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vartika agrawal

Others

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हमारी यारी

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एक बार की बात है एक चार पहिए का मालिक अपनी गाड़ी को पार्किंग में जैसे ही खड़ा कर अपने ऑफिस बैग के साथ बाहर निकला,दो बाईक सवार बगल से ऐसे गुजरे कि कीचड़ का छींटा उस गाड़ी के मालिक के चेहरे पर, कपड़े पर व जूते पर सीधा पड़ा। वह खुद को संभालने लगा कि इतने में वह दो बाईक सवार उसके हाथों से बैग छीन आगे निकल गए ।वह गाड़ी मालिक कुछ समझता इससे पहले ही सबकुछ ओझल हो गया। 

   तभी एक तेरह साल का बच्चा जो जूते पॉलिश करने का काम करता था साथ ही जूतों की मरम्मत भी करता था ,वहाँ आया और उसके जूतों को साफ करने लगा। इस पर गाड़ी के मालिक मिस्टर पांडे जी ने कहा ,"मत करो मेरे पास पैसे नहीं तुम्हें देने को।" बच्चे ने कहा ,"जानता हूँ सर ।" मिस्टर पांडे जी ने कहा," तो फिर क्यों कर रहे? जाओ यहाँ से।"

बच्चे ने कहा ,"इंसान ही इंसान के काम आता है मालिक ।आप के जूते साफ कर मदद कर देने से मेरी किस्मत मुझसे रूठेगी नहीं बल्कि मेहरबान होगी ।ऐसा मुझसे मेरे बाबूजी कहतें थें। पैसे नहीं चाहिए।"

   मिस्टर पांडे ने पूछा ,"बाबूजी कहतें थें? इसका मतलब ?"

बच्चे ने कहा ,"हाँ सर !मेरे माँ -बाबूजी का चार महीने पहले बस के नदी में गिर जाने से जिसमें दुर्भाग्यवश मेरे माँ बाबूजी भी थें उनकी मृत्यु हो गई ।मेरे गाँव के चच्चा ने बताया ।"

मिस्टर पांडे ने पूछा ,"कौन है घर में अब?"

बच्चे ने कहा ,"कोई नहीं सर ।मैं अकेला हूँ। कितनों से सहायता माँगी कि कुछ करा दो मुझे लेकिन किसी ने ना सुनी फिर जब स्कूल जाता था तो देखता था ,स्कूल के बाहर एक मोची को ,जो जूते पॉलिश व मरम्मत करता था और एक ठेले पर गोलगप्पे की दुकान भी देखी थी मैनें। इतने पैसे तो नहीं निकले मेरे पास से गुल्लक फोड़ने पर। इसीलिए जूते पॉलिश करता हूँ ।जब थोड़े पैसे कमा लूंगा, तब पढ़ाई शुरू करूंगा ।"

मिस्टर पांडे ने कहा ,"क्या इतने पैसे कमा लोगे ।"

बच्चे ने कहा ,"आशा करता हूँ।" मिस्टर पांडे उसको अपने ऑफिस लेकर आए और कुछ रुपए दिये। बच्चे ने यह रुपए लेने से इन्कार कर दिया कि मेरे बाबूजी मेहनत की कमाई खाने को कहतें थें। मैं नहीं ले सकता। 

मिस्टर पांडे ने कहा ,"एक इंसान जब इंसान की सहायता कर सकता है तो एक दोस्त तो दोस्त की मुश्किल घड़ी में ही परखा जाता है। ले लो इसे ।मैं तुम्हारा दोस्त हूँ आज से ।दे देना बाद में ।"

बच्चे ने कहा," नहीं सर ।"

मिस्टर पांडे ने तुरंत निर्णय लिया और कहा"आज से तुम मेरे घर रहोगे ।मेरे आठ वर्षीय बेटे को पढ़ाओ ,उसको पढ़ाने की फीस के बदले मैं तुम्हारा स्कूल में दाखिला करा देता हूँ।" बच्चे ने आश्चर्य चकित हो पूछा," इतने रुपए खर्च करोगे मेरे लिए ?"

मिस्टर पांडे ने कहा, "दोस्त कहा है तुम्हें,दोस्त को दोस्ती की तो लाज रखनी ही पड़ेगी ।है ना दोस्त?"



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