थे।

हाय शालू, हाय मम्मी पापा, हाय काजल अब कभी किसी को नहीं देख पाऊँगा। हे भगवान .....बस एक आखिरी मौका दे दो, मम्मी-पापा का अच्छा बेटा बन कर दिखाऊँगा। शालू को हर हमेशा डाँटता ही रहा, अब एक अच्छा भाई बन कर प्यार दूँगा। बस एक मौका हे भगवान .....

विपिन चौधरी, मनोरंजन चक्रवर्ती का समव्यस्क, छः महीने पहले ही शादी हुई थी। माँ-पिताजी, पत्नी, भाई-बहन सभी गाँव में ही रहते हैं। किसान पिता ने कैसे हाड़ तोड़ मेहनत कर, कुछ जमीन बेचकर, कुछ गिरवी रखकर पढाई पूरी करवाई थी। सबको उम्मीद थी, बेटा पायलट बन गया है तो अब सबके दिन फिरेंगे। विपिन की आँखों के सामने सबके चेहरे घूम रहे थे, एक दूसरे में गड्ड-मड्ड हुए जा रहे थे ! पहचान ही नहीं पा रहा था कि कौन सा चेहरा किसका था, सामने दिख रही थी सबके आँखों की आस.... किसी के लिए कुछ न कर पाया, न अब कर पाऊँगा। बाबूजी तो जीते जी मर जायेंगे, उनकी सारी आस मुझसे ही थी। अब मैं ही नहीं रहूँगा तो क्या होगा..... पत्नी का मासूम चेहरा सामने आए जा रहा था, अभी तो मधुमास का सुरूर ही खत्म नहीं हुआ था। कैसी पनीली आँख लिये घूमती थी बावरी, अभी तो जी-भर देखा भी नहीं था कुसुम को...कैसी सलोनी सी है कुसुम, अभी तक बाँहों में उसकी गर्माहट महसूस करता हूँ। उसका वह उच्छवास... वह कोंपल सी नरमाहट, वह मद से लबालब नयना, हाय...हे भगवान...तू कितना निष्ठुर हैं।अभी दिया ही कितना था कि अब सब तुझे वापिस चाहिए ?

कुसुम मुझे माफ करना, हमारा मात्र पंद्रह दिन का साथ था....इतना बड़ा जीवन मेरे नाम पर मत बैठना, मायके चली जाना। किसी और से ब्याह कर लेना। मुझे नहीं है तो क्या ? तुम अपने जीवन के सारे अरमान पूरे कर लेना ! बाबूजी, मुझे क्षमा कर देना.....मैं नालायक बेटा हूँ, कुछ पल सुख का नहीं दे सका, मुझे माफ कर देना।

वह चुपचाप आँख मींच कर पल पल आ रही मौत की आहट को महसूस रहा था।

संजय कुमार, 24 वर्षीय नौजवान भावशून्य चेहरे से बारी बारी सबके चेहरे देखे जा रहा था, कैसे सबके चेहरे सफेद हो चुके हैं। इसी ने फ्यूल खत्म होने तक चक्कर लगाने की लगाने की सलाह दी थी, सच, कुछ नहीं सोच रहा था ? या एक साथ इतनी बातें सोच रहा था कि कुछ स्पष्ट नहीं था। वह तो बस अपनी जिंदगी में जिनसे भी मिला था, सबके चेहरे याद कर रहा था। कितने सारे चेहरे, कितने तरह के सबके रंग। कोई किसी से भी नहीं मेल खाते थे। फिर जाने कैसे सबसे निभाए जाते थे। अब वह किसी से नहीं मिल पाएगा, वह धीमे से बुदबुदाया..... चलो यारों, अब जिंदगी के तमाम किस्से खत्म, आ गया समय सितारा बन आसमान में लटकने का, सच में पुनर्जन्म होता होगा तो फिर मिलूँगा सबसे..... कितना समय बचा है अब अलविदा कहने के लिए...

घड़ी पर निगाह गयी, मोहलत खत्म, उन्नीसवॉं मिनट खत्म होने में मात्र दस सेकेंड ..उसने अपने पाँचवे साथी सचिन पर एक भावशून्य निगाह डाली जो लगभग चेतना शून्या स्थति में तभी से था, उसने तेजी से उसका बेल्ट बाँधते हुए ..... आँखें बंद करते हुए, जोर से चिल्लाया, सर लैंड कीजिए,

यह वह समय था, जब पूरा एयरोड्रम इतना शांत हो गया था कि मात्र अपने दिल की हर धड़कन, हर किसी को सुनाई पड़ रही थी, धाड़-धाड़ धाड़- धाड़.........हर कदम दौड़ने को तत्पर, हर साँस अटकी हुई....

फाइटर प्लेन ने गोता खाया,और रन वे पर दौड़ पड़ा.... थोड़ा ही आगे बढ़ा, बिछी रेत फिसलने में अवरोध बन रही, स्पीड कम होते जा रही थी, दो तीन जबरदस्त हिचकोले खाए और फिर स्थिर हो गया।

जरा भी डैमेज नहीं !

पूरा फाइटर प्लेन सुरक्षित, अंदर बैठे सभी पाँचों पायलट सुरक्षित। एक भयंकर हादसा जो होना अवश्यंभावी था....पर वह हुआ नहीं। किसी को एक खरोंच तक नहीं .....पूरा एयरोड्रम तालियों की आवाज से गूँज उठा, हर चेहरा जो पिछले तीन घंटों से तनाव का चरम झेल रहा था। वह ईश्वरीय सत्ता के प्रति नतमस्तक था, जिसने मौत को धता बता दिया था।

प्लेन में सवार महिला पायलट रो रही थी लगातार ... बार बार कहे जा रही थी, मेरे गोलू ने बचा दिया।

मेरे बच्चे ने अपनी माँ की रक्षा की। हमेशा तो नहीं होता है, पर आज अभी...चमत्कार हो चुका था।।


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