Kunda Shamkuwar

Tragedy Abstract Others

4.5  

Kunda Shamkuwar

Tragedy Abstract Others

बातों के दरमियान....

बातों के दरमियान....

2 mins
414


कभी कभी हम औरतें बातों बातों में बातों के दरमियान की बातें भी बड़ी सहजता से कर लेती है। फ़ोन पर हमारी बातें हो रही थी। घर परिवार की बातें पूछने पर वह कहने लगी, "हम पती पत्नी का रिलेशन बहुत दिनों से कुछ ठंडा सा ही है और वह 'कर' नही पाते है।"

मैंने कहा, "छोड़ो न ये बात।बहुत पर्सनल बात है।" शायद उसे आज अपनी बात कहनी ही थी तो मेरी बात पर तवज्जों दिए बिना वह आगे कहने लगी, "अरे नही, यह पर्सनल बात नही है।बल्कि यह तो सोशल इशू है। अब तुम ही देखो न, उनका 'यह' जब से हो रहा था तब मैं बयालीस की थी। उस उम्र में मेरी भी तो अपनी ज़रूरतें थी।लेकिन मैं ने शोर शराबा किये बग़ैर उनका साथ देती गयी।रादर मैंने उनकी साइकोलॉजी समझकर खुद ही उनसे कहती रही, "अब मुझे भी 'इसकी' जरूरत नही लगती। चलो छोड़ो ये सब....वक़्त के साथ सब ठीक हो जाएगा...""उनको सपोर्ट देते देते मेरी रातें यूँ ही गुजरने लगी थी। अपने जिस्म की ज़रूरतों को कही पीछे धकेल कर मैं उनके साथ आगे बढ़ती गयी।मेरी यह पीड़ा कोई समझ नही सकेगा। तुम्हे फिर भी मैं बता पा रही हुँ, औरों को तो मैंने तब भी नही बता पायी और न कभी कह भी पाऊँगी....." 

अचानक डोर बेल बजी। शायद कोई आया था। फिर बात करते है कहते हुए मैंने फोन रख दिया। 

रात को सोते हुए मुझे उसकी बातें याद हो आयी। मुझे लगा कि मर्द क्या कभी औरतों की तरह बन पायेंगे? 

मेरा मन कहने लगा....नही! कदापि नही!! 

मर्द अपनी भूख कहाँ छोड़ पाते है? आये दिन अखबार और टीवी में बलात्कार की खबरें...यूँही नही हुस्न के बाज़ार सदियों से गुलज़ार रहते है..... 

बीइंग औरत वह अपने पति को सपोर्ट कर सकी लेकिन मर्द 'उस' औरत को छोड़ देता और डंके की चोट पर दूसरी को घर ले आता... 

विजयी भाव से...

बिना किसी अपराधबोध से...


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy