Alaka Kumari

Abstract Inspirational

4.0  

Alaka Kumari

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अनन्या

अनन्या

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हमारा नाम अनन्या।

हम और एक छोटा भाई और मां पापा छोटी सा परिवार हम अपनी जिंदगी में खुश थे।

10मार्च 2015

छोटु स्कूल पढ़ने गया था, मां घर के काम करने में व्यस्त थी, हम अपने किताब संभाल कर रख रहे थे।

फोन कि घंटी बजी हम फोन उठायें, उधर से कोई इंस्पेक्टर बोला आपके पिता के दुर्घटना में मौत हो गयी।

मैं बोली कहां है, मेरे पापा।

इंस्पेक्टर बोला हाईवे पर आइये।

हम मां को बताते तो मां को अचानक सदमा लग जाता इसलिए हम मां को बोले मां थोड़ा काम है हम थोड़े ही देर में आ जायेंगे।

हम हाईवे पर गए, पापा इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे।

हमारे आंखों में आंसू न देखकर इंस्पेक्टर बोला आप बहुत हिम्मत वाली है, अपने परिवार को संभालिए।

हम पापा के पार्थिव शरीर को लेकर घर पहुंचे, मां बार-बार बेहोश हो जा रही थी, छोटु को कुछ ज्यादा समझ में नहीं आ रहा था, वह मां को रोता देख, मां के पास खड़ा था।


कुछ घंटों बाद

सभी रिश्तेदार और पड़ोसी आ गये थे, अब इन रिश्तेदारों और पड़ोसी कि शर्त थी, कि अपनी जमीन कि कुछ हिस्सा हमलोगों के नाम कर दें, तब हम काम क्रिया करेंगे।

कुछ लोग मां को कह रहे थे, कि लिख दो कुछ जमीन अब तुम क्या कर सकती हो?

तुम्हारे पति तो इस दुनिया में न रहे, अब तुम्हें न चाहते हुए भी तुम्हें कुछ जमीन इन लोगों के नाम पर लिखना ही होगा।

मैं बोली मां कोई जरूरत नहीं है, इन लोगों के नाम पर जमीन लिखने के लिए।

मां बोली जमीन तो लिखना पड़ेगा, तेरे पापा कि क्रिया काम के लिए। मां हम सब संभाल लेंगे, हमारे पापा ने हमें मुसीबतें से हारना नहीं सिखाये है।

मां अब गुस्से में बोली तुम बात क्यों नहीं मानती हो? लड़कियां श्मशान नहीं जा सकती है। मां कौन बेकार कि बातें आपको बता दी, हम अपने संस्कृति को मानते हैं, एक बात बताओ मां, सीता जी ने राजा दशरथ के पिंडदान कि थी, क्या वह झुठ था।

लोगों कि बातें दिमाग़ में जोर दे रहा था, सबको जमीन चाहिए थी, इसलिए बोल रहे थे, लड़की जात हो के अपने मां से मुंह लगाती है, कल ससुराल जाके पता नहीं क्या करेंगी।


मुझे गुस्सा आ गया और मैं चिल्लाकर बोली बस अब और नहीं एक शब्द भी कोई बोलने कि कोशिश नहीं करेगा।

हमारे पिता कि मृत्यु हुई है हमारे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है, और आप लोगों को जमीन जायदाद कि पड़ी है किसी को एक बिता जमीन न मिलनेवाली है।

इसलिए अब कोई नया नाटक न करें तो ही ठीक होगा।

हमारे परिवार के साथ खड़े नहीं हो सकते तो चुपचाप यहां से चले जाइए। बुआ कुछ बोलने ही वाली थी कि मैं बोली बस बुआ अब और नहीं आपलोग का बखेड़ा खत्म हुआ।


हम खुद अपने पिता के पार्थिव शरीर को श्मशान लेकर जायेंगे। मां आपके मन के सुकून के लिए छोटु मुखाग्नि दे देगा, दूसरे दिन हम ले लेंगे।

पापा के जाने के बाद छोटू कि स्कूल कि फी, और मां कि दवाइयां कहने सुनने के लिए परिवार का खर्च कम होगा।

हम हिम्मत कहां हारनेवाले थे, मां को आचार बनाने आता था, बस हमने सोच लिया कि यही अब हमारा जिंदगी बनेगा।

हम जितना आसान समझ रहे थे, उतना आसान नहीं था, हमें व्यवसाय खड़ा करने के लिए पैसे कि जरूरत थी, बैंक के पास लोन के लिए गए, बैंक वाले भी सिर्फ अमीरों के लिए होते हैं।

बैंक वाले ने बड़े ही विनम्र स्वर में कहा आपके पास 2लाख कि संपत्ति होगी तभी आपको 2लाख का लोन मिलेगा।


अब हम क्या करते, कुछ समझ न आ रहा था, हम एक कंपनी में जॉब करने लगे। सैलेरी ज्यादा नहीं था, इसलिए हम बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिए।


मां के गहने को गिरवी रखकर हम रुपए का इंतजाम करके मां के आचारों का कंपनी खोल दिया।

गांव कि हजारों महिलाओं को हमारे कंपनी से रोजगार मिला है और हमारी मां कि आचार बाजार में अपनी पहचान बना चुकी हैं।

आज हम खुद पर हंसते हैं कि उस दिन हम अगर लोगों कि बातें सुनकर हार मान लेती तो इतना कुछ न हो पाता।


मां आज बहुत खुश हैं क्योंकि छोटु शहर से मेडिकल कि पढ़ाई करके आया है। गांव कि महिलाओं को अपने कंपनी में जुड़ने से ज्यादा मुझे इस बात कि खुशी है,कि आज गांव कि औरतें अपने हुनर को पहचान कर अपनी पहचान बना रही है। अब हमारा एक ही लक्ष्य है, गांव में एक भी अस्पताल नहीं है, बस एक अस्पताल बन जाएं।


छोटु एक बात मुझे बतायेगा यह पुस्तक किसने प्रकाशित करवाया है तुम्हें पता है? यह हमारे कमरे में पता नहीं कौन रखकर चला गया था।

छोटु-दीदी हमें पता नहीं।

मां ये देखो आज एक कहानी प्रकाशित हुई है, पता है उसकी लेखक कौन है?

मां को उत्सूकता से पुछी कौन है इस कहानी के लेखक।

छोटु-मां आपकी बेटी।

अनन्या-छोटु झूठ न बोलो।

छोटु- मां मैंने इनकी डायरी चुराकर प्रकाशित करवा दिया है।

वैसे दीदी आप सबके बारे में सोचती हैं, कभी अपने बारे में सोच लिया करो।

वैसे हम आपके साथ है गांव में एक अस्पताल होना चाहिए, क्योंकि.....

अनन्या-अब तू डाक्टर बन गया है।

बीते दिनों कि बातें पढ़कर पुरानी यादें ताजा हो गईं।

तुम अब बहुत बड़े हो गए हो छोटु।


मां-अनन्या तुम्हारी कोशिश कामयाब हुई, तुम मेरे लिए बहुत कुछ हो।

अब अपने बारे में भी कुछ सोच लो।

हम अनन्या आप सभी से सिर्फ इतना कहना चाहेंगे, आप खुद पर भरोसा रखें।

लोगों कि बातें में न आकर आप सही है तो हमेशा खुद पर भरोसा रखें।

एक दिन यहीं भरोसा आपको बहुत बड़ी खुशी देगी, इसलिए अपने मंजिल को पाने के लिए आप सभी खुद पर भरोसा रखें।



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