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Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Drama

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Vijay Kumar Vishwakarma

Abstract Drama

बड़ा आदमी

बड़ा आदमी

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किराये के मकान में रहने वाला मेहुल कुछ ही सालों में एक बंगले का मालिक बन बैठा। उसकी आमदनी को देखकर ही मालती के पिता ने अपनी बेटी का विवाह उससे करा दिया जबकि मेहुल कम पढ़ा लिखा था। मालती न सिर्फ काॅलेज टाॅपर थी बल्कि वह बेहद बुद्धिमान और समझदार भी थी। विवाह के बाद मेहुल की हकीकत उसे मालूम पड़ी तो वह दंग रह गई।

मेहुल सरकारी कार्यालयों में जरूरत के सामान सप्लाई करता था मगर वह हेरफेर में बड़ा माहिर था। उसके द्वारा सप्लाई होने वाले सामान के सौ पैकेट में से बीस पैकेट खाली खोखे होते लेकिन उसे पूरे सौ पैकेट का भुगतान मिलता। सरकारी नुमाइंदों के हाथ गरम कर वह मनचाहा बिल पास करवा लेता। उसकी इस कारगुजारी से उसके दिन बेहद मुनाफे और मजे से कट रहे थे।

मालती कई बार उसे ईमानदारी और नैतिकता का पाठ सिखाने की कोशिश की मगर हर बार वह मालती को झिड़क कर चुप करा देता। मेहुल उसे अपने किताबी ज्ञान को भूलने और मौजूदा माहौल के मजे लेते हुए व्यवहारिक बनने की सलाह देता। मालती रोज रोज की कलह से बचने के लिए चुप्पी साध ली।

कुछ दिनों बाद महामारी की खबर फैलते ही मालती बेहद डरने लगी। यद्यपि उसने सुरक्षा के माकूल इंतजाम किये थे फिर भी वह मेहुल को लेकर चिंतित थी। कार्यालयों के बंद रहने से सामान सप्लाई का काम प्रभावित हुआ नतीजन मेहुल ज्यादा समय घर में ही बिताने लगा। मेहुल को घर में सुरक्षित देखकर मालती की चिंता कम हो गई थी।

दो महीने बाद जब बाजार और कार्यालय पुनः खुले तो एक बार फिर मेहुल का बाहर आना जाना प्रारंभ हो गया। मालती के बहुत कहने पर मेहुल अपने व्यवसाय को देखते हुए वैक्सीन लगवाने को तैयार हो गया। वैक्सीन लगवाने के बाद मेहुल निडर होकर लोगों से मिलने लगा और भीड़भाड़ वाली जगह में जाने से भी नही हिचकिचाता था। मालती उससे मास्क लगाने के लिए गिड़गिड़ाती मगर मेहुल उसकी एक न सुनता। वह मास्क को पैर से कुचल कर आगे बढ़ जाता।

आखिर वही हुआ जिसका मालती को डर था। मेहुल को इन्फेक्शन हो गया। जांच में उसकी रिपोर्ट पाॅजीटिव आई और उसे एक प्राईवेट हाॅस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। डाॅक्टर भी हैरान थे कि वैक्सीन लगने के बाद इन्फेक्शन कैसे फैला। मेहुल का नाम धनी लोगों में गिना जाता था इसलिए यह खबर मीडिया में भी फैल गई। स्वास्थ्य विभाग ने पड़ताल किया तो सच्चाई सामने आई।

जिस हाॅस्पिटल में मेहुल को वैक्सीन लगाया गया था वहां पर्याप्त वैक्सीन नही थी। मेहुल को वापस लौटाने की बजाए उस हाॅस्पिटल के वार्ड ब्वाॅय ने एक खाली शीशी से वैक्सीन निकालने का ढ़ोंग कर मेहुल को खाली सिरिंज चुभा दिया। बिना वैक्सीन के मेहुल लापरवाही से घूमता रहा जिससे वह इन्फेक्शन का शिकार बन गया।

सच्चाई जानकर हाॅस्पिटल के बेड में कराहते हुए मेहुल दांत पीसकर खोखली वैक्सीन लगाने वाले वार्ड ब्वाॅय को गाली देने लगा। उसके पास बैठी मालती उसे तसल्ली देकर शांत रहने का इशारा की लेकिन जब मेहुल अपनी तकलीफ का जिम्मेदार बताते हुए उस वार्ड ब्वाॅय को लगातार भला बुरा कहता रहा तो मालती धीरे से बोली - "उसे भी तो आपकी तरह बड़ा आदमी बनना रहा होगा, आखिर हम वही काटते हैं जो बोते हैं।"

मेहुल चुप हो गया। उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई। मालती डाॅक्टरों को खबर की और फौरन ही उसे ऑक्सीजन मास्क लगा दिया गया। परीक्षण करके डाॅक्टरों ने मालती से चिंता न करने को कहते हुए बताया कि वह रिकवर कर रहा है और जल्दी ही ठीक हो जायेगा। मालती आंख बंद करके ईश्वर को धन्यवाद देते हुए उसके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रार्थना करने लगी।


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