बहुत मजबूत है इंसान
बहुत मजबूत है इंसान
इंसान कभी कभी कितना मजबूर हो जाता है, गम खाता है,आंसुओं को पीकर जीता है जीना पड़ता है उसे अपनों की खातिर, जैसे दुखों से लड़ने के लिए ही वह इस दुनिया में आया पर बहुत मजबूत है इंसान उसकी जिंदगी में अपमान और तानें की बारिशें,
आर्थिक तंगी की लहरें, उम्र का सैलाब, कुछ असहनीय दर्द के साथ डूब जाता है वक्त के भवर में, उसके बाद भी जो आत्मविश्वास बनाये रखते हैं, पुनः रचते है एक अलग दुनिया, और अपने बल पर आगे बढ़ते हुए, दूसरों को साथ लेकर समानता की भावना के साथ जीते हैं, हां देखें है मैंने ऐसे इंसान, वो कभी कभी फरिश्ते भी बनते हैं हर किसी की मदद करके और कभी इन्हें भुलाया नहीं जा सकता।