Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Inspirational

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Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Inspirational

भूल

भूल

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समाजिकता के नये और अनिवार्य अंग बन चुके सोशल डिस्टेंसिंग के तहत मित्रो से मेल मुलाकात मोबाईल पर वीडियो काॅलिंग से ही हो पा रही थी। करीबी मित्रों से अक्सर मोबाईल पर बातें हो जातीं और एक दूसरे के साथ दुनिया जहान की बातें भी साझा हो जातीं। लेकिन दूरस्थ मित्रों से कभी कभार ही बात हो पाती। आज ऐसे ही एक पुराने मित्र सहाय जी का मैसेज मिला।

'दो गज की दूरी में दो हजार किलोमीटर दूर रहने वाले दोस्तों को भी दिल से दूर कर दिये क्या ?'

फौरन वीडियो काॅल करके उनकी शिकायत दूर की गई। कई महीनों बाद एक दूजे का दर्शन मिला। सामान्य हालचाल से बातों का रूख मौजूदा हाल की तरफ मुड़ा। सहाय जी के चेहरे की रौनक बुझती नजर आई, वे बोले - "पिछले कुछ महीनों में अपने कई पड़ोसियों और सहकर्मियों को खोकर टूट सा गया हूँ ....।"

हमेशा की तरह, सहाय जी जब परेशान होते तो तुरंत सिगरेट सुलगा लेेते और धुएँ का गुबार उड़ाने लगते सो सांत्वना दिये जाने के बीच वीडियो काॅल में भी वे अपनी पीड़ा को धुआँ बनाते दिखने लगे।

दो कश के लेने के बाद उनका स्वर और हाव भाव बदला, बोले - "लोगों का हश्र देखकर मैं आक्सीजन सिलेण्डर सहित सभी मेडिकल किट और जरूरी समान का बंदोबस्त कर लिया हूँ .... अब थोड़ा सुकून लग रहा है।"

उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट नजर आई तभी उस कमरे में दाखिल हुई उनकी छोटी बेटी खांसने लगी।

"क्या हुआ बिटिया रानी को ... तबियत तो ठीक है न ?" इस सवाल के जवाब में वे हल्के से मुस्कुराते हुए बोले - "अरे कुछ नहीं .... सिगरेट का धुआँ देखते ही यह जाने क्यों खांसने लगती है ?"

"सहाय जी .... आपका आक्सीजन सिलेण्डर .... मेडिकल किट .... किस काम का ... जब आप खुद के फेफड़ों सहित अपनी मासूम बिटिया और घर के अन्य सदस्यों के फेंफड़ों को कमजोर बनाने पर तुले हुए हैं ?" इतना सुनते ही सहाय जी कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गये।

उन्होने अपने माथे को खुजाया और फिर उस सिगरेट को ऐश ट्रे पर मसल दिया। अपनी जेब से सिगरेट के पैकेट को निकालकर डस्टबिन में फेंकते हुए वो बोले - "तनाव के लम्हों में मैं सेहत की इस बारीक समझ को भूल बैठा था.... पर वादा रहा .... अब भूल से भी यह भूल दोबारा न होगी।"

आखिरकार दोनों तरफ से हंसते मुस्कुराते वीडियो काॅल सम्पन्न हुआ।


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