भोर भयो पनघट पे मैया
भोर भयो पनघट पे मैया
आज कई सालों बाद मिनाक्षी अपनी पिहर आयी थी, अपने 8 साल की बेटी साक्षी को भी साथ लेकर आयी थी।
औरतें पहले से मिनाक्षी के आने का राह देख रही थी।
लगभग गांव के सभी औरतें मिनाक्षी के घर पहुंच गयी थी, क्योंकि मिनाक्षी आज पुरे 5साल बाद अपने पीहर आनेवाली है।
रसोई से रंग बिरंगे पकवानों कि सुगंध आ रही थी, सभी औरतें आपस में बात करते हुए, जोर जोर से हंस रही थी।
कुछ देर बाद एक बुढ़ा व्यक्ति जिसके पांव चप्पल नहीं था, एक मैला सा धोती पहने हुए था, और लाल रंग के गमछे से सर पर पगड़ी बांधे हुए था।
उसकी आवाज खुशियां झलक रही थी, उन्होंने कहा- मिनु बिटिया आ गयी।
दरअसल कुछ लोगों मिनाक्षी नाम से पुकारने में कष्ट होता है, इसलिए लगभग गांव के सभी लोग मिनु ही कहते थे।
मीनाक्षी गाड़ी से नीचे उतरी और सबसे पहले आम के पेड़ और बरगद के पेड़ से लिपट गई , साक्षी चुपचाप खड़े होकर सब देख रही थी, वह समझ नहीं पा रही थी, की मां से मिलने के लिए इतने लोग खड़े हैं ,फिर भी मां सबसे पहले आम और बरगद के पेड़ से क्यों लिपट गई। मां पहले पेड़ से मिलने गयी, क्यों ?
देखो भगवान जी आप नहीं बताओगे ,तो मैं खुद ही पता लगा लूंगी, क्योंकि मैं भी मीनाक्षी भारती की बेटी साक्षी भारती हूं। (साक्षी अपने मन में यह सोचते हुए मां के उंगली पकड़कर खड़ी हो गई। )मीनाक्षी बरगद और आम के पेड़ से लिपट कर उसके बाद अपने मां (मंजु भारती) से मिली, पापा को पैर छुकर प्रणाम कि।
पापा ने आशीर्वाद दिया, साक्षी भी नाना जी नाना जी कहते हुए प्रणाम कि और गोदी में बैठ गयी, और मुंह बनाते हुए बोली नाना जी आप से इतने दिनों बाद मिले हैं, आपकी तो मुछें फिर से खींचने पड़ेंगे ना ,क्योंकि हमें लगता है ,कि आपने फिर से एक गलती कर दिए है ,आप मां को मिलने क्यों नहीं आते थे, मां तो बड़ी हो गई हो समझ जाती, लेकिन मैं आपको बहुत याद करती थी,आप क्यों नहीं आते थे मिलने। गलत बात है, आपने तो एक गलती की है, आप मुझसे मिलने नहीं आते थे ।आप सालों से नहीं मिलने आते थे ,नाना जी गलत बात है ।मम्मा मम्मा! है न गलत बात, ना आप बताओ ना मम्मा!
मीनाक्षी बोली साक्षी बेटा ,ऐसा नहीं कहते। चलो! चलो !उतरो !8 साल की हो गई फिर भी नाना की गोदी में बैठेगी चल। मम्मा मम्मा मैं बुढ़ी नहीं हूं ,अभी सिर्फ 8 साल की हूं, साक्षी ने हंसते हुए कहा।
मीनाक्षी के पिता बोले- मिनाक्षी बेटा आप भी क्या बच्चे को डांटने लगी जाओ, अपने मां से मिलो, तब तक हम साक्षी के साथ बात करते हैं, इतने सालों बाद अपने नाना के साथ नहीं खेलेगी और तुम भी साक्षी को मुझसे अलग करना चाहती हैं,जाओ अपने मां से मिलो मिनाक्षी बेटा।
तुम्हारी मां तुमको बहुत याद करती थी, आज इतना सालों बाद आई हो तो मां से बातें करो कहते हुए अभिनव भारती (मिनाक्षी के पापा) साक्षी को गोद में उठाकर बातें करने लगे।
मीनाक्षी गांव के सभी औरतों से मिली, और अपने सभी सखियों से भी मिले क्योंकि सभी मेले के अवसर पर आए थे।
