मुहरी बाली (लकड़ी बेचने बाली)
मुहरी बाली (लकड़ी बेचने बाली)
अभी देश भर में लाक डाउन के कारण लोगों को घर के अंदर ही रहना है, पर आज मैंने एक मुहरीबाली मतलब वो औरतें जो सिर पर लकड़ी रखकर बेचती हैं, और अपना घर चलाती हैं, बहुत परेशान हो गई हैं वो, कुछ औरतों से बात की उनकी समस्या कि वो काम नहीं करेंगी तो खायेगी क्या?
इनकी दैनिक दिनचर्या थी सुबह 4बजे उठना अपने दुधमुहे बच्चों को सोता छोड़ कुल्हाड़ी लेकर जंगल जाना और लकड़ी काटना फिर 15/20किलोमीटर पैदल ही शहर में या किसी गाँव में लकड़ी बेचना, ध्यान से देखा मैने न उनके पैरों में चप्पल, न ढंग के कपड़े, फटी गंदी साड़ी और एक पोटली से रोटी नमक निकालकर खाने लगी कई दिनों के बाद आज लकड़ी बिकी और पता है कितने में 200रूपये में। आज एहसास हुआ कि हम तो केवल घरों में रहकर लाक डाउन काट रहे है मुश्किलें तो केवल गरीब ही भुगत रहा है भगवान से विनती है कि ये दिन कभी न आये। कोई इस तरह परेशान न हो, बहुत असहनीय है, स्वाभिमान के साथ जो मेहनत कर कमाते हैं वो भी लाचार हैं।