शादी
शादी
ग्यारह वर्षीया दिव्या ने अपनी माँ से कहा -"माँ! कहीं ऐसा न हो सुमन दीदी की शादी सितंबर में पड़ जाए।फिर मैं कैसे शादी में जाऊँगी? उस समय तो परीक्षाएं भी चलेंगी।"
माँ-" नहीं होगी शादी ।"
दिव्या -"माँ! आप कैसे कह सकती हैं? मौसी से बोलो कि अभी वे दीदी की शादी नहीं करे। मेरी परीक्षा चलेगी।"
माँ-" बेटा! पहली बात यह कि ये पितरों का देश है ।यहाँ हिंदू धर्म में मान्यता है कि हमें अपने पूर्वजों को पितृ-पक्ष में दिल से याद करना चाहिए और ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण-अर्पण करना चाहिए और ऐसे समय में शादियां नहीं होती हैं ।पितृ-पक्ष पंद्रह दिन का होता है और तुम्हारी परीक्षा भी पंद्रह दिन की होगी। निश्चिंत रहो ।दूसरी बात यह कि तुलसी विवाह के पश्चात् ही शादियां होनी प्रारंभ होती है।"
दिव्या -"थैंक्यू माँ! मैं कितनी परेशान थी कि मैं कैसे शादी में जाऊँगी। तुमने मेरी समस्या सुलझा दी। हमारे पूर्वज हमारा कितना ध्यान रखते हैं न।"
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा-" बेटा !वह हमेशा हमें नेह और आशीष ही देते हैं।"
