बचपन वाला प्यार
बचपन वाला प्यार
शैलेंद्र-"सुरेंद्र! मुझे ..मुझे .."
सुरेंद्र -"अब बोलो भी कि मुझे मुझे ही करते रहोगे ?"
शैलेंद्र -मुझे वो नीतू मैम से प्यार हो गया है ।"
सुरेंद्र-"वो हिंदी की प्यूपिल मैम से? तू पागल हो गया है क्या?"
शैलेंद्र-" नहीं ।मुझे वह बहुत पसंद है। उनका बोलना ,प्यार से समझाना ,सब कुछ बहुत अच्छा लगता है ।"
सुरेंद्र-" तू पागल हो गया है ।"
एक महीना बीतने को आया ,शैलेंद्र की हालत अब ये हो गई थी कि पहले वह मैम के घर तक जाता फिर अपने घर जाता ।जब दो दिन मैम स्कूल नहीं आईं, तब शैलेंद्र तीसरे दिन गुलाब का फूल लेकर मैम के घर पहुँच गया। नीतू मैम ने घर का दरवाजा खोला और कहा-"अरे शैलेंद्र!यहाँ ?वो कैसे? क्या हुआ ?यहाँ कैसे आ गए?
शैलेंद्र-"नीतू मैम !आप स्कूल क्यों नहीं आ रही हैं?"
नीतू मैम-"मेरी ट्रेनिंग पूरी हो गई है। अब मैं वहाँ नहीं आऊंगी ।"
शैलेंद्र- "ओ मैम!अब मेरा क्या होगा?"
नीतू मैम-"क्या होगा का मतलब?
मैं समझ नहीं पाई ।"
शैलेन्द्र-" मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ। मैं आपके बिना जी नहीं पाऊंगा। मैं जान दे दूंगा ।"
नीतू मैम-" तुम पागल हो गए हो ।जाओ अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाओ। वरना मुझे तुम्हारे मम्मी- पापा से बात करनी पड़ेगी।"
यह कहकर नीतू मैम ने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया। शैलेंद्र का दिल हाथों में लिए गुलाब के फूल सा छूट वहीं गिर गया और बिखर चूर-चूर हो गया । वह ज़िंदगी भर कभी अपनी नीतू मैम को नहीं भूला पाया।

