अंजान
अंजान
माँ-"सुनीति !क्या हुआ बेटा ?मैं देख रही हूँ कि तू दो दिन से बहुत उदास है। लगता है तुझे कोई टेंशन है।बताओ ना आखिर क्या हुआ? डरो मत।मैं तुम्हारी दोस्त भी हूँ न बेटा। मैं तुम्हारी सहायता करूँगी।छुपाने से परेशानी खत्म नहीं होती बल्कि और बढ़ जाती है और घुटन अलग से होती है।हो सकता है तुम्हारी परेशानी का हल मेरे पास हो।"
सुनीति -"माँ! माँ! मैं फेसबुक और इंस्टाग्राम चलाने लगी हूँ। आपसे मैंने सब छुपाया है।"
माँ-" ओह! फौरन उसे अनइनस्टॉल कर दो।यह सब पढ़ाई में बाधक हैं। तुम पढ़ नहीं पाओगी।एकाग्रचित्तता अलग भंग होगी।क्लास में पोजीशन अलग बिगड़ेगी।"
सुनीति-" हाँ,माँ, आप सच कह रही हैं। माँ! मेरी उस पर एक लड़के से दोस्ती हो गई थी।"
माँ-" क्या ?"
सुनीति -"हाँ, माँ। अब वह मुझे ब्लैकमेल कर रहा है।"
माँ- "वह कैसे बेटा ?"
सुनीति-" माँ! वह कहता है कि मुझसे मिलने होटल आओ और माँ को बिल्कुल भी मत बताना।"
माँ-" अच्छा।"
सुनीति-" हाँ, माँ। वह कहता है कि यदि मैं नहीं गई तो वह दुनिया में यह ढिंढोरा पीट देगा कि वह लड़का और मैं रिलेशनशिप में हूँ।मैं नहीं जाना चाहती।(इतना कहकर सुनीति फूट-फूट कर रोने लगी।)
माँ-" बेटा !तू तो बाल-बाल बच गई क्योंकि तूने मुझे अपनी समस्या बता दी मैं तुम पर कोई आँच भी नहीं आने दूँगी ,बेटी।"
सुनीति-"ओह माँ।"( इतना कहकर माँ के गले से लग जाती है)
माँ -"प्रॉमिस कर ,अब कोई भी गलत काम नहीं करेगी और ना ही अपनी पढ़ाई के अलावा इधर-उधर दिमाग लगाएगी। तुझे डॉक्टर बनना है ना, बस उधर ही खुद को केंद्रित करेगी।"
