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Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

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Chandresh Kumar Chhatlani

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बुनियादी कमाई

बुनियादी कमाई

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जवानी में बिछड़े स्कूल के जमाने से दो दोस्त बुढ़ापे में एक खेल के मैदान में मिले। गले मिलते हुए सीढ़ियों पर फिसल गये।

वहीं बैठे-बैठे एक ने पूछा, "तूने कितना धन कमाया है ?"

"ज्यादा नहीं बस गुजारा हो जाता है।"

"इसका मतलब जिंदगी ईमानदारी में गुजार दी। कमाने के लिये कहीं न कहीं बेईमानी की बुनियाद रखनी भी ज़रूरी होती है" पहला हँसते हुए बोला।

दोनों खड़े हुए लेकिन गिरने के कारण लंगड़ाये, यह देख पहले के सचिव ने उसे एक सोने की छड़ी थमा दी और दूसरे का बेटा उसको अपने कंधे का सहारा दे कर ले चला।


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