Bindiya rani Thakur

Fantasy

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Bindiya rani Thakur

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लिलिपुटनगर और हम

लिलिपुटनगर और हम

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मैं एक वैज्ञानिक हूँ और यात्राएं करना मुझे बेहद पसंद है, खास करके समुद्री यात्राओं की बात ही कुछ और है ऐसे ही एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ समुद्री सफ़र पर निकला था, बड़ी ही रोमांचक यात्रा थी वह तो और साथ ही चुनौतियों का सामना करने को मिलीं एवम् यह सफ़र मेरे जीवन का सबसे यादगार बन गया।

हमने अपनी यात्रा की शुरुआत अपने देश भारत से शुरू की थी, बड़े मज़े से जहाज आगे बढ़ता ही जा रहा था मेरे दोस्त रमाकांत,श्याम और सुन्दर सभी मजे से खा-पीकर गाने गाकर झूम रहे थे और मैं डाॅ रवि दूरबीन से दूर बाहर के सुहाने दृश्य निहार रहा था, सबकुछ बहुत सुन्दर लग रहा था तभी तेज हवाएँ चलने लगी, हम सभी एक-दूसरे को सम्हालने की कोशिश कर रहे थे तभी एक भयानक समुद्री तूफान आया और हमारा जहाज समुद्र में डूब गया सभी अपनी जान बचाने के लिए हाथ-पैर मार रहे थे, पर समुद्र की तेज लहरों के साथ तैरना किसी को भी नहीं आता था,धीरे-धीरे हाथ-पैर जवाब देने लगे और दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और मैं बेहोश हो गया•••

होश में आने पर देखा कि बहुत ही छोटे-छोटे बच्चों के आकार के लोगों ने मुझे घेर रखा है, और शायद मेरे होश में आने का इंतजार कर रहे थे। मुझे होश में आया देख वे सभी खुश हो गए, मैंने अपने दोस्तों को ढूँढने की कोशिश की, वो तीनों भी होश में आ गए थे, हम सभी ने इशारों में ही उन छोटे लोगों से पूछा कि ये कौन सी जगह है, वे हमें अपने सरदार के पास ले गए, वह भी उनकी तरह ही छोटे बच्चे की तरह थे,लेकिन पहनावे से अलग लग रहे थे।उसे हमारी भाषा आती थी

सरदार ने कहा, "यह लिलिपुटनगर है,यहाँ आपका स्वागत है,वैसे आप लोग कौन हैं ? भारत देश से आए लगते हैं, एक बार मैं वहाँ गया था इसीलिए वहाँ की भाषा सीख गया हूँ।"

मैंने कहा,मैं डाॅ रवि और ये मेरे दोस्त हैं ,समुद्री यात्रा पर निकले थे लेकिन तूफान के कारण हमारा जहाज समुद्र में डूब गया और इसके आगे हमें कुछ याद नहीं।"

सरदार ने कहा, "आप वापस जाना चाहते हैं तो इसकी व्यवस्था कर दी जाएगी तबतक आप हमारी मेहमान- नवाजी का लुत्फ़ उठाइए।" 

हमारे लिए तरह-तरह के व्यंजन परोस दिए गए, और सोने के लिए कमरे में अच्छी व्यवस्था की गई,रातभर बिताने के बाद सुबह सरदार ने एक नाव मंगवाई,हम यह देख कर हैरान हो रहे थे कि वे सब कितने अच्छे से मिलकर काम करते थे ,जैसे छोटी-छोटी चींटियाँ मिलकर काम करती हैं ठीक वैसे ही। 

आज सुबह हम वहाँ से निकल कर अपने घर आ रहे हैं लेकिन लिलिपुटनगर को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा। इतने प्यारे लोग शायद ही मिलते हैं। 


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