Kajal Manek

Tragedy

3.5  

Kajal Manek

Tragedy

बन्धन

बन्धन

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नेहा सुबह से यही सोच रही थी, क्यों सब विवाह के लिये ताने देते हैं कितनी भी पढ़ाई कर लो पोस्टग्रेजुएट हो जाओ, चाहे पी एच डी करके जॉब भी कर लो लेकिन ये समाज एक लड़की को सम्पूर्ण तभी मानेगा जब उसके गले में मंगलसूत्र लटक जाए। ऐसा लगता है आज भी स्त्री एक बन्धन में है आधुनिक होकर भी, वर्किंग वूमेन होकर भी वो तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक गृहस्थी के बंधन में बंध न जाये। यदि एक लड़की स्वयं कमा सकती है अपना वजूद बना सकती है तो समाज मे रहने के लिये विवाह का अनिवार्य बन्धन क्यों?


उसके मन में बस यही चल रहा था कि या तो बेटियों को पढ़ाओ ही मत, यदि पढ़ाते हो तो उन्हें अपने हिसाब से अपनी मर्जी से ज़िंदगी जीने का हक़ तो दो।

बाहर अकेले जाना नहीं क्यों, क्योंकि आवारा लड़कों से डरना जरूरी है। देर रात को अकेले काम में जाना नहीं क्यों क्योंकि आदमी जानवर से ज्यादा खतरनाक हो चुका है।


नेहा को समझ नहीं आता कि जब समाज में मर्द और औरत दोनों ही रहते हैं दोनों से मिलकर ही बना है वह तो फिर वे मर्द कौन हैं जिनकी वजह से औरतों को बन्धन में रहना पड़ता है। क्या वे समाज के बाहर के हैं, नहीं वे भी समाज का एक हिस्सा हैं तो क्यों कोई उन्हें भी कुछ नहीं कहता सारी बंदिशें महिलाओं पर ही क्यों ?


क्यों आज भी लड़कियां अपनी मर्जी से बाहर जा नहीं सकती उनकी हर क्रिया पर ये बन्धन क्यों आखिर कब टूटेगा ये बन्धन।


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