पैसा
पैसा
चीना और मीना दो जुड़वा बहनें थीं उनके पिताजी महीने के पाँच सौ रुपये पॉकेट मनी के रूप में दोनों बेटियों को दिया करतें थें। चीना उसे प्रायः मौज मस्ती में खर्च कर दिया करती थी, किंतु वहीं दूसरी तरफ, मीना उसे महीने के अंत तक पहुँचते-पहुँचते, गुल्लक में डाल दिया करती थी। चीना उससे अक्सर पूछती कि जब पिताजी ने रुपए पॉकेट मनी के रूप में दिया है तो खर्च क्यों नहीं करती। तो मीना कहती सारे शौक तो पूरे होतें हैं तो फिर खर्च कैसा।
समय बीत रहा था कि एक रात लगभग बारह बजे तक अचानक चीना और मीना के पिताजी की तबियत बिगड़ गई। डॉक्टर की सलाह उन्हें हॉस्पिटल एडमिट कराने की ही तरफ थी, साथ ही पचास हजा़र रुपये भी एडवांस में जमा कराने को कहा। अभी चीना मीना की माँ कुछ कहती, मीना झट से अपना गुल्लक उठाकर डॉक्टर अंकल के हाथों में थमाते हुए आँखों में झाँकते हुए पूछा कि अब तो मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे ना। डॉक्टर मीना का मासूम सा चेहरा देखते ही रह गए और अगले ही क्षण बच्चों को आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द इनके तुम दोनों के पिताजी ठीक हो जाएंगे।
