Seema Mishra

Inspirational

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Seema Mishra

Inspirational

इज़्ज़त

इज़्ज़त

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आज मेरी सहेली का फोन आया। बर्षो बाद हमने सुख दुःख साझा किये,तो आज उसी के बारे में लिखती हूँ जो उस वक्त बहुत असहनीय दर्द था उसका और उसे देखकर मुझे भी उतना ही।उस दिन मै अचानक सरिता के घर गई तो देखाघर में एक अजीब सी खामोशी छाई थी। तभी तेज आवाज में सरिता बोली-"बाबा ये किस इज्जत कीबात कर रहे थे तुम! अरे हमारी जमीन बिक गई, घर गिरवी रखना पड़ा, घर में कोई खुश नहीं है, भविष्य का क्या होगा?"

माँ लगातार रोये जा रही थी, आंसू पोछकर बोली "तेरी खुशी के लिए समाज में हमारी इज़्जत बनी रहे,तुझे ससुराल में किसी चीज है कमी न हो इसलिए हर माता पिता को बेटी के साथ थोड़ा बहुत दहेज़ देना पड़ता है.... सरिता.... थोड़ा बहुत ये नकदी, फर्नीचर, कीमती सामान, जेवर और भी बहुत सी मांगे हैं उनकी".... "बाबा हमें ऐसा ब्याह नहीं करना, और नहीं चाहिए हमें ऐसी इज़्जत जो कल को बुढ़ापे में तुम दोनों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़े। भाड़ में गया ऐसा समाज, बाबा अगर उन्हें हमसे ब्याह करना है तो बिना दहेज के करें और न करें तो न सही । कही और जाकर बोली लगाये अपने बेटे की"....... सौरभ, सौरभ जो कि सरिता से ब्याह करना चाहता था... खड़ा था सबकुछ सुन लिया था उसने ,सभी लोग डर गये कि अब क्या होगा पर सौरभ बाबा के पास गया और उनका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला "आप परेशान न हों यह प्रथा तो आने बाली पीढ़ी को ही बंद करनी होगी तो इनकी शुरूआत गाँव में सबसे पहले मै ही करता हूँ।" सबके चेहरे खिल उठे! सरिता मन ही मन भगवान को धन्यवाद दे रही थी साथ नाराजगी कि किसने बनाई ये प्रथा। समाज में प्रचलित बुराईयों में से एक है ये कब बंद होगी दुनिया के हर हिस्से में व्याप्त है ये कुप्रथा, दहेज लेने से कैसे इज़्जत बढ जाती है समझ नहीं आता , पढ़े लिखे लोग इतने मूर्ख कैसे हो सकते हैं? पर हकीकत तो यही है।  


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