Ruchi Singh

Abstract Children

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Ruchi Singh

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बेटे का पहला जन्मदिन

बेटे का पहला जन्मदिन

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कमला निवास बहुत ही सुंदर सफेद, लाल फूलों और लाइटों से सजा हुआ है। कमला निवास में आज शांति नहीं है। हर जगह चहल -पहल है। ढेरों मेहमान इकट्ठे हुए हैं। पकवानों की भीनी- भीनी खुशबू पूरे वातावरण को महका रही है। एक तरफ गीत संगीत ढोलक की आवाज वातावरण मे मधुर संगीत भर रही है। भगवान और सोहर के गीत गाए जा रहे हैं। कहीं पर लोग ठहाके लगा -लगा कर बातें कर रहे हैं। घर की औरतें बच्चे खूब संजे सवेरे घूम रहे हैं। बच्चे खेलते दौड़ते दिखाई दे रहे हैं।

घर का कोना-कोना ऐसा सजा है। एहसास हो रहा है कि कोई बहुत बड़ी खुशखबरी कमला निवास के वासियों को मिली हो। जिसके वजह से इतने बड़े समारोह का आयोजन किया है।

कमला निवास के मालिक सुरेश जी आज बहुत ही खुश हैं। उनके पोते मानव को बेटा हुआ था। आज उसका पहला जन्मदिन बडी धूमधाम से मनाया जा रहा है।

सुरेश जी परदादा बन चुके हैं। उन्होंने अपनी तीन पीढी देख ली है। हां, बहुत घरों में यह बहुत ही शुभ माना जाता है। लोगों का कहना है कि 3 पीढी़ देखना और परदादा बनने से सोने की सीढ़ी चढ़कर आदमी मरने के बाद स्वर्ग में जाता है। ऐसी मान्यता है।

सुरेश जी गांव के जमींदार हैं। तथा स्वतंत्र सेनानी भी रह चुके हैं। इनका गांव में बहुत रुतवा है। गांव वाले उनकी व उनके परिवार की बहुत इज्जत करते हैं। आज इस महाभोज में दिल खोलकर सब को भोजन कराया और दान दिया जा रहा है। सुरेश जी के वंश का वारिश आया है। इसलिए पूरे घर में मंगल गीत गाए जा रहे हैं। आसपास के 10 गांव का भोज रखा गया है।

मानव व रिया बेटे पार्थ को लेकर मुंबई से आए हैं। मासूम पार्थ दादा दादा कहते नहीं थक रहा। सुरेश जी बच्चे को ठुमकते चलते देख तथा दादा दादा जैसा मधुर व तोतली भाषा में सुन उनके खुशी से आंखों के कोने गीले हो जा रहे है। वह पार्थ को अपनी बाहों में भर अपने पोपले गालों से खूब प्यार कर उसे आशीष देते हैं।

पार्थ कान्हा जी जैसे ठुमक -ठुमक के पूरे घर में चल रहा है। गीत संगीत के बाद सत्य नारायण भगवान की पूजा भी कराई गई। जब-जब पंडित जी शंख बजाते पार्थ डर से रोने लगे। उसके इस बाल्य व्यवहार को देख सब लोग खूब हंसते।

पूरा समारोह अच्छे से व्यतीत होने के बाद अगले दिन घर की बेटी और बहू की विदाई पर सुरेश जी ने परदादा होने के नाते सबको खूब मूल्यवान कपड़े और साथ में याद के रूप में एक एक सोने का सिक्का भी दिया।

सुरेश जी लगभग 85 साल के हो गए। उनका सपना था कि मैं परदादा बँनू और तब मैं बच्चे के पहले जन्मदिन पर ऐसे भव्य सामारोह का आयोजन करू। वो सपना पूरा होने पर उन्होंने अपने मन की इकछा पूरी की । पार्थ के शुभ कदम से घर में खुशियां ही खुशियां आ गई और आज घर का ऐसा सुखद माहौल हो गया ।


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