Sangeeta Agarwal

Romance

3.9  

Sangeeta Agarwal

Romance

अरेंज्ड मैरिज

अरेंज्ड मैरिज

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शाम का धुंधलका चारो ओर फैल रहा था,सड़के सुनसान हो चली थीं,ठंडी हवा के झोंको से निशा सिहर उठती और अपनी शाल कस के शरीर पर लपेट लेती,आतुरता से सड़क के दोनों तरफ की दुकानों के बोर्ड्स पढ़ती जा रही थी,कि अचानक उसे दिखा"सर्वोदय नर्सिंग होम"डॉक्टर रवि,डॉक्टर मेघा।

भैया, यहीं रोक दीजिये,निशा धीमे से बोली।

निशा ने बाहर रिसेप्शन पर अपना नाम लिखवाया और वही पड़ी बेंच पर बैठ गयी। शायद डॉक्टर भी लास्ट मरीज को देख रही थीं,उसे एक दम कॉल किया,वो अंदर गयी।डॉक्टर मेघा ने उसे चैक किया,अब दोनों बात कर रही थी।

डॉक्टर:"मुबारक हो, आप मां बनने वाली हैं।"

निशा:"लेकिन मैं ये बच्चा नही चाहती हूँ।"

डॉक्टर:"अरे,ऐसा क्यों,,आप तो बहुत एडवांस्ड स्टेज में हो,शायद ये तो सम्भव नही हो सकेगा।"

निशा:"मेरी मजबूरी समझिए,मैं इसे नही रख सकती।"

निशा ने आंखे नीचे झुका लीं,मेरी शादी नही हुई है,मैं कुंवारी लड़की,इसे कहाँ ले जाऊंगी,किस किस को क्या बताऊंगी? इतने में डॉक्टर रवि भी वहां आ गए,दोनों को घर के लिए निकलना था।

डॉक्टर ने गौर से निशा को देखा,गोरी,लम्बी,छरहरी काया की सुंदर लड़की,काले रंग की सुनहरे बॉर्डर वाली साड़ी में बहुत खूबसूरत दिख रही थी।

जब उसे निशा का केस पता चला,उसने भी बच्चे को न गिराने की सलाह दी,निशा तब तक रोने लगी,मेघा ने रवि को बताया कि ये अनमैरिड है।

डॉक्टर रवि ने कहा:"तुम पढ़ी लिखी लगती हो,अब जब तुम्हे इसे रखना ही पड़ेगा तो आगे के लिए सोचो,क्या पढ़ी हुई हो तुम?"

"मैं खुद नर्स थी,लेकिन किन्ही कारणों से मुझे वो जॉब छोड़नी पड़ी",निशा बोली।

"अरे फिर कोई टेंशन नहीं,मेघा बोलीं,तुम हमारे यहां जॉब करो और यहीं तुम्हारा बच्चा भी रहेगा।"

एक पल को निशा को लगा,दोनों डॉक्टर दम्पत्ति भगवान बन के उसकी जिंदगी में आये हैं,कितने अच्छे हैं ये,पर अपने बच्चे को किसका नाम दूंगी,वो सोच में पड़ गयी।

डॉक्टर रवि बोले:"अब क्या सोच रही हो?अब भी कोई परेशानी है क्या?"

नजरें झुका के हल्की आवाज में उसने अपनी समस्या बताई।डॉक्टर दम्पत्ति को इस लड़की से कुछ विशेष लगाव सा होने लगा था,बोले कोई बात नहीं,तुम्हारे बच्चे को हम अडॉप्ट कर लेंगे,निशा ने झुक कर उन दोनों के पैर छू लिए और उनकी धूल अपने माथे लगा ली,उसकी आँखों से भावातिरेक में आंसू बह निकले।

बहुत अच्छी और काबिल नर्स थी निशा,सभी मरीज उससे बहुत खुश रहते,दोनों डॉक्टर रवि और मेधा को अपने निर्णय पर कभी पछतावा नही हुआ।

ठीक समय पर निशा ने सुंदर,स्वस्थ बेटी को जन्म दिया जिसे उन्होंने कानूनी रूप से गोद ले लिया। निशा खुश थी कि उसकी बच्ची उसकी आँखों के सामने भी रहेगी और लोगों की चुभती बातें भी उसे परेशान नही करेंगीं।

एक दिन डॉक्टर मेघा उससे पूछने लगीं:

"तुम करीब 6 महीने से यहां हो,मैंने आजतक तुममें कोई कमी,बदमिजाजी नही देखी,क्या बात हुई जो तुम्हारा ब्रेक अप हो गया।"

निशा समझ नही पा रही थी कि उन्हें क्या बताए,थोड़ा रुक के वो बोली:मैं जहां काम करती थी,वहां के डॉक्टर मुझे बहुत पसंद करते थे,धीरे धीरे हम एक दूसरे के करीब आते गए,कभी बेख्याली में सीमाएं भी पार हो गईं जिसका दुष्परिणाम मैं भुगत रही हूं।

तो उसने तुम्हे धोखा दिया,मेधा बोलीं

"नहीं ,वो ऐसे नहीं थे,उनके घर में कोई प्रॉब्लम थी,फिर उन्हें कहीं विदेश जाना पड़ा,कुछ दिन तो उनसे बात होती रही पर कुछ दिनों बाद उन्होंने मेरे फ़ोन उठाने बन्द कर दिए"..ये कहते कहते वो रोने लगी।

"क्या मैं उसका नाम जान सकती हूं",डॉक्टर मेधा बोली"डॉक्टर सुजीत,आई स्पेशलिस्ट,निशा ने कहा"

"लखनऊ में",मेघा आश्चर्य से बोलीं

"आप उन्हें जानती हैं क्या?" निशा ने आंखे फैलाते हुए पूछा

"अरे,वो मेरा देवर है,वो एक कोर्स के लिए न्यूयार्क गया था,वहां उसका बहुत भयंकर एक्सीडेंट हो गया था,काफी समय कोमा में रहा,ओह,वहां जाने से पहले वो किसी से मिलवाने का जिक्र करता था हमसे तो वो तुम ही थीं।"

"अब वो कैसे हैं",निशा बेचैनी से बोली,उसके चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी।

उसका दाहिना पैर काटना पड़ा,उसमें सेप्टिक हो गया था,वो हर वक्त डिप्रेस्ड रहता है,न हंसता,बोलता है,अब तुम आ गयी हो तो सब ठीक हो जाएगा।

निशा को अपने कानों पर यकीन नही हो रहा था,उसका मन किया कि वो उड़कर अपने प्यार के पास पहुंच जाए और उसे सांत्वना दे कि मैं आ गयी हूँ,तुम्हे उदास होने की जरूरत नहीं पर डॉक्टर मेघा ने उसे रोक दिया।

"ऐसे नहीं,तुम अपने पेरेंट्स का फ़ोन नम्बर दो,वो तुम्हारा रिश्ता ले कर आएंगे बाकायदा ,तब मेरी देवरानी बनोगी तुम।तुम्हारी लव मैरिज अब अरैंजड मैरिज की तरह होगी,मेरे देवर ने बहुत दुख देखा है,हम उसे सरप्राइज देंगे तुम्हें अचानक गिफ्ट करके उसे।"

निशा भी अपनी आगामी जिंदगी के सुनहरे सपनो में खो गयी।



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