मीनाक्षी के लिए गांव की औरतों खाना लाकर परोस दी, मीनाक्षी हंसते हुए बोले आप सब नहीं खायेगी, और मैं सब अकेले खा लूंगी ,आप सब को भी खाना पड़ेगा, सब मिलजुल कर खाना खाने लगे मीनाक्षी साक्षी को बुलाकर खाना खिला दि।
अंधेरी रात आसमान में चांद तारे चमक रहे थे ,साक्षी बोली मम्मा हम लोग तो कमरे में सोते हैं ना ,तो खिड़की से सिर्फ कुछ चांद और तारे दिखाई देते हैं, लेकिन देखो ना नानी के घर से एक खाट पर सोने से पूरा आसमान दिखाई दे रहा है,कितना अच्छा लग रहा है ना, मम्मा हमें तो लगता है कि हमें यहीं रह जाना चाहिए कुछ महीनों के लिए।
मीनाक्षी बोली और तेरा पढ़ाई का क्या होगा, वह कौन करेगा तुम्हारा प्रतिबिंब जाकर करेगा।
मम्मा आप भी ना, मैं पढ़ाई पूरी कर लूंगी, अब मैं यहां हूं तो, प्रतिबिंब कैसे जाकर पढ़ लेगा। मीनाक्षी बोली ठीक है, सो जाओ बहुत रात हो चुकी है,दोनों सो चुके जब सुबह साक्षी कि आंखें खुली।
तो उसने बोला मम्मा मम्मा! आप कहां हो आप बिछावन पर क्यों नहीं हो, आप कब उठ गए, मुझे भी उठाना चाहिए था ,मुझे नाना के गांव में घूमना है।
तभी मीनाक्षी आयी, और साक्षी को उठाकर नाश्ता करा दी,और बोली चलो तुम्हें घूमना है ना पूरे गांव।
चलो तुमको गांव घूम आते हैं।
तभी साक्षी मीनाक्षी के हाथ पकड़ते हुए बोली ,मम्मा !आपको एक बात बताना पड़ेगा, तभी हम गांव में घूमने जाएंगे वरना हम नहीं जाएंगे।
मीनाक्षी हंसते हुए बोले ऐसी क्या बात है, जो तुझको बहुत जरूरी जानना है, जिसके लिए तो गांव में भी नहीं जाना चाहती।
साक्षी बोली हां मां, है एक ऐसी बात आप बता दो ना मैं समझ जाऊंगी।
मीनाक्षी बोली बता तो सही क्या बात पूछना है तुझे ?
साक्षी बोली मम्मा आप कल आए,तो सबसे पहले आप पीपल के और आम के पेड़ से क्यों लिपट गई, आपसे मिलने के लिए गांव के इतने सारे लोग खड़े थे, और तो आप उनसे नहीं मिली और सबसे प हले जाकर पेड़ से क्यों गले लग गई?
क्यों इसको राज बता सकती है आप?
मीनाक्षी हंसते हुए बोली -अरे इसमें राज की क्या बात है, तुम्हें बताती हूं।
मीनाक्षी बोली पहले के जमाने में चापाकल नहीं होता था,पहले कुआं होता था, वहां से हम पानी लाते थे ,घड़ा में भरकर।
साक्षी बोली- मम्मा कुआं कहां है? मुझे दिखाओ न जरा।
मीनाक्षी बोली उसके लिए तुझे घूमने चलना पड़ेगा
साक्षी बोली- नहीं मम्मा आप पहले पूरी कहानी सुना दो,फिर हम घूमने चलेंगे।
मीनाक्षी बोली-हम सब 8सहेली थे, हम सब मिलकर एक साथ भोर में पाने के लिए जाते थे, हम जिस रास्ते से जाते थे, उस रास्ते में एक बहुत बड़ा आम का पेड़ था।
हम सब उस पेड़ से बचपन से आम चुराकर खाते थे ,वहां पर एक बुढ़ा आदमी बैठा रहता था।क
उसको चकमा देकर, हम लोग आम चुरा लेते थे, और बाद में चिढ़ाते भी थे, हम लोगों ने आम चुरा लिया है,लेकिन वह व्यक्ति सिर्फ मुस्कुराता था ,उसको गुस्सा भी नहीं आता था।
तो चुपचाप हम लोगों की बातों को सुनता था, ऐसे ही हम लोग रोज पानी को जाते और गर्मी के महीनों में आम चुराकर खाते थे।
एक बार हम सब लोग एक साथ जा रहे थे पनघट पर तभी मेरी एक सहेली चंदा चिल्लाई वह देखो मीनू! वह क्या हो गया बुढ़ा को?
मैं जब पीछे मुड़ी तो बुढ़ा व्यक्ति गिरा पड़ा था।
हमने कहा- ए चंदा तू बेकार में क्यों चिल्लाती है वह बुड्ढा सो रहा है।
चंदा बोली- नहीं, अबे उठा सो नहीं रहा है, वह मर गया है।
साक्षी पता है,मैं उससे बोली कि तुम्हें कैसे लगता है,कि वह मर गया है,
वह नहीं मर सकता,
हम लोगों के लिए मसीहा है,
वह हम लोगों को आम खाने पर भी नहीं रोकता था,वह बाबा नहीं मर सकता है।
वे भगवान का रूप है, कैसे मर सकते है, उसको हम लोगों को फिर से आम चुराते हुए देखना है।
तभी चंदा बोली अभी सपनों की दुनिया से बाहर आ मीनू ।
वह बुड्ढा मर चुका है, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गए।
बूढ़ा व्यक्ति के बारे में लोग कहते थे, उसका कोई परिवार नहीं है ,उसके पास वही एक बगीचा है ,और उस बगीचा में जो पेड़ पर फल लगता है, वही खाकर अपना जिंदगी व्यतीत करता है।
उसमें उस बूढ़ा व्यक्ति ने बहुत सारे नए पौधे भी लगाए थे।
लेकिन अब वह बुढ़ा मर चुका था, इसलिए सब कहने लगे अब जो सारे नए पौधे है, वह सब सुख जाएंगे, क्योंकि नए पौधे में पानी कौन देगा?
मैं बहुत चिंतित होने लगी थी, काश! वह बुढ़ा व्यक्ति होता, सारे पेड़ को फिर से हरियाली कर देता।
एक दिन मैंने फैसला किया- कि अब से सारे नए पेड़ को मैं पानी दूंगी, उस दिन से मैं बगीचे के सारे नए पौधे में पानी डालने लगी।
ये बात मां पापा को नहीं पता था, मैं मां को बोल देती थी कि मैं अपने सहेलीयों के साथ पनघट जा रही हूं, मैं सभी पेड़ों को पानी दे देती थी।
एक दिन शाम को मैं अपने सखियों के साथ पनघट पर गयी, और उस दिन मैं पेड़ों को पानी नहीं दि थी, इसलिए मैं उस शाम को पेड़ों को पानी देने लगी।
कब रात हो गयी, मुझे पता ही नहीं चला।
पेड़ों को पानी देते देते कब सुबह हो गयी, मुझे थोड़ा सा भी पता नहीं चला।
मां पापा बहुत परेशान थे, कि मिनाक्षी कहां रह गई,जब मैं घर पहुंची तो मां पापा ने बहुत डांटा उसके बाद मेरी शादी कर दी गयी, और उस दिन के बाद हम कभी पनघट पर नहीं गए।
मैं उस बगीचे में लगभग पांच साल तक पेड़ों को पानी दि थी।
आज गांव के बच्चे बड़े मजे से आम खाते हैं।
और साक्षी तुम्हें जानना है कि मैं पीपल और आम के पेड़ से क्यों लिपट गई।
क्योंकि उस पीपल के वृक्ष में न जाने कितने राही को छाव मिला है, और आम के पेड़ से न जाने कितने भुखे को भोजन मिल गया होगा।
इसलिए मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती हूं, क्योंकि मेरे कारण कुछ लोगों को तो आराम है।
भले ही इसका सजा में मुझे शादी करनी पड़ी। मुझे एक नयी जिम्मेदारी सौंप दी गई।
हमारा एक सपना था,हम पढ लिखकर कुछ बनें।
किंतु मुझे इस बात कि खुशी है कि मैंने हजारों पेड़ कि जान बचायी है।
मैं उस पीपल को पेड़ को अपना भाई और आम के पेड़ को अपनी बड़ी बहन मानती हूं।
हर साल रक्षाबंधन पर पीहर नहीं आ पाती थी, इसलिए मैं किसी न किसी पीपल पेड़ को राखी बांध देती हूं।
और आम के पेड़ को भी राखी बांधती थी, और अपनी सारी दुख आम के पेड़ को बताती थी। इसलिए मैं सबसे पहले पीपल और आम के पेड़ से लिपट गई।
साक्षी बोली-मम्मा आपको तो पेड़ बचाने के लिए पुरस्कार मिलना चाहिए।
मिनाक्षी बोली-नही बेटा, ऐसे हजारों लोग होंगे, जो किसी न किसी का जान बचाते होंगे, किंतु सबको पुरस्कार नहीं मिलता है।
ये सारी बातें अभिनव भारती और मंजु भारती ने कमरे के बाहर से सुन लिया थे।
अभिनव अंदर आया और बोला मिनाक्षी बेटा मुझे माफ कर दो।
मंजु भी रोते हुए बोली मुझे माफ कर दो मिनाक्षी मैं तुम्हारी गुनाहगार हुं,
तभी अभिनव बोले मिनाक्षी बेटा मेरी गलती है, मैंने तुम्हारे सपने का कत्ल किया है।
मिनाक्षी बोली-मां पापा आपलोग ये क्या कह रहे हैं, आपको माफी मांगने कि जरूरत नहीं है।
बड़े छोटे से माफी नहीं मांगते हैं, पापा मां आपकी कोई गलती नहीं है।
तभी साक्षी गुनगुनाने लगी-
भोर भयो पनघट पे मैया,
सजा में मुझे शादी मिली मैया।
साक्षी हंसने लगी।
साक्षी बोली मम्मा पुरे गांव का सैर करना अभी बाकी है।