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Shishpal Chiniya

Abstract

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Shishpal Chiniya

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बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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" आज के समय में प्यार होना, करना एक आम बात हो चुकी है और इसी प्यार के चलते भारतीय संस्कृति लुप्त हो रही है।"

"पहले मां - बाप ही रिश्ता तय करते थे और संतान मानती थी लेकिन आज संतान रिश्ते तय करते है और मां - बाप मानते है।"

हां मानते शादी की बात करते समय पसंद नापसंद की बात करनी चाहिए, लेकिन आज तो कोई सार्थक ही नहीं है।

कॉलेज जाने वाले लड़कियां और लड़कें आपस में रिश्ता बना लेते है।

समाज में घरवालों की इज्जत उछल जाती है ,

पर किसी को परवाह नहीं है हम तो बस तुम्हारे है।

शादी के पहले ही अबोर्शन करवाना पड़ता है, या फिर मोहब्बत के तोहफे सड़को पर या फिर डस्टबिन में मिलते है।

शादी के पहले ही हमबिस्तर होना गलत है भारतीय संस्कृति के लिए।

लेकिन मानसिकता तो ये हो चुकी है कि "बिन फेरे हम तेरे "

सनम।

हमारे गांव की ही बात है, कोई संध्या नाम लड़की को कॉलेज कर रही थी और उसके पिताजी का गांव में ही मिठाई का कारखाना है। अच्छी - भली इज्जत थी और अच्छी - भली प्रोपर्टी। वो इकलौती बेटी थी तो लाड़ प्यार कुछ अधिक ही था, वो कॉलेज में किसी लड़के के साथ प्यार व्यार करने लग गई। रोज कॉलेज जाती और उस लड़के के साथ खुलम खुला घूमती थी। खुदा - न - खालसा वो प्रेंग्नेंट हो गई, उसके मां बाप समाज में अपनी नाक बचाने के चक्कर में उसका 6 माह का अबोर्शन करवा दिया।

और उसे घर में ही रखने लगे। 6 माह बाद वो लड़की उसी लड़के के साथ भाग गई।

उसे ढूंढने के लिए उसके घरवालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी जब वो मिली तो कहा कि

" मैं अपने मां पापा को पहचानती ही नहीं हूं।" उसके पापा तो वहीं बेहोश हो गए, फिर भी कहासुनी करके उस लड़की को घर लाया गया।

और उसकी शादी तय करदी, लेकिन शादी के ही दिन वो उसी लड़के के साथ भागकर लव मैरिज कर ली।

आयी हुई बारात वापिस गई और दूसरे दिन उसकी फिर शादी करनी पड़ी। उसके पापा आज शर्म से घर के बाहर नहीं निकल पाते है।

शादी के 3 माह बाद पेट में दर्द रहने लगा डॉक्टर के पास ले गए तो पता चला कि अब वो कभी मां नहीं बन सकती है।

क्योंकि अबोर्शन के समय उसका बच्चेदानी का पार्ट बेकार हो गया था, इसीलिए इसे काटकर बाहर निकालना होगा।

ये सुनकर सभी की आंखो में आंसू थे, किसी के गलती के तो किसी के ग्लानि के। देखते ही देखते संध्या रो पड़ी।


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