चाय की एक प्याली
चाय की एक प्याली


कई दिनों की गर्मी और उमस से राहत मिली थी, बहुत दिनों के बाद आज बारिश हो रही थी, श्रेया ने चाय का पतीला गैस पर रख दिया और अदरक, इलायची कूटकर दूध में मिला दी, अपनी ज्यादा चायपत्ती और कम मीठी वाली स्पेशल चाय लेकर वह खिड़की के पास बैठ गई। बारिश उसका प्रिय मौसम है, जब भी बारिश होती है वह ऐसे ही उसका आनंद लेना पसंद करती है।हालांकि ऐसा सुख उसे बहुत कम ही नसीब होता है क्योंकि भरे-पूरे घर में इतना समय भी मुश्किल से ही मिलता है।
हाँ! आज का दिन कुछ अलग है, दोनों बच्चे दादा-दादी के साथ सो रहे हैं और उसके पतिदेव दफ्तर में हैं। घर के जरूरी काम निबटा ल
िए गए हैं, "हाँ बच्चे और माँजी-पिताजी के उठने पर अचानक से ही बहुत से काम स्वत: ही प्रस्तुत हो जाएँगे, सबके शाम का नाश्ता, चाय, बच्चों का गृहकार्य और रात के खाने की तैयारी, उसके बाद भी देर रात तक कामों का सिलसिला चलता ही रहता है, पतिदेव को भी उसका पूरा समय चाहिए, आते ही उसके नाम की पुकार मचाते हैं।"
पर श्रेया अभी उनसब बातों को भूलकर केवल इस एक पल को जी रही है, उलझनों से भरी इस ज़िंदगी से बस कुछ फुर्सत के पल चुरा कर बहुत खुश है।वो बारिश की बूंदों की अठखेली देखते हुए जीभर कर मुस्कुरा रही है।अपने लिए, अपनी खुशी के लिए थोड़ा समय बचा रही है।