भंवरजाल
भंवरजाल
आज बहुत उमस थी।पेड़ पर एक पत्ता भी नही हिल रहा था।ऐसा लग रहा था,तेज़ बारिश होने से पहले का गुबार भरा हो माहौल में।
सारिका अभी अभी दफ्तर से लौटी थी।सारा दिन काम की व्यस्ताओं में डूबी रही और अब मौसम की मार,ऐसे में सिर्फ ऐ सी ही कुछ राहत दे सकता था इसलिए जल्दी ही वो सब काम निबटा के आराम से कमरे में आ लेटी और अपनी नॉवेल (जेन ऑस्टिन की प्राइड एंड प्रेज्यूडिस पढ़ रही थी कल से वो)पढ़नी शुरू कर दी। बड़ी मज़ेदार कहानी चल रही थी कैसे एक अधेड़ उम्र की महिला अपनी चार पांच लड़कियों की शादी के लिए बड़े बड़े घर के लड़कों को आकर्षित करती रहती है।
अचानक बाहर दरवाजे से आवाज आई "कोरियर"।
सारिका बेमन से उठी अब ये किसका कोरियर आ गया,"आराम भी नही कर सकते "वो बड़बड़ाई,
दरअसल वो नॉवेल को एक मिनट भी नहीं छोड़ पा रही थी।जितने बेमन से वो कोरियर लेने उठी थी,उतनी ही बड़ी मुस्कराहट उसके चेहरे पर खिल उठी।
वो चहक के बोली "क्या,मोना दी शादी कर रही हैं??"
"मुझसे कुछ कहा" मैम,कोरियर वाले के कहने पर वो झेंप गयी,
" नहीं भैया,आप जाएं।"
उसे अपनी आंखों पर विश्वास नही हो रहा था।जल्दी से उसने कार्ड खोला,बड़ी सादगी से कार्ड छपा था,मोना दी के स्वभाव की झलक कार्ड में दिख रही थी,कोई चटकीले रंग नहीं, सुबह 11 से शाम 5 बजे तक सारे कार्यक्रम थे शादी के।
खैर जो भी था ,मोना दी शादी को कैसे तैय्यार हुई ये उत्सुकता उसके मन में बराबर बनी हुई थी।
सारिका और मोना दोनों सगी बहिनें थीं,सारिका मोना से चार साल छोटी थी।जब मोना शादी लायक हुई तो माँ पापा ने उनके लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था।मोना हमेशा उन्हें रोकती
"मां, मुझे शादी नही करनी है"
शुरू शुरू में वो समझते लड़कियां ऐसे ही नानुकुर करती हैं शादी के नाम।पर जब दो एक अच्छे रिश्ते मोना ने ठुकराए तो माँ पापा सीरियस हुए।
एक दिन माँ ने दीदी को घेर लिया: तुम साफ साफ बताओ,तुम्हारी समस्या क्या है?
मोना: कहा तो माँ कितनी बार ,मैं शादी करना ही नही चाहती।
माँ: आखिर क्यों,कब करोगी,अभी और इन्तेजार करना है,अगर कोई पसंद है हमें बताओ हम उसी से तुमहारी शादी करवा देंगें।
मोना: माँ, मुझे ये रीति रिवाज़ पसंद नही हैं,लड़केवालों को भगवान की तरह पूजना,उनका अच्छी खासी लड़कियों में कमियां निकाल कर शादी कर छोड़ देना,मुझे इन सब से बहुत डर लगता है।
मोना का गला भर आया था,लेकिन वो रोज रोज़ की इस लड़ाई को आज खत्म कर देना चाहती थी।
रोते रोते उसने बोलना जारी रखा,माँ में समाज मे एक उदाहरण रखना चाहती हूं,लड़कियों को तमाशा बनने से रोकना चाहती हूं।मुझे उनपर हुए अत्याचारों से खून खौलता है।
मां: "तो उम्र भर क्या कुआँरी रहोगी? मां बाप कितने दिन साथ हैं।कल को सारिका भी शादी कर अपने घर की हो जाएगी,हमारे बाद तू कैसे अकेले रहेगी बेटा, ये ही दुनिया का बरसों से चला आ रहा रिवाज़ है,ये तू किस भंवरजाल में फंस गई।"
मोना: "मां,आपने मुझे इस लायक बना दिया है कि मैं अपनी जिंदगी आराम से काट सकूँ पर जब तक मुझे ऐसा आदमी नहीं मिलता जो मुझसे इसलिए शादी नहीं करेगा कि मेरे पापा बड़ा दहेज दे रहें हैं या मैं उसे हर माह एक मोटी रकम लाकर हाथ मे देती हूं बल्कि जो मेरी इज्ज़त करेगा,मुझे मेरे गुणों अवगुणों सहित स्वीकारेगा तभी मैं इस बारे में सोचूंगी।" माँ अवाक हो मोना का मुंह देखती रह गईं।
