बुद्धू आशिक
बुद्धू आशिक
दिल्ली के रामजस कॉलेज में जब सदानंद ने बीएससी कंप्यूटर्स के दूसरे सेमेस्टर में टॉप किया तो प्रिंसिपल की ओर से उसे विशेष मेडल से सम्मानित किया गया , वह छोटे शहर के गरीब परिवार से था । वह बहुत मेहनती और शर्मीला लड़का था, वह लड़कियों की तो परछाई से भी दूरी बना कर रहता था रिनी, क्लास की सबसे सुंदर और फैशनेबिल लड़की थी। वह उसके नजदीक आकर बोली “ बधाई सदा, मुझसे दोस्ती करोगे “
सदा भौंचक्का सा अकल्पनीय अविश्वसनीय निगाहों से रिनी की ओर देखता ही रह गया।उसने सदा के हाथ को पकड़ कर अपनी हथेलियां उस पर रख दीं, वह संकुचित होकर अपनी सस्ती सी बिना आइरन की शर्ट और रबर के जूते की वजह से सोचने लगा कि काश धरती फट जाये और वह उसमें समा जाये। अब तो रिनी अक्सर क्लास के बाहर उसका इंतजार करती हुई मिल जाती और मुस्कुरा कर उसके साथ हो लेती
वह रिनी को खुश करने के लिये कभी किसी की शर्ट तो कभी किसी से शूज मांग कर पहन कर आता। जब रिनी उससे प्यार से बोलती तो वह अपने को दुनिया का बादशाह समझता।
एक दिन वह बोली, “सदा डियर, तुमने अपना एसाइनमेंट पूरा कर लिया, प्लीज मेरी हेल्प कर दो “
सदा “ डियर “सुनते खुशी के मारे पूल कर कुप्पा हो गया और उसका एसाइनमेंट पूरा करके अपने को रिनी का प्रेमी समझ रहा था।अब तो यह अक्सर होने लगा कभी नोट्स तो कभी उसका प्रोजेक्ट और एसाइनमेंट वह पूरा करता रहता और रिनी अपने फोन पर किसी के साथ चैटिंग करके ठहाके लगाती रहती ।
“आई लव यू सदा, यू आर सो क्यूट। तुम कितने अच्छे हो।” कहती हुई वह उड़न छू हो जाती। वह उसके प्यार की गर्माहट में डूब कर उसके साथ नजदीकियों के सपने में खोया रहता और उसका सच्चा प्रेमी समझते हुये यहां वहां से पैसे मांग कर उसे थियेटर और पिक्चर, कैफेटेरिया में पिज्जा और बर्गर खिला कर खुश होता। यहां तक कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे ठगा नहीं।रिनी पर्स खोलने का अभिनय करती लेकिन कभी पैसे नहीं निकालती,
एक दिन उसके उदास चेहरे को देख वह पूछ बैठा था “,क्यों परेशान हो डियर ?”
“तुम्हारे चक्कर में कल पार्लर गई, वहां सारी पॉकेट मनी खर्च हो गई। अब मेरा फोन बंद होने वाला है ”
“ बस इतनी सी बात। मैं रिचार्ज करवा दूंगा “, जब कि अपने जेब की उस आखिरी नोट को निकालने में उसका हाथ कांप रहा था जो उसने अपने मुश्किल घड़ी के लिये बचा कर रखा हुआ था।
वह रुआंसा हो उठा था, वह रिनी के इश्क के चक्कर में क्यों पड़ गया। वह मन ही मन में डरता रहता कि कहीं रिनी कहीं उसे छोड़ कर किसी दूसरे को ना प्यार करने लगे।
इन दिनों प्रिपेरेशन लीव चल रही थी वह पढाई में जुटा था कि उसके मोबाइल पर मेसेज चमक उठा, ” माई वैलेन्टाइन सदा। आई मिस यू।माइ डियर।”
माई वैलेंटाइन देखते ही वह सब कुछ भूल कर, उसके लिये गिफ्ट खरीदने के लिये पैसे के जुगाड़ के बारे में सोचने लगा था।वह परेशान मन से अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रहा था कि तभी प्रखर उससे कुछ डाउट्स क्लीयर करने के लिये उसके कमरे में आया। बातों बातों में वह पूछ बैठा। आजकल तुम्हारे इश्क की चर्चा बहुत हो रही है। पहले तो वह ना नुकुर करता रहा फिर उसके फोन पर मेसेज पढने लगा। वह हंस हंस कर सारे मेसेज चटखारे मार कर पढता रहा फिर बोला, “अच्छा रिनी ने इस बार तुमको भी अपना शिकार बनाया हुआ है। यह देखो उसने एक तीर से दो शिकार कर रखे हैं। वह महीनों से मुझे भी ऐसे मेसेज भेजती रहती थी और मुझसे मंहगे मंहगे गिफ्ट लेती रही और पैसे खर्च करवाती रही, मेरी कार में ठाठ से घूमती थी और बोलती, ”सदानंद तो बेवकूफ है। माई डियर कह कर मैं तो अपना एसाइनमेंट और प्रोजेक्ट पूरा करवा लेती हूं “
‘मैं नहीं मान सकता, वह मुझसे ही केवल प्यार करती है “ उसने तो तुम्हारा नाम ही ‘बुद्धू आशिक’ रख रखा है “ कह कर वह ठहाके लगा कर हंस पड़ा था। सदानंद रुंआसा हो उठा था।
मेरे दोस्त आओ हम दोनों मिल कर उसकी पोल खोलें।
छोड़ो मित्र। इस बुद्धू आशिक को रिनी से बहुत कुछ सीखने को मिल गया।
