भयानक सुरूर
भयानक सुरूर
मेरी सर्वश्रेष्ठ डायरी
१३ मार्च २०२१
मेरे आंगन में एक छोटा सा उद्यान है। यह उद्यान मेरी रसोई का सरताज है। कड़ी पत्ता, पुदीना, धनिया और अनेक प्रकार के साग यहाँ उगते हैं। मौसमी सब्जियां जैसे बैंगन, तुरई, लौकी और प्याज भी लगे हुए हैं। सलीम भाई के यहाँ से हमारे घर दूध आता है। हर महीने वो मुझे अपने घर से एक कपोत के कटे सर का ताज़ा रक्त भी लेकर देते हैं। मेरे उद्यान की मिट्टी का यह सर्वोपरि उर्वरक है। खाना बनाना मेरी पसंदीदा कला है। मेरा पूरा परिवार बहुत खुश होकर मेरे खाने का लुत्फ उठता है। मैं एक पत्नी और एक माँ भी हूँ। पर मेरा सबसे प्यारा रिश्ता खुद से है। मुझे खुद से बेहद प्यार है।
मेरे पति मेरे लिए कितनी ही बार खाना बनाते है, मैं उन्हें प्यार तो बहुत करती हूँ पर सच कहूं तो उनके हाथ का खाना मेरे हलक के नीचे नहीं उतरता। पर सच का स्वाद कड़वा होता है और सत्य तो यह है की अगर मैं उनसे कभी कहूँगी तो मेरी असूया उनके अहं को धुत्कार देगी। जिसकी वजह से मुझे कुछ दिन सुख से वंचित रहना होगा। मैं खुद से बहुत प्रेम करती हूँ इसलिए उनकी झूठी तारीफ कर देती हूँ। उनकी गरम सांसों को जब तक अपने सीने पर टहलने न दूँ तब तक मुझे नींद नहीं आती। नींद के बिना मेरा चेहरा उतरा हुआ लगता है। मुझे यह बर्दाश्त नहीं की मैं सुन्दर न दिखूँ। कभी कभी में सोचती हूँ की मुझे छु कर उन्हें कैसा लगता होगा। कितनी बार तो मैं उन्हें इसलिए गले लगाती की अपने ही बदन की सुगंध महसूस कर सकूँ।
मेरे बच्चे बहुत प्यारे हैं। पर जब रात को वो शोर करते हैं तो सोचती हूँ की काश यह न ही होते। कभी कभी तो यह मेरे कमरे मैं ही आ जाते हैं। पर मेरी भी कुछ ज़रूरतें है। मेरा जितना फ़र्ज़ है , मैं निभाती हूँ पर अपने पति के साथ क्या एक रात भी मैं चैन से नहीं बिता सकती ? पर जब से मैंने इन दोनों को जन्म दिया है मेरे चेहरे पर अलग ही चमक रहती है। मेरे बाल भी घने हो गए हैं। शादी के पहले 5 साल तो मैंने सोचा भी नहीं था की मैं कभी बच्चों को जन्म दूंगी। मेरी पति ने भी कभी शिकायत नहीं की। आदमी को जब तक बिस्तर और खाना गरम मिलता रहे उसे और कुछ नहीं चाहिए। और तो और वो भी जानते थे की जब तक यह जवानी के दिन हैं इनका बेहया सुकून ले ही लिया जाये। क्यूंकि बच्चों के मासूम चेहरे को देखकर जितना प्यार आता है उससे अधिक क्रोध उनके कोलाहल से आता है।
पर जब मेरे बाल झड़ने लगे मुझे तो माँ बनना ही था। मैंने अपना घर और बच्चे इतने अच्छे से संभाले की सबने मेरी प्रशंसा के पुल बांध दिए। सब औरतें अपनी बहुओं को मेरे नाम लेकर ताना देती थीं। और मुझे क्या ही चाहिए था ? मुझे सिर्फ अपनी ही तारीफ सुनना पसंद है। बाकी लोग क्या कहते हैं मैं सुनना भी पसंद नहीं करती।
यह एक रोग ही है , कितनी ही बार मैंने यह इच्छा की होगी की मैं उन लोगों की जान ही ले लूं जिन्होंने मुझपर आवाज़ उठायी है। जब स्कूल में थी तो एक टीचर ने मुझे सबके सामने डांट दिया। कहती की मेरे बालों में तेल बहुत कम है और मैं लड़कों से बहुत बातें करती हूँ। उन्हें कोई बताये की अगर उन्होंने ने भी खुद पर थोड़ा काम किया होता तो शायद उनके पति उनको रातों में अकेला छोड़ कर कहीं और मुँह मारने न जाते। वो बहुत बदसूरत थी। मुझे कुरूपता से बैर है , पता नहीं क्यों पर मैं सोचती हूँ की भगवान कैसे कुछ लोगों को दुनिया की सुंदरता ख़राब करने के लिए भेज देते हैं। उस दिन तो मुझे उनकी गन्दी शक्ल बर्दाश्त ही नहीं हुई मैंने एक पेन सीधा उनकी भैंगी आँख में खोप दिया। तब मैं सिर्फ 9 साल की थी। क्योंकि बच्ची थी इसलिए बच गयी। बच्चा होने का कितना फायदा होता है। मुझे याद है मैंने एक बार अपने एक ममेरे भाई को छत से धक्का दे दिया था क्यूंकि उसने मेरे चेहरे पर स्याही लगा दी थी। अफ़सोस इस बात का है वो दरिंदा जो दूसरों के चेहरे खराब करता था किसी तरीके बच गया और शुक्र है की उसने कुछ कहा नहीं शायद इसलिए क्यूंकि उसकी आवाज़ चली गयी थी।
मानसिक चिकित्सक के अनुसार मैं पागल हूँ और कुछ के अनुसार एक भयानक रूप से आसक्त। पर मेरी मानों तो मैं दुनिया की सबसे सुन्दर औरत हूँ और सबसे काबिल भी। मुझे कोई दुःख नहीं है की मैं खुद से प्यार करती हूँ। अब मैं कबीर तो नहीं जो खुद में बुरा ढूंढूं। अगर लोगों को खुद में अच्छाई देखना नहीं आता तो उसमें मेरा क्या कसूर। अगर मैं अपनी ज़रूरतों को सबसे ऊपर रखती हूँ और उन्हें किसी भी कीमत पर बचाना चाहती हूँ तो उसमें हर्ज़ ही क्या है ?
विद्यालयों में हमें इतिहास पढ़ाया जाता है। बुद्धिजीवी जो भी कहें , मेरे लिए इतिहास उन भूपतियों का लेखा जोखा है जो खुद से और खुद के आबरू के लिए लाखों लोगों को युद्ध में जान से मार देते थे। मैं कोई अपवाद नहीं हूँ। मैं एक ओजस्वी रानी ही हूँ। और अपनी आसक्ति के सुरूर में मैं सब कुछ नष्ट कर सकती हूँ। भगवन की ही तरह मुझे कण कण में मेरा ही वास दिखता है।
सच कहूं तो मैं खुद को भगवन से ऊपर रखती हूँ। शायद मैंने ही किसी जन्म मैं अपनी माया का जादू दिखने के लिए पूरी सृष्टि का निर्माण कर दिया होगा।
मैं, सिर्फ मैं। मैं ही माया हूँ। केवल मैं।

