Shailaja Bhattad

Abstract

3  

Shailaja Bhattad

Abstract

ब्रांडेड

ब्रांडेड

1 min
220


निधि जैसे ही खाने की थाली पर बैठी, सबसे पहले उसने पापड़ का एक टुकड़ा मुंह में डाला और तुरंत ही दौड़कर बेसन की ओर गई। और फिर से अच्छे से हाथ धोने लगी। फिर आकर उसने दूसरी बार भी खाने के लिए पापड़ ही उठाया । इस बार भी दौड़ कर वह बेसिन की तरफ गई। अब वह समझ चुकी थी कि

साबुन की गंध उसके हाथों से नहीं वरन पापड़ से आ रही थी। आज ही वह ब्रांडेड पापड़ खरीद कर लाई थी और तुरंत ही वह खाना खाकर पापड़ दुकान पर लौटा आई और सोचने लगी कि हम ब्रांडेड चीजें तो इसीलिए खरीदते हैं न ताकि शुद्धता के साथ कोई समझौता न कर सके लेकिन आज समझ आया कि घर पर बने सामान से अच्छा कोई दूसरा ब्रांडेड सामान हो ही नहीं सकता। जहां हम सामान न सिर्फ शुद्धता से वरन अच्छे भावों का रस घोलकर भी बनाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract