भटकाव
भटकाव
माधवी रो-रो कर दरवाजा खटखटाए जा रही है लेकिन उसके आँसू और आवाजों का मेरे ऊपर कोई असर ही नहीं हो रहा है, रोती रहे मेरी बला से ! बहुत लाड़ दिखा लिया इसे , अब गुस्सा और नफ़रत देखेगी! क्या यही दिन देखना बाकी रह गया था! मेरी इकलौती बेटी है माधवी !बड़े ही मन्नतों के द्वारा पाया है उसको, मेरी ही नहीं पूरे परिवार की जान बसती है उसमें! बड़े अरमानों के साथ पढ़ने के लिए भेजा था और हाॅस्टल में रखा था बेटी को!
कल उसकी वार्डन का फोन आया कि माधवी रात को हाॅस्टल से गायब थी और सुबह आने पर गोल-मोल जवाब दे रही है, अभी आकर इसे ले जाएँ, दोनों पति-पत्नी वहाँ जाकर उसे लेकर आ गए रास्ते में किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा! ये तो अच्छा है कि इसके दादा-दादी तीर्थ यात्रा पर गए हैं नहीं तो उन्हें भी कितनी तकलीफ होती ।
आने के बाद भी वह चुप है, मैं भी उससे बात नहीं कर रहा, उसकी माँ भी। बहुत देर चुप रहने के बाद उसने रोना शुरू कर दिया और कहा अगर आपलोगों को बताया तो आपलोग मुझे जान से मार डालोगे।
फिर उसने बताना शुरू किया कि उसके क्लास में बहुत से बच्चों के पास स्मार्ट फोन है,
वे सब बच्चे पार्टियों में जाते हैं, सिगरेट पीते हैं, बीयर पीते हैं खूब नाचते-गाते हैं और वह बहुत मजे करते हैं।
मैं कल ही पहली बार गई थी, सब जाते हैं इसीलिए मैं भी चली गई बीयर में कुछ मिला हुआ जिसे पीते ही पता नहीं क्या हुआ।
मुझे कुछ पता ही नहीं कि रात कहाँ थी। जब होश आया तो खुद को हाॅस्टल के गेट के सामने पाया। मम्मी- पापा मुझे माफ कर दीजिए, लेकिन यह सब सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आ गया और मैंने उसे कमरे में बंद कर दिया। तब से लेकर अब तक वह रो रही है और माफी मांग रही है।
हम दोनों पति-पत्नी हैरान हैं कि इसकी परवरिश में आखिर हमसे कहाँ कमी रह गई जो आज यह दिन देखना पड़ रहा है, मेरी पत्नी खुद को दोषी मान रही है। आखिर अब इस समस्या का समाधान कैसे करें और कैसे इस बेटी पर दोबारा भरोसा करें! यह भी डर लगता है कि अभी ज्यादा सख्त कदम उठाने से बात बिगड़ भी सकती है!
और हमने माधवी को थोड़ा समय देने की बात सोची है, शायद वह गलत न हो और केवल पहली बार ही गलती की हो और हमने उसे प्यार से समझाने का फैसला करते हुए दरवाजा खोल दिया।