बैरी चाँद की छिटकती चाँदनी
बैरी चाँद की छिटकती चाँदनी


ठिठुरती ठंड की हाड़ कंपकंपाती रात है, आसमान साफ है और चाँदनी फैल रही है, सीमा पर तैनात रघुवीर गाने सुनने का बहुत शौकीन है, सो रेडियो पर विविध-भारती का कार्यक्रम लगा रखा है, ठंड से हाथ-पाँव सिकुड़ रहे हैं और दोनों हाथ बंदूक पर जमे हुए हैं, अचानक उसकी नजर चाँद पर चली जाती हैं और चाँद में उस बैरन का चेहरा दिख जाता है। जिसे वह इतनी शिद्दत से चाहता है।
रघुवीर का मन अतीत की याद में डुबकी लगाने लगता है, "बचपन में अगर उसका कोई साथी था तो वह लाजो ही थी जहाँ जाते साथ जाते रघुवीर थोड़े शांत स्वभाव का था तो अगर कोई बच्चा उसे परेशान करता तो लाजो ही उसे बचाती थी, बड़े होते-होते यह पक्की दोस्ती कब प्यार में बदल गई दोनों को ही पता नहीं चला। प्यार दोनों में बहुत था दोनों के परिवारों में भी गहरी दोस्ती थी तो शादी होने में कोई समस्या भी नहीं थी लेकिन शादी के लिए लाजो ने एक शर्त रखी और शर्त थी कि अगर रघुवीर से शादी तभी करेगी जब वह देश सेवा के क्षेत्र में जाएगा। रघुवीर लाजो से बहुत प्यार करता है तो उसने फौरन शर्त मान ली और परीक्षा की तैयारी में जुट गया और उसका चुनाव भी देश सेवा के लिए कर लिया गया, प्रशिक्षण के बाद तुरंत ही उसकी पोस्टिंग भी हो गई और तब से लेकर अब तक रघुवीर ने लाजो को देखा भी नहीं है और ना ही बातें ही की है, बस छुट्टी मिलने का इंतजार कर रहा है ताकि जल्दी से जाकर लाजो को अपना बना सके। दिन तो कट ही जाते हैं लेकिन रात होते ही उस बैरी चाँद में अपनी चाँदनी को ढूँढता है। और चाँद बैरी की तरह रघुवीर को देखकर मुस्काता रहता है।"