Kumar Vikrant

Horror

4.4  

Kumar Vikrant

Horror

भय/सपना

भय/सपना

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यदि तुम सपने में कोई प्रेत देखते हो तो समझ लो कि कोई प्रेत तुम्हारे आस-पास है। कभी-कभी वो प्रेत अपनी उपस्थिति का जबरदस्त अहसास कराने के लिए तुम्हे सपने में ही चोट पहुँचाते है और वो चोट तुम्हे वास्तविक रूप से कई दिन तक परेशान भी कर सकती है। 

वीडियो चैनल का उद्घोषक लगातार बोल रहा था। 

'क्या बकवास सुन रहे हो तुम? ये वीडियो चैनल दिन रात यही सब बकवास करते रहते है; कुछ अच्छी बातें भी देख लिया करो।' अदिति ने सिड को समझाते हुए कहा। 

'सही कह रही हो अदिति; ये सब बकवास सुनने से दिमाग में कई किस्म के भर्म पल जाते है।' सिड ने वीडियो चैनल को बंद करते हुए कहा। 

'सुनो चार दिन के लिए मम्मी के घर जाना है तुम खाने का कैसे करोगे? कुछ घर से ही भिजवा दिया करू या तुम खाना खाने घर ही आ जाया करोगे?' अदिति ने सिड से पूछा। 

'अरे यार मेरे खाने की चिंता तुम मत करो, कुछ न कुछ हो जाएगा कभी तुम्हारे घर कभी स्विग्गी जिंदाबाद।' सिड ने जवाब दिया। 

'ठीक है; मैं तुम्हारा खाना तैयार रखा करुँगी, आ कर खा लेना या पैक करा कर ले आया करना।' अदिति बोली। 

'चार दिन की ही तो बात है तुम चिंता मत करो सब मैनेज हो जाएगा।' सिड बोला। 

अगले दिन 

चारो और अंधकार को देख कर सिड का मन खाने को नहीं कर रहा था लेकिन अदिति की जिद की वजह से उसे उसके घर दस किलोमीटर दूर अपनी ससुराल में जाना ही पड़ रहा था। 

'क्या मुसीबत है, कैसा बेवकूफ हूँ मैं भी, शाम को ही खाना खाने निकल जाता तो अच्छा था, अब इतनी रात में घर से निकलना एक बेवकूफी ही थी।' सिड ड्राइव करते हुए बड़बड़ा रहा था। 

सदियों का सीजन होने की वजह से मेन रोड लगभग जाम थी इस वजह से सिड ने बाईपास से ड्राइव करके ससुराल जाने की सोची थी लेकिन अब अंधकार की वजह से उसे चिड़चिड़ाहट सी हो रही थी। तभी सामने रास्ते में एक बड़ा सा पेड़ का तना पड़ा देख कर उसकी चिड़चिड़ाहट और ज्यादा बढ़ गई। उसने कार रोककर तना हटाने का निर्णय लिया और कार रोक दी। 

तना काफी भारी था, जैसे ही उसने वो तना उठाया सामने काले कपड़े पहने अँधेरे में अँधेरे का हिस्सा बना वो हैवान उसके सामने आ गया। उसका डीलडोल देख कर सिड थोड़ा घबरा गया और पीछे हटा। वो इंसान या हैवान जो भी था उसने आगे बढ़ कर सिड को पकड़ना चाहा। सिड को कुछ नहीं सुझा कार तक पहुँचना संभव नहीं था इसलिए वो विपरीत दिशा में दौड़ पड़ा। वो इंसान या हैवान जो भी था अब सिड के पीछे दौड़ रहा था। रास्ता इतना खराब था कि सिड चाह कर भी तेज नहीं दौड़ पा रहा था। सिड ज्यादा देर न दौड़ सका जल्दी ही उस हैवान ने सिड को पीछे से पकड़ लिया और उसकी विशाल भुजाए सीड की छाती पर लिपट गई। उस हैवान की पकड़ इतनी मजबूत थी सिड उस पकड़ से निकल नहीं पा रहा था, उस पकड़ की वजह से सिड की छाती में भयानक दर्द हो रहा था और उसका दम घुट रहा था। 

दम घुटने के उन्ही क्षणों में सिड की आँख खुल गई और उस भयानक सपने का अंत हो गया। सिड के चारो तरफ अंधकार था, सर्दी के मौसम में भी वो पसीने से तरबतर था और सबसे खतरनाक बात जहाँ उस हैवान की बाँहे सिड की छाती पर कसी हुई थी उस जगह अब भी असहनीय दर्द हो रहा था। 


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