धीरे धीरे समय बीतता रहा।सारिका की शादी भी कुछ दिनों में हो गयी वो अपने घर परिवार में खुश थी।समय अबाध गति से बढ़ता जा रहा था।सारिका को ये विश्वास ही चला था कि अब दीदी शायद कभी भी शादी नही कर पाएंगी।वो एकाध एन जी ओ से जुड़ गई थीं।एक अनाथालय में वो काफी रेगुलर जाया करतीं,वहां बच्चों को पढ़ाती, उनके संग खेलतीं और समय बिताती।उनको शादी के नाम एक फोबिया सा हो गया था और कहीं अवचेतन मन में ये बात बहुत गहरे से बैठ गयी थी कि शादीशुदा लड़कियों पर बहुत अत्याचार होतें हैं और वो उन लड़कियों को जागरूक करेंगी और इस नारकीय जीवन से छुटकारा दिलवाएंगी।
सारिका को ये उत्सुकता लगातार बनी थी कि आखिर दीदी को कौन ऐसा मिला जिसने उनकी ये सोच बदली।काफी सोच विचार के बाद उसने हिम्मत कर दीदी को ही फ़ोन लगा दिया।
सारिका: "हां मोना दी,बहुत बधाई हो,आखिरकार आपको आपके सपनों का राजकुमार मिल ही गया।"
मोना:(हंसते हुए) "तू सामने आ कर मिल फिर तेरी पिटाई करती हूं।"
सारिका: "दीदी,आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे,अमन जी तुम्हें कहाँ मिले।"
मोना: "सब फ़ोन पर ही पूछेगी।"
सारिका:(बच्चों सा मचलते हुए) कुछ तो बताओ दी संक्षेप में ही सही।
मोना ने उसे जो बताया वो किसी फिल्मी कहानी सा था।जिस अनाथालय में वो जाया करती थी वहां के संचालक का बड़ा बेटा अमन विदेश में शिक्षा प्राप्त करके एक बड़ी कंपनी का सी ई ओ रहा, पर जल्द ही उसे इस जिंदगी के वैभव से विरक्ति हो गयी और वो जॉब छोड़कर अपने पिता के पास चला आया,उसने अनाथालय की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेली। मोना का सधा व्यवहार,सादगी ,बच्चों के प्रति उसका निस्वार्थ प्रेम देख वो उसके प्रति आकृष्ट रहता ,मोना भी उसे दिल ही दिल में पसंद करने लगी थी।दोनों ही एक दूसरे को चाहते पर झिझकते थे कुछ कहने से शायद अपनी उम्र देखकर।
अभी करीब 15 दिन पहले मोना और अमन साथ साथ अनाथालय कंपाउंड में घूम रहे थे।रात के 8 बज चुके थे।आसमान में चांद पूरे शबाब पर निकल अपनी चांदनी बिखेर रहा था।वहीं दूर एक कोने में एक बूढ़ा सा आदमी पुराने कुएं(जो अब इस्तेमाल नही होता था,थोड़ा पानी ही रहता उसमें, एक बड़े लोहे के जाल से उसे कवर कर दिया गया था) में झांक कर कुछ बड़बड़ा रहा था।
दोनों उसके पास आये,अमन ने पूछा,बाबा क्या ढूंढ रहे हैं।
वो परेशान सा बोला,बेटा देखो इसमें ये चाँद गिर गया है(चन्द्रमा की साफ परछाई पानी मे प्रतिबिंबित हो रही थी) काफी समय से कोशिश कर रहा हूं इसे बाहर निकालने की पर ये निकलता ही नहीं।
अमन मोना की तरफ रुख कर बोला:"कुछ समझीं"
मोना अचकचा के बोली,"मैं क्या समझूँ,लगता है इनकी मानसिक हालात ठीक नहीं"
अमन:"लेकिन आप तो बिल्कुल सामान्य हो न?"
मोना:"आप कहना क्या चाह रहें हैं?"
अमन: "क्या चन्द्रमा वाकई में कुएं में गिरा है,नहीं न,फिर ये किसे निकाले ठीक वैसे ही जैसे आप शादीशुदा लड़कियों को नर्क से निकालना चाहती हो,एकाध बुरी घटना का ये मतलब नही होता सारा समाज ही खराब है।"
मोना इस सब के लिए तैय्यार नही थी,गहन सोच में पड़ गयी वो,शायद अमन ठीक ही कह रहे थे,उसने झेंप कर सिर झुका लिया।अमन ने बिना देर लगाए उस सुहाने पल में उसे प्रोपोज़ कर दिया और वो भी तो इनकार न कर सकी।
सारिका का ध्यान कमरे के दरवाज़े पर बैठे चिड़ी चिड़े पर गया जो बहुत शोर कर रहे थे वो दौड़ कर उठी उन्हें भगाने के लिए की ची ची करके सिरदर्द कर दिया पर अचानक उसके बढ़े कदम रुक गए।उसे लगा ये चिड़ी चिड़ा कैसे प्यार से चोंच लड़ा रहें हैं,इन्हें यूं प्रणय करते देख उसे दीदी का ख्याल आया और उसे वो दोनों अच्छे लगने लगे।