अंहकारी दानी
अंहकारी दानी
काशी में दानी राव नाम का एक व्यक्ति रहता था।दानी राव को अपने दानशीलता पर बहुत अंहकार था।दानी राव कहता है-"मैं तो गरीबों को दान देता हूं, मैंने उन लोगों पर उपकार किया हुआ,वो सारे गरीब मुझसे दान लेते समय एक ही बात कहते हैं आप जुग जुग जीयो।वो मेरी लंबी उम्र कि आशीर्वाद देते हैं, इसके कारण मुझे मृत्यु अपने साथ नहीं ले जा सकती है।"
इस प्रकार दानी राव का अंहकार बढ़ता गया है,एक दिन मृत्यु उसके पास आयी और बोली "दानी राव अब तुमको हमारे साथ चलना होगा।मैं सत्य हुं, मुझे झुठलाया नहीं जा सकता है, तुम प्राण दान कर दो या कुछ भी कर दो, तुमको हमारे साथ चलना होगा।"
दानी राव ने हंसते हुए कहा "तुम उन गरीब लोगों के मुख से मेरी लिए दुआएं नहीं सुनती हो क्या।"
मृत्यु बोली-"हां सुनती हुं, दुआएं भी और बद्दुआएं भी।"
सबसे बड़ा अंहकारी रावण का भी अंहकार चूर चूर हो गया, "तुम्हें यह ज्ञात नहीं है शायद।"
दानी राव बोला-"मुझे ज्ञात है, किंतु रावण और मुझमें बहुत अंतर है।वह रावण लोगों को कष्ट पहुंचता है, मैं गरीबों को दान करता हुं, इतना बात तुम्हें समझ नहीं आती है क्या?"
मृत्यु- "हमें ज्ञात है, किंतु तुममें अंहकार बहुत ज्यादा है,यह अंहकार तुम्हें एक दिन मृत्यु तक पहुंचा देगा।"
दानी राव-"मृत्यु मुझे तुम नहीं ले जा सकती क्योंकि मेरे साथ लोगों कि दुआएं है।"
मृत्यु-"याद रखना मैं वापस फिर आऊंगी,जिस दिन तुम्हारे लिए कोई १०० बद्दुआएं दे देगा,उस दिन मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगी।"
कुछ दिनों बाद मृत्यु फिर आती है।
मृत्यु-"तुमको किसी ने १०० बद्दुआएं दी है,अब तुमको चलना पड़ेगा,ये दुआएं काम न आनेवाली है।"
दानी राव आश्चर्यजनक होकर बोला-"मुझे किसी ने १०० बद्दुआएं दी है, ऐसा नहीं हो सकता है?"
मृत्यु-ऐसा ही हुआ है, तुमने गरीब लोगों कि मदद कि यह सत्य है, किंतु तुमने अपने ही मां को वृध्दाश्रम में रख दिया।तुम्हारी मां ने तुम्हें १०० बद्दुआएं दी है।"दानी राव का अंहकार टुट जाता है,वह मृत्यु के साथ चला जाता है।