बैसाखी
बैसाखी
अस्पताल में अपाहिज अवस्था में लाया गया था नावेद। उसके दाहिने हिस्से में लकवा मार गया था, 35 वर्ष की आयु और ये हालत?
पर अस्पताल के डॉक्टर से लेकर नर्स, वार्ड बॉय, सब उसके कपड़े बदलने से लेकर उसका खयाल रखने वाले थे।
प्राइवेट रूम में था वो, सभी सुख सुविधाओं से युक्त।
स्पंज से लेकर खाना, दवा देना, सब कुछ सुचारु रूप से चलता हुआ।
सब उसके स्वभाव से प्रसन्न थे सो उसके बेड के पास रुक कर, थोड़ी बात, थोड़ा परिहास, अवश्य होता था।
धूप आने पर नावेद को व्हील चेयर पर लेकर लॉन में पूनम आती, हमेशा कहती, देखिएगा आप एक दिन अवश्य खड़े होंगे।
उसके पैरों की मालिश करने आया मनसा, हमेशा मालिश करते समय कहता, आज तो आप के पैर में, ताकत, महसूस हो रही है, जल्दी ही खड़े होंगे।
ऐसे में नावेद के अंदर एक उत्साह की लहर दौड़ जाती, एक ताकत जो उसके अंदर रक्त संचार दौड़ा जाती।
डॉक्टर रिचर्ड आते, उसकी नाडी देखते और अन्य जांच करके कहते, सो हाऊ अरे यू फीलिंग मिस्टर नावेद?
और नावेद के चेहरे पर आई हंसी डॉक्टर को बता देती कि वो कैसा महसूस कर रहा है।
इतनी आत्मीयता, इतने प्यार के बीच, उपचार कराता नावेद, कभी, कभी व्हील चेयर के हत्थे को पकड़, उठने का प्रयास करता।
कभी बैठे-बैठे ही पैरों की उंगलियों को, हाथों की उंगलियों को हिलाने की चेष्टा करता।
अंततः परिणाम ये हुआ कि उसने देखा कि उसके हाथों और पैरों की उंगलियों में सचमुच मूवमेंट था।
एक दिन पूनम और मनसा ने उसको खड़ा किया और पकड़ कर खड़े रहे, और फिर धीरे से अपने हाथ हटा लिए। आश्चर्य वो खड़ा था ,पर अधिक देर नहीं---
वातावरण उसके ऊपर असर डाल रहा था, और
एक दिन डॉक्टर उसको खुशखबरी दे रहे थे, वेल, अब हम आपको डिस्चार्ज कर देंगे, नियमित दवा और एक्सरसाइज करते रहिएगा।
अस्पताल से निकलते समय, नावेद को जहां घर जाने की प्रसन्नता थी वहां सबसे बिछड़ने का दुख भी--
अस्पताल से आये एक महीना हो गया था,
और अब वो 80% तक ठीक था। कार भी ड्राइव करने लगा था।
एक दिन किसी कार्यवश निकला, तभी उसे एक भीड़ कार की तरफ आते दिखी। माजरा समझने के लिए उसने कार धीमी की और शीशा खोला।
एक शोर कानों में पहुंचा, मुसलमान है साला, पाकिस्तानी----मारो, जिस थाली में खाता है-----
और फौरन घबराहट में शीश बंद करके, कार के एक्सीलरेटर पर पैर का दबाव बढ़ा दिया। पीछे शोर और ईंट पत्थर फेंके जा रहे थे।
बढ़ी हुई दिल की धड़कनों के साथ उसने कार घर नहीं अस्पताल की तरफ़ मोड़ दी।
जल्दी से कार से उतर, उसने तेज कदम अस्पताल के कॉरिडोर की ओर बढ़ाये। कुछ कदम चलने के बाद ही उसे अपने पैर फिर शक्तिहीन महसूस हुई। टांगें कांप रही थी। सामने ही व्हीलचेयर थी।
वो हाथ बढ़ा कर व्हीलचेयर पर बैठने का प्रयास कर ही रह था, उसने देखा कि जोड़ी हाथ, पूनम, मनसा, डॉक्टर रिचर्ड, उसकी तरफ बढ़े और उसे थाम कर सीधा खड़ा कर दिया।
