Dinesh Divakar Bunny

Horror

4  

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ब्रह्मास्त्र - एक रहस्य

ब्रह्मास्त्र - एक रहस्य

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आज देवराज सिंह के एकलौती बेटी अमृता का जन्मदिन है जिसकी तैयारी पुरे जोरो शोरो से हो रहा था।तभी एक नौजवान आदमी अमृता को फुलों का गुलदस्ता देते हुए कहता है "हैप्पी बर्थडे टू माइ प्रिंसेस"


"अमीत तुम! लन्दन से कब आए " अमीत को देखकर अमृता के चेहरे पर खुशी छा गई।


अमीत "बस जैसे ही पता चला कि आज हमारी प्यारी दोस्त का जन्मदिन है तो हम तुरंत सब काम छोड़कर आपके पास आ गए।"


दोनों कितने खुश लग रहे हैं ना एक दूसरे से मिलकर "अमीत के पापा महावीर बोले।"


"हा खुश क्यो ना हो, आखिर दोनों बचपन से बेस्ट फ्रेंड जो ठहरे "अमृता के पापा देवराज मुस्कुराते हुए बोले।"


तभी महावीर अमृता और अपने बेटे अमीत को अपने पास बुलाते हैं।


महावीर "देवराज क्यो ना इन दोनों की दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दिया जाए।"


देवराज "मैं समझा नहीं..!!"


महावीर "मैं कह रहा हूं कि यह दोनों बचपन से एक दूसरे को जानते है पहचानते हैं तो क्यो ना हम इन दोनों की शादी करवा दे, आपका क्या ख्याल है..??"


देवराज डर गए और चिल्लाते हुए बोले "नहीं... नहीं यह तुमने क्या बोल दिया...!! सेक्योर्टी जल्दी से अमृता को मंदिर वाले कमरे में लेकर जाओ इससे पहले कि वो आ जाए...!!"


सेक्योर्टी अमृता को मंदिर वाले कमरे में लेकर जाने लगे लेकिन कमरे के चौखट पार करने से पहले ही अमृता ने जोर से चिख कर सैक्योर्टी वालों को धकेला दिया सेक्योर्टी वाले हवा में उड़कर दूर जा गिरे।


अमृता डरावने हंसी से हंसती हुई पिछे मुड़ी उसका चेहरा डरावना और भयानक दिखने लगा था थोड़ी ही देर में वह एक खुबसूरत लड़की से एक खूंखार डायन का रूप ले चुकी थी और कुटील मुस्कुन से देवराज से बोली "तुझे क्या लगता है तू अपनी बेटी को मुझसे बचा सकता है... हा हा हा.. पागल बुड्डे तेरा यह सपना कभी पूरा नहीं होगा कोई ब्रह्मास्त्र नहीं आयेगा तेरे कुल की रक्षा करने क्योंकि तुम लोगों ने खुद उसे अपने से दूर कर दिया है। अभी तो मैं जा रही हूं लेकिन मैं वापस आउंगी... भुगतोगे तुम सब भुगतोगे।"


यह कहकर अमृता बेहोश होकर गिर पड़ी। देवराज ने जल्दी से अमृता को मंदिर के अंदर भगवान के चरणों के नीचे सुला दिया और वापस कमरे से बाहर आ गए। बाहर सब यह जानने के लिए खड़े थे कि यह सब क्या था !


देवराज के बाहर आते ही महावीर आश्चर्य से पूछा "यह सब क्या था देवराज..!! अमृता को अचानक क्या हो गया था..??"


देवराज गंभीर होते हुए बोले "यह सब हमारे परिवार पर लगे श्राप के कारण हो रहा है जो हमारे पूर्वजों से लेकर अब तक हम भुगत रहे हैं...!""


महावीर "श्राप कैसा श्राप..??"


देवराज "हमारे परिवार में अगर कोई एकलौता बेटा या बेटी हुई तो वो उसे अपना शिकार बनाता है..!! इसलिए हमारे परिवार में एक से ज्यादा बच्चे पैदा किया जाता है लेकिन जब अमृता पैदा हुई तो इसकी मा चल बसी। जिससे अमृता भी इस श्राप का शिकार बन ग‌‌ई।


महावीर "क्या इसलिए तुम शादी के लिए इंकार कर रहे थे..!! आज के जमाने में श्राप कहा होता है..??"


देवराज "होता है! हमारा पूरा परिवार इस श्राप का शिकार हो रहा है, जब भी अमृता के लिए शादी के लिए रिश्ता या शुभ समाचार आता है तो वह चुड़ैल उसे अशुभ समाचार बना देती है!"


महावीर "क्या इस श्राप से बचने का कोई उपाय नहीं है..!!"


देवराज "है... इस श्राप से हमें केवल वही बचा सकता है।"


महावीर "कौन..!!"


देवराज "ब्रह्मास्त्र...."

                2.

एक घनघोर युद्ध का आगाज हो रहा था राजा वीरमणि की सेना दुश्मनों पर हावी हो रही थी युद्ध का जैसे अंतिम समय चल रहा था तभी आसमान में काले काले बादल छाने लगे और जोर जोर से बिजली चमकने लगी तुफान का शैलाब आने लगा। तभी वीरमणि की नजरें अपने सेना पर पड़ी जो एक एक करके जमीन पर गिरने लगे उनके मुंह से काले रंग के रक्त निकल रहे थे जिससे वे सब धीरे धीरे मर रहे थे।


सेनापति हैरान होते हुए "यह सब क्या हो रहा है महाराज हमारी सेना अचानक खत्म कैसे हो रही है...!!"


राजा वीरमणि निराश होते हुए बोले "यह सब उस काली शक्तियों के वजह से हो रहा है जो हमारे साम्राज्य को खत्म कर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं...!! ये सब हमारी ही गलती के कारण हो रहा है अगर हम उसके झांसे में नहीं आते तो आज ब्रह्मास्त्र हमारे साथ होते, फिर किसी में इतनी शक्ति नहीं जो हमें हरा सके..!! ब्रह्मास्त्र लौट आओ अब तुम ही हमारे साम्राज्य की रक्षा कर सकते हो..!!"


मा मा मा.......... रोहित चिखते हुए बोला।


"क्या हुआ बेटा..!! आज फिर वही सपना देखा क्या..??" रोहित की मां उसे चुप कराते हुए बोली।


रोहित "हां मां आज फिर वही डरावना सपना! वही भयंकर युद्ध! फिर सेना का एक एक करके मरना और फिर उसी आवाज को पुकारना "ब्रह्मास्त्र लौट आओ"


"उस सपने के बाद फिर एक सपना दिखाई देता है" रोहित अपने पसीने को पोंछता हुआ बोला "महल के एक अंधेरे कमरे में एक लड़की को बंद करके रखा गया है वह दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन दरवाजा नहीं खुला, तभी उसका शरीर बदलने लगा और वह एक खुबसूरत लड़की से एक डरावनी चुड़ैल बन जाती है और दरवाजे को एक झटके में तोड डालती है वह जोर जोर से हंसती है तभी उसके मुंह से एक और आवाज बड़ी मुश्किल से निकलती है "ब्रह्मास्त्र मुझे बचा लो....!!"


कौन हैं ये ब्रह्मास्त्र और क्या हो रहा है रोहित के साथ..!!


इस कहानी के सभी भाग (1 से 6 भाग) प्रकाशित हो चुका है आप पढ़ कर समीक्षा दें।